Two sisters - 14 in Hindi Classic Stories by Mansi books and stories PDF | दो बहने - 14

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दो बहने - 14

Part 14
अब तक आपने देखा कि शादी बस शुरू होने वाली है दोनो जोड़ी ने माला पहना दी थी अब आगे की कहानी देखते है।
फार्म हाउस में बहुत अच्छे से सब बंदोबस्त किया गया था सबकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए। अब सब लोगो को नाश्ता दिया गया शादी मे लगभग तीन हजार लोग आए हुए थे सब लोग सारा इंतजाम देख कर तारीफ कर रहे थे।खाने का सारा इंतजाम भी अच्छे से किया था शादी मे कोई कमी नहीं थी।सब लोग खुर्सी पर बैठ गए थे फेरे शुरू होने वाले थे। दोनो जोड़ियां मंडप पर आ गई। पंडित जी ने शादी के लिए मंत्र बोलना चालू कर दिया। दोनो के माता पिता बाजू में खड़े थे अपने बच्चो की शादी होते देख उनकी आंखो मे खुशी के आंसू निकल आए। अब पंडित जी ने मंगल सूत्र पहनाने को बोला निवान ने मंगल सूत्र उठाया ओर नियती ने शरमाते हुए अपनी आंखे नीची रख कर निवान के सामने देखा ओर निवान ने मंगल सूत्र पहना दिया। ओर दूसरी ओर निशान ने भी निशा को मंगल सूत्र पहना दिया ।
फिर पंडित जी ने फेरे शुरू करने को बोला। दोनो जोड़ियां खड़ी हो गई पहले वर आगे रहे ओर कन्या पीछे रहे यह पंडित जी ने कहा निशान ओर निवान आगे आ गए ओर फेरे शुरू हुए निशान ओर निवान ने फेरे के साथ कुछ वादे किए की कभी अपनी पत्नी का साथ नहीं छोड़ेंगे उन्हे हमेशा समझेंगे ओर खुश रखेंगे,कभी अपने विचार अपनी पत्नी पर नहीं थोपेंगे दोनो साथ मिल कर निर्णय लेंगे,कभी उनके साथ जगडा नहीं करेंगे ओर अगर जगडा हो जाए तो उन्हे सुधारने की पूरी कोशिश करेंगे। यह कुछ वादे किए अब पंडित जी ने बोला वर पीछे रहे कन्या आगे आए निशा ओर नियती आगे आए ओर उन्होंने भी कुछ वादे किए।कभी अपने पति के खिलाफ नहीं जाएंगे ,उनका हमेशा साथ देंगे ,उनके ओर अपने परिवार मे कभी भेदभाव नहीं करेंगे उनके परिवार का पूरा ध्यान रखेंगे।
ऐसे ही सात फेरे पूरे हुए दोनो जोड़ियां बैठ गई अब सिंदूर भरने कि बारी आई निवान ओर निशान ने अपनी पत्नी के मांग मे सिंदूर भर दिया पंडित जी ने कहा यह विवाह अब हो चुका है आज से आप दोनो जोड़ियां पति पत्नी कहलाएंगे।चारो का विवाह धूमधाम से हुआ। दोनो जोड़ियों ने अपने बड़ों का आशीर्वाद लिया। विदाई कि रसम शुरू हुए।निशा ओर नियती अपने माता पिता से दूर होने के दुख मे खूब रो रही थी निशा ओर नियती सरला ओर खिमजी के गले मिल गई। माता पिता से दूर होने का दुख आज उन दोनो को पता चला था। निशा ने कहा मां पिताजी मेने आप दोनो को कई दुख दिए है हो सके तो मुझे माफ़ करना । सरला ओर खिमजी ने कहा नहीं बेटा ऐसा मत बोल तू तो हमारी बेटी है हमे कोई दुख नहीं हुआ, जाओ तुम दोनो हमारा आशीर्वाद हमेशा तुम दोनो पर बना रहेगा। अपने ससुराल को अपना ही परिवार समजना ओर उन्हे हमेशा जोड़े रखना।आज से तुम दोनो का नया जीवन शुरू होने वाला है सुखी रहना दोनो।
अब दोनो जोड़ियां अपनी अपनी गाड़ी में बैठ गए। अब दोनो अपनी ससुराल में आ चुकी थी हिना ने आरती का थाल लिया ओर उनकी आरती करी ओर चारो का स्वागत किया निशा ओर नियती ने अपने गृहप्रवेश की रसम की । निशा ओर नियती बहने तो थी ही अब देवरानी ओर जेठानी भी बन गई।उन दोनो ने एक दूसरे को वादा किया इस दोनो रिश्ते को हमेशा ओर मजबूत बनाएंगे ।ऐसे ही निशा - निशान ओर नियती - निवान खुशी खुशी जीने लगे ओर अपने परिवार का ध्यान रखने लगे।




मेरी कहानी "दो बहने" यहां समाप्त होती है
मे आशा करती हूं आप सबको यह कहानी पसंद आई होगी, ओर अगर पसंद आइ हे तो मुझे कमेंट मे जरूर बताना।😊
फिर मिलूंगी एक नई कहानी के साथ।