The Author Rahul Narmade ¬ चमकार ¬ Follow Current Read वो कौन थे? - 2 - पान By Rahul Narmade ¬ चमकार ¬ Hindi Horror Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books પ્રેમ સમાધિ - પ્રકરણ-122 પ્રેમ સમાધિ પ્રકરણ-122 બધાં જમી પરવાર્યા.... પછી વિજયે કહ્યુ... સિંઘમ અગેન સિંઘમ અગેન- રાકેશ ઠક્કર જો ‘સિંઘમ અગેન’ 2024 ની દિવાળી... સરખામણી સરખામણી એટલે તુલના , મુકાબલો..માનવી નો સ્વભાવ જ છે સરખામણી ક... ભાગવત રહસ્ય - 109 ભાગવત રહસ્ય-૧૦૯ જીવ હાય-હાય કરતો એકલો જ જાય છે. અંતકાળે યમ... ખજાનો - 76 બધા એક સાથે જ બોલી ઉઠ્યા. દરેકના ચહેરા પર ગજબ નો આનંદ જોઈ, ડ... 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एसी अंधश्रद्धा मे विश्वास करते हैं, भारत मे एसे गांव मे अवेयरनेस प्रोग्राम करने चाहिए, वो भी अंधश्रद्धा पर!! एसी ही बाते सोचता हुआ मे उस दिन शाम को रिपोर्ट बना रहा था मैं स्कूल की होस्टेल के एक कमरे में रुका हुआ था जोकि ग्राउण्ड फ्लोर पर था, उस दिन शाम को कोई नहीं था वहा, मैं रिपोर्ट बना रहा था तभी उधर एक आदमी आया, उसकी उम्र 35 साल की रही होगी, उसने शर्ट पेंट पहना हुआ था, मेरे पास आ कर मुझसे पढ़ाई की बाते करने लगा, फिर शौक की बात निकली तो उसने कहा कि वो : मुजे पान खाने का शौक है, आप खाते हो पान? मैं : हाँ मुजे, कलकत्ते, बनारसी और इंदौरी पान बहुत पसंद है लेकिन सिर्फ बिना तंबाकू का, व्यसन नहीं है मुजे। वो : हाँ हाँ, मुजे भी व्यसन नहीं है, वैसे भी तंबाकू का व्यसन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, आपको खाना है? मैं लाया हू पान आपके लिए! मैं (खुश होकर) : क्या बात है,!! मेरे लिए? लाओ लाओ, खिलाओ चलो मुजे!! उसने अपनी जेब से पान निकाला, बड़ा ही अजीब पान था, मैंने उसे पूछा : मैं :एसा कैसा पान है? अजीब सा दिख रहा है ये?! वो : खाओ तो सही ये पान यहा की स्पेशियलिटी है, आप खाते रह जाओगे। मैं : अच्छा, ऐसा क्या? चलो खा के देखता हूं मैंने पान खाया, शुरुआत में मजा आया, मैं धीरे धीरे चबा रहा था, मुजे अच्छा लग रहा था, वो भी मेरी तरफ प्यार से हंसकर देख रहा था, लकिन अचानक मुजे अह्सास हुआ कि मेरे मुह मे जो चीज है उसकी साईज बढ़ रही है, मेरे गाल थक रहे थे धीरे धीरे, लकिन वो पान अपने आप बड़ा हो रहा था, मुजे चबाने मे अब प्रॉब्लम हो रहा था, मैं कुछ बोल नहीं पा रहा था लेकिन वो इंसान मेरे सामने अब बड़ी रहस्य भरी नजरो से देख रहा था, वो पान जोकि मेरे मुह मे था वो अब कड़क हो रहा था, वो पान अब लकड़ी जैसा कड़क और मजबूत हो रहा था, मैं थूकने का प्रयास कर रहा था l लेकिन वो चीज बाहर निकल नहीं रही थी, वो चीज लगातार अपनी साइज बड़ा कर रही थी और अब लोहे की तरह मजबूत हो गई थी मुजे चक्कर आ रहे थे अब मैं कैसे भी करके उठकर थूकने गया, मेरी जान गले मे अटकी हुई थी, मुजे अब मेरी मौत दिख रही थी किसीकी मदद भी ले नहीं पा रहा था, और वो शख्स उधर आराम से बैठकर हस रहा था, अखिर मेरे मुह से वो चीज कैसे भी करके निकल गई, मेरे मुह से बहोत सारा खून निकलने लगा, और मे बेहोश हो गया। मेरी आँख खुली तो मैं गांव के वैद्य के घर मे था, रात के आठ बजे का वक़्त होगा, मेरे बगल मे स्कूल के प्रिन्सिपल चौधरी साहब बैठे थे, मेरे मुह मे छाले पड़ गए थे, मैं उठा और वैद्य ने मुजे ठीक से बैठाया, चौधरी साहब ने मुजे पानी पिलाया फिर मुजे पूछा कि क्या हुआ? मैंने उन्हें पूरी बात कही, ये सुनकर उन्होंने आह भरी, फिर कुछ देर बाद उन्होंने बोलना शुरू किया कि चौधरी साहब : हमारे गांव में एक 35 साल का आदमी था, जयदेव नाम था उसका, उसे छोटी सी पान का कि दुकान थी, वो बहोत ही अच्छा पान बनाता था, गरीब था बिचारा। उसने हमारे गांव के एक गुंडे से पैसे उधार लिए थे, वो वापिस करने के लिए मोहलत माग रहा था लेकिन उन लोगों ने मोहलत देने के लिए मना कर दिया, एक दिन वो और बाकी 3 गुंडे जयदेव की दुकान पर गए और गुस्से में आकर 25-30 जितने पान जयदेव के मुह मे घुसा दिए, पान का मसाला उसके गले में अटक गया और वो वहीं मर गया!! इतना बोलते हुए चौधरी साहब रो पडे, आगे उन्होंने कहा चौधरी साहब : उसका पान खाने का आग्रह करता हुआ प्रेत आज भी कई लोगों को दिखता है!! मैं हतप्रभ हो गया था, मैंने आगे पूछा मैं : सर फिर उन गुंडों का क्या हुआ? ये सुनकर चौधरी साहब की आंखे जुनून से लाल हो गई, उन्होंने कहा चौधरी साहब : उन चारो गुंडों को मैंने मारा!!! जयदेव मेरा बचपन का दोस्त था, उसकी खून की खबर सुनकर मेरा खून खौल उठा था, मैंने उन चारो गुंडों को एक एक कर मारा, किसको मुह मे रुपयों के सिक्के खिलाए, तो किसीको गोली खिलाई, एसे मैंने मेरे दोस्त का बदला लिया। मेरी आंखे बाहर आ गई, मैं सुन रहा था, उन्होंने आगे कहा चौधरी साहब : ये पूरा गांव मेरा है, मेरे दादाजी यहा के ज़मींदार थे, मेरी यहा बहुत इज़्ज़त है, सबको पता है कि उन चारो को मैंने मारा है, यहां तक कि तुम्हारे बगल में बैठा वैद्य भी इस बात को जानता है। तुम्हें भी मे एक बात कहना चाहता हूं... आखिरी बार कह रहा हूं कि ये बात किसको बताना मत, वर्ना अगली बार पान बाहर नहीं तुम्हारी रूह बाहर आएगी। .... मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई, मैं फिर से बेहोश होते होते बचा था.. ‹ Previous Chapterवो कौन थे? 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