Teen Ghodon Ka Rath - 8 in Hindi Motivational Stories by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | तीन घोड़ों का रथ - 8

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तीन घोड़ों का रथ - 8

नए पुराने नायकों को लेकर नई- नई फ़िल्मों का आना जारी था।
अजय देवगन, सैफ़ अली ख़ान, डीनो मोरिया, अभिषेक बच्चन, जॉन अब्राहम आदि नायकों के बीच "क़यामत से क़यामत तक", "हम आपके हैं कौन" और "दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे" जैसी पारिवारिक, मधुर गीत- संगीत से सजी, साफ़ -सुथरी भव्य फ़िल्मों के साथ शाहरुख खान, सलमान खान और आमिर खान जैसे नायकों का आगमन हुआ।
कटुता, प्रतिशोध, हिंसा के लगातार दर्शकों के ऊपर होते आक्रमण के बाद ठंडी मीठी लहर के रूप में प्रेम फ़िर से केंद्र में आया। फ़िल्मों से सौंदर्य का लोप होना रुक गया। मनोरंजन की बरसात हुई। पारिवारिक फिल्मों की भी जैसे वापसी हुई।
दर्शक सिनेमा हॉल से गुनगुनाते हुए निकलने लगे।
युवा दर्शकों ने चैन की सांस ली।
शाहरुख खान को दर्शकों ने सिर पर उठा लिया। एक के बाद एक उनकी प्रेमपगी मसालेदार फ़िल्मों, जैसे दिल आशना है, बाजीगर, कुछ कुछ होता है, दिल तो पागल है, करण अर्जुन, दीवाना, येस बॉस, स्वदेश, बादशाह आदि ने उन्हें जल्दी ही सिनेजगत की बादशाहत सौंप दी। वे अपने दिनों के सर्वश्रेष्ठ नायक कहलाने लगे। उन्हें नंबर वन हीरो का निर्विवाद ताज़ मिला। इस मुकाम पर पहुंच कर उनकी तुलना अपने समकालीन अत्यंत सक्रिय व सफल एक्टर अक्षय कुमार से लगातार होने लगी किंतु पर्याप्त तुलनात्मक बहस मुबाहिसों के बाद अंततः शाहरुख खान का ही पलड़ा कुछ भारी दिखाई पड़ा। दौर की सफलतम अभिनेत्रियों माधुरी दीक्षित, काजोल, जूही चावला और ऐश्वर्या राय के साथ उन्होंने बॉक्स ऑफिस पर सचमुच जम कर धमाल मचाया। दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे तो सार्वकालिक सफलतम फिल्म साबित हुई। नयनाभिराम लोकेशंस पर मीठे गीत संगीत के साथ पारिवारिक रिश्तों की जटिल संजीदगी का निर्वाह करने वाली बेहतरीन फिल्मों का दौर शुरू हुआ।
किंतु इस बीच और भी कुछ नायकों की सल्तनत अपना रंग लगातार जमा रही थी।
गिनी- चुनी और उद्देश्य पूर्ण फ़िल्में लेकर आते आमिर खान ने भी कयामत से कयामत तक, जो जीता वही सिकंदर, गज़नी, थ्री इडियट्स, दिल जैसी भव्य फिल्मों से अपना साम्राज्य खड़ा किया।
उनकी फ़िल्मों ने कामयाबी के झंडे गाढ़े। आमिर खान की लगान जैसी फ़िल्मों ने भारतीय सिने दर्शकों के मानस में विश्व के सर्वोच्च ऑस्कर अवॉर्ड तक पहुंच पाने की लालसा भी जगाई। कुछ वर्षों की मेहनत के बाद उन्हें भी फ़िल्मों के अपने समय के सर्वश्रेष्ठ नायक की मान्यता मिली। वो नंबर वन बने। आमिर खान के लिए कहा जाता है कि उनका ध्यान फ़िल्म में केवल अपनी भूमिका ही नहीं, बल्कि समग्र प्रोजेक्ट पर जाता है और वो फ़िल्म निर्माण के हर छोटे बड़े पहलू से जुड़ने में यकीन रखते हैं चाहे तकनीकी भव्यता की बात हो, गीत संगीत या कहानी की। अभिनय को लेकर भी उन्होंने लगातार नए प्रयोग करना जारी रखा। उन्हें इस बात का श्रेय भी दिया जाना चाहिए कि उन्होंने साथी कलाकारों के रूप में लोकप्रिय व सफ़ल एक्टर्स को चुन लेने की जगह भूमिका के अनुसार नए से नए कलाकारों को बड़े अवसर देने में भी कभी कोताही नहीं की। उनकी तुलना इस बात के लिए कई बार देवानंद से भी की जाती रही है जो अपनी लगभग हर नई फ़िल्म के लिए एक बार तो किसी नई तारिका की ओर देखते ही थे। ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान जैसी महंगी और बड़ी फ़िल्म न चलने पर भी उसमें आमिर खान की मेहनत को कम नहीं आंका गया। आमिर अपने आप में एक संस्थान की तरह काम करते रहे हैं।
स्टारडम की लगभग यही कहानी सलमान खान ने भी गढ़ी। दर्शकों की नब्ज़ को सलमान ने बेहतरीन तरीके से पहचाना और सिने जगत में अपना राज्य स्थापित किया। कभी मासूम से चेहरे के साथ "मैंने प्यार किया" और "हम आपके हैं कौन" में आकर दर्शकों का दिल और प्यार जीतने में कामयाब हुए सलमान ने एक से बढ़ कर एक शानदार फ़िल्में दीं। चाहे सोनाक्षी सिन्हा के साथ दबंग श्रृंखला हो या कैटरीना कैफ के साथ टाइगर सीरीज हो उन्हें दर्शकों ने हमेशा पसंद किया। बॉडीगार्ड या बजरंगी भाईजान से लेकर भारत तक अपनी फ़िल्मों को किसी पर्व की तरह प्रस्तुत करते आ रहे सलमान भी चित्र नगरी के बेताज बादशाह सिद्ध हुए।
वे भी एक लंबे समय के "नंबर वन" हीरो हैं।