अपने दो बेटों और एक बेटी की शादी वह कर चुके थे।शादी करने से पूर्व उन्होंने अपने बच्चों की राय जानना भी जरूरी नही समझा
लेकिन रमेश को विश्वास था कि उसके साथ ऐसा नही होगा।उसके ऐसा सोचने के पीछे कारण भी था।रमेश श्याम लाल का सबसे छोटाऔर लाडला बेटा था।उसे पिता के प्यार के साथ पूरी आजादी भी मिली थी।गांव में इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद पिता ने उसकी आगे पढ़ने की इच्छा जानकर उसे आगे की पढ़ाई के लिए शहर भेज दिया था।पढ़ाई पूरी करने के बाद रमेश ने अपने बड़े भाइयो की तरह पुश्तेनी पैसे खेती को नही अपनाया था।पिता की राय लेकर उसने नौकरी कर ली थी।रमेश ने जो चाहा उसे मिला था।पिता ने कभी भी उसकी इच्छा का दमन नही किया था।इसलिए उसका ख्याल था।रिश्ता करने से पहले उसकी राय जरूर ली जाएगी।पर ऐसा न होने पर वह नाराज हो गया था।
"मेरे सर पूछे बिना मेरा रिश्ता कैसे हो गया?
'बेटा तेरे पिता ने तेरे भाइयो और बहन का रिश्ता करने से पहले भी नही पूछा था।"मा ने बेटे को समझाया था,"लड़की पढ़ी लिखी और सुंदर है।"
"जो भी हो मैं उस लड़की से शादी हरगिज नही करूँगा।"
रमेश के इनकार का पता श्याम लाल को चला तो उन्हें डर लगा कही रमेश चुप चाप गांव से भाग न जाये।अगर ऐसा हो गया तो गांव में उनकी बहुत बदनामी होगी।वर्षो से बनी प्रतिष्ठा धूल में मिल जाएगी।वह ऐसा नही चाहते थे। इसलिए उन्होंने बेटे की ऐसी घेरा बन्दी कराई की बेटाभाग न सके।रमेश के ना करने और उल्टी सीधी हरकतों के बावजूद उसे सीमा के साथ जबरदस्ती ब्याह दिया गया।परिवारवालों का सोचना था कि शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा।
सुहागरात को रमेश को जबरदस्ती सुहागकक्ष में धकेल दिया गया।रमेश ने साफ शब्दों में कह दिया,"मेरी तुम से ज़बरदस्ती शादी की गयी है।मैं उमा को चाहता हूँ और उसी से शादी करूँगा।'
रमेश की बात सुनकर सीमा सन्न रह गयी थी।उसने शादी से पहले क्या क्या सपने देखे थे।लेकिन हो क्या गया था।लाख रोकने के बावजूद रमेश शादी के बाद अकेला अहमदाबाद चला गया था।
रमेश अपने अतीत का एक एक पन्ना खोलकर उमा से बोला था,"मैने सिर्फ तुम्हे ही चाहा है।तुमसे ही प्यार किया है।मेरी सीमा सड़ शादी जरूर हो गयी है लेकिन मैंने उसके तन को छुआ तक नही है।'
"रमेश अगर तुम मुझे चाहते हो तो तुम मुझ से झूठ नही बोलते।"
"उमा मैने तुम से कोई झूठ नही बोला।"
"रमेश तुमने गांव सर लौटने के बाद मुझे अपनी शादी की बात नही बतायी।अगर आज मेरी सीमा से मुलाकात न होती तो मुझे तुम्हारी शादी के बारे में पता ही नही चलता।"
"मानता हूँ यह मेरी गलती थी।मुझे तुम्हे सब कुछ बता देना चाहिए था।लेकिन में डर गया था।इसलिए मैंने तुमसे इस बात को छिपाया।'
"कैसा डर।"?
"कही तुम इस बात को जानकर मुझ से मुँह न मोड़ लो।'
रमेश ने उमा को समझाने का भरपूर प्रयास किया था।तब जाकर उमा मानी थी।
रमेश एक दिन आफिस से घर लौटा।वह दरवाजा खोलकर अंदर घुसा तभी सीमा उसके पीछे चली आयी।
"तुम यहाँ?"रमेश उसे देखकर चोंका था।