नमस्ते दोस्तो तो मे एक बार फिर से आ गया हू एक नई कहानी लेकर तो चलो कहानी को आगे बढ़ाते है
एक शहर मे एक बुढ़ी माँ जी रह्ती थी. और उस शहर मे दुसरे व्यक्ति या इन्सान नाम का कोई नही रह्ता था. क्यू की वहा के सारे लोग मारे जा चुके थे. बस वो बुढ़ी माँ जी और दुसरे उसके साथ एक कुत्ता रह्ता था. जिसका नाम है ज़िनू. और इस ज़िनू के साथ वो दोनो निकल जाते अकेले शहर मे. और उस शहर का नाम था. प्रेम पुर वहा कुच घटना घटने की वजह से उस शहर के सारे लोग मारे जा चुके थे. अब सिर्फ वो बुढ़ी माँ और वो ज़िनु ही बचे थे.
ये तो रहा आखरी वाला पड़ाव अब आगे
" घने से सुन सान रास्ते मे एक कुनाल नाम का व्यक्ति जा रहा था. और वहा पे वो सिर्फ अकेला ही जा रहा था कुनाल को कीसि भी तरह की मदद नही मिल रही थी "
" जैसे जैसे रास्ता कट ता जाता कुनाल की धड़कन जोरो से धड़कने लगती. क्यू की उसके साथ उस रास्ते मे कोई नही था. बस वो अकेला और सुन सान रास्ता. कुनाल चले जा रहा था "
" कुनाल मन ही मन बोला की ये क्या ये रास्ता खतम ही नही हो रहा है. हे भगवान हमारी मदद करना "
" कुनाल एक दम से डर गया था. कुनाल ने जैसे ही पीछे देखा तो एक बडी कार वाला बहुत तेज़ी से आ रहा था. कुनाल साइड मे हटना चाह रहा है. लेकिन वो हट नही पा रहा है. कुनाल जैसे तैसे रोड के साइड मे चला गया. और कार वाला तेज़ी से चला गया. थोडी देर के बाद कुनाल की जान मे जान आई "
" इस सारे हाद से के बाद जैसे तैसे अपने घर पहुच गया. और अपने घर आ कर वो सो गया. रात के 10 बज गए थे "
अगली सुबह
सबको आज के सवेरे का नमश्कार
" आज कुनाल के घर सब आराम से बैठे थे. तभी एक व्यक्ति आ कर उन्के घर की कुंडी खड्काई. और आवाज दी मौसी दूध वाला आया दूध लेलो "
" कुनाल की माँ ने कुनाल से कहा की.... कुनाल बेटा जाओ तो दूध वाला आया जाओ ले आओ दूध "
" हा माँ जा रहा हू. कुनाल ये कहते हुए चला गया दूध लेने जाता है. तो वहा दूध वाला कुनाल का मजाक उड़ाने लगता है. की... अरे कुनाल भैया रात को ऐसा क्या काम आगया था जिसमे आप इतने व्यस्त थे. और सो भी नही पाये और उसकी वजह से आप बिना टोल्या लपेटे बहार आ गए "
" कुनाल ये सुनते ही जल्दी जल्दी अपने घर मे वापस चला गया. और जल्दी से टोल्या लिया और बांधा "
कुच देर बाद...
" उस तरफ कुनाल के साथ सुबह सुबह मजाक उड गया था. और यहा पे रजनी ने सोने मे दिन निकाल दिये थे. कुनाल की रात नही होती. और रजनी की सुबह नही होती. इन दोनो के चक्कर मे बेचारा इन दो लोगो का परिवार फस गया. दोनो परिवार मे एक एक दश्य है. लेकिन सब पे भारी पडते है. दोनो के दोनो "
" अब जैसे ही रजनी की माँ रजनी को उठाने जाती रजनी या तो लात मारती या भला बुरा बोल देती. इस लिये रजनी को कोई भी उठाने नही जाता "
" अब सुबह तो हो ही चुकी थी तो उठना तो था ही. तो जैसे तैसे रजनी की आंख खुली. और रजनी को सब ऐसे देख रहे थे. जैसे की मानो किसिने रजनी पे कोई मैजिक कर दिया हो. घर वाले थोडे शॉक हो गये थे. की ये अचानक इसके ढंग कैसे बदल गया " रजनी से सब पूछने लगे की... रजनी कमाल है. आज तो बहुत जल्दी उठ गई क्या बात है "
" रजनी ने कहा अरे नही रे बुआ जी वो तो मुझे बहार जाना है. इस लिये थोडी जल्दी उठ गई. ज्यादा कुच नही बस इस लिये उठ गई "
आगे जान्ने के लिये पढते रहे अन सुना इश्क़ पढ्ना जारी रखे...