Samay yatra - 5 in Hindi Fiction Stories by Uma Vaishnav books and stories PDF | समय यात्रा.. - 5

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समय यात्रा.. - 5

भीखूँ देखता है, तो वहां सुप्रिया नहीं होती है।
सुप्रिया अपने आपको वापस अपने घर में पाती हैं कुछ पल को उस ये सब सपना सा लगा। लेकिन जब उसने अपने हाथ - पैरो में मिट्टी लगी देखी तो उसे सब कुछ सच लगा। सुप्रिया थोडी डर जाती है।
कुछ देर के लिए वो किताब बंद कर अपने किचन में आती हैं, उसे बहुत भूख और प्यास लगती है, और बहुत थकान भी महसूस करती हैं। फ्रिज में से फ्रूट जूस निकल कर पीती हैं और सोफे पर बैठ कर सोचे लगती है, कुछ ही देर में उसे नींद आ जाती है, नींद में वो अपने आप को वापस उसी जगह पाती है, लेकिन इस बार कबिले वाले उसे देख नहीं सकते हैं।
वो देखती है कि उसके गायब होते ही सब इधर उधर देखने लगते हैं और भीखूँ जोर जोर से आवाज लगाता है... लाची... अरे.. ओ.. लाची.. कहाँ हो.. सामने आओ... देखो.. अब सब ठीक हो जाएगा। कल दोनों कबिले वालों की मर्जी से हमारा ब्याह हो जायेगा।... कहाँ.. चली गई तुम.... सामने क्यूँ नहीं आती।
तभी दूसरे कबिलेवाले का एक सदस्य बोलता है....ओय.. भीखूँ.. सच.. सच.. बोले.. कही तूने तो लाची को गायब नही किया।
भीखूँ... क्या बात कर रहे हो हम सब एक साथ ही तो खड़े थे... तुमने देखा नही... फिर मैं कैसे.. और क्यू गायब करूंगा।
दूसरा आदमी... क्यू कि... तेरी बुरी नजर थी उस पर.... और वो तुझे पहचान भी नही रही थी।

भीखूँ... मेरी कोई बुरी नजर नही थी... बुरी नजर तो तू रखता था उस पर... और सिर्फ उस पर ही नही कबिले की और कई लड़कियों पर भी... सब लड़किया तुझ से परेशान हैं... कहे तो कल कबिले की बैठक में यह भी साबित कर दूँगा।

वृध्द.. अरे बस तुम दोनों लड़ना बंद करों.. अब जो भी फैसला होगा.. वो कल दोनों कबीलों के सरदार की मौजूदगी में दोनों कबीलों के सामने होगा। चलो मुझे लगता है कि लाची शायद... अपने कबीले में पहुंच गई होगी।

सुप्रिया उन लोगो के सामने खड़ी होती हैं.. लेकिन उनको दिखाई नहीं देती है, वो कहना चाहती है कि वो लाची नही थी... मै सुप्रिया थी.. जो अचानक पता नहीं कैसे कहानी पढ़ते पढ़ते वहा पहुंच गई। लेकिन उस की बात उन लोगों तक नही पहुंच पाती है।

कुछ देर मे वे लोग वापस उसी दिशा में निकल पड़ते हैं जिस दिशा से वे आये थे। सुप्रिया भी उनके साथ साथ चलती है।
लेकिन किसी को भी पता नहीं चल पाता। बहुत चलने के बाद वे अपने कबीले पर पहुंच जाते हैं।

कबिले में पहुंच कर सब अपने अपने घर को चले जाते हैं, उन में से सब से वृद्घ व्यक्ति जो कि लाची का पिता होता हैं, वो ही अंत में रहता हैं सुप्रिया उसके पीछे पीछे चलती हैं, आखिरकार उसका घर भी आ जाता है।

मैदान मे पड़ी एक खटिया पर बैठता है, और तभी पायल की छम छम की आवाज सुनाई देती है.... सुप्रिया आवाज की तरफ देखती है... तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है।

कहानी जारी रहेगी...