Apang - 25 in Hindi Fiction Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | अपंग - 25

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अपंग - 25

25

उसने पाँच मिनट में ही अपने लम्बे बालों को धो भी लिया था जैसे तैसे और उनमें से पानी छतराती हुई नीचे उतर रही थी |

"कितने प्यारे हैं मेरी भानु के बाल ---अच्छा है कटवाए नहीं --" माँ ने उसके बालों को प्यार से निहारते हुए कहा |

"अरे ! आपने कितनी मेहनत की है मेरे बालों पर, कटवा कैसे लेती ?" कुछ इतराकर वह माँ के गले लिपट गई |

उसे याद आ गया कि उसके बाल कटवाने के लिए राज ने उस पर कितना ज़ोर डाला था लेकिन उसने कटवाकर ही तो नहीं दिए | जब वह न मानी तो उसे गँवार और न जाने क्या -क्या कहा |

कोर्टशिप के दिनों में भानु के बालों को देखकर वह कहा करता था ;

"तुम्हारे बाल कितने खूबसूरत हैं जान ---क्या चमकदार और एकदम काले | कहाँ से लाई हो इतना रूप और खूबसूरत बाल ?" राज कहता और वह समझती जाने किस मुल्क की शहज़ादी है ! ये ही बाल उसको काटने को कहा था तो वह बुरी तरह झल्ला गई थी |

यार, आदमी कितनी जल्दी पलटता है ! भानु ने कितनी बार सोचा था | अब तो हँसी भी आती है |

"क्या हुआ ? खा न " महराजिन चाची ने नाश्ते में उसके लिए उसकी पसंद के मूँग की दाल के चीले और मूंग की दाल का ही हलुआ बनाया था | गरम गरम खिलाने के चक्कर में वह एक-एक देकर जा रही थीं और बाबा उस एक में से तीन टुकड़े कर देते और अपने सामने की तीनों प्लेटों में रख देते | ऐसे ही तो सब मिलकर खाते थे जब वह यहाँ रहती थी | सही है, कैसे मन लगता होगा इन लोगों का उसके बिना --उसने सोचा लेकिन तो उस पर राज के इश्क़ का भूत चढ़ा हुआ था | लेकिन जो होना होता है, होता ही है |

"किस सोच में है हमारी फिरंगिन ?"बाबा ने उसे फिरंगिन कहकर चिढ़ाना शुरू कर दिया था |

"क्या बाबा --मैं आपको कहाँ से फिरंगिन लगती हूँ ?"

"हमारे लिए अपने प्यारे देश को छोड़कर जाए फिरंगी ही है ---" उनहोंने उसे फिर चिढ़ाया |

"बच्चे का भी होश है कि नहीं तुझे फिरंगिन ?" बाबा ने पूछा |

"मैं यहाँ उसकी चिंता करने नहीं आई | अपने बाबा, माँ को मिलने आई हूँ |" बाबा ने डाइनिंग टेबल के पास पुनीत का झूला रखवा लिया था |भानु को हँसी आ गई, सामने देख तो रही है, आराम से सो रहा है मुन्ना | सच ही उसे बिलकुल महसूस ही नहीं हो रहा था कि मुन्ना उसे या फिर वह मुन्ना को मिस कर रहे हैं | अमेरिका के दिनों को सोचकर उसे झुरझुरी आ गई | एक बार फिर से खाना खाते हुए हाथ रुक गए |

"चाची ! आप मेरी पसंद की चीज़ें अब तक नहीं भूलीं ?" भानु ने कहा तो महाराजिन हँस पड़ीं |

" बचपन से खिलाकर बड़ा किया है तुम्हें, कैसे भूल सकती हूँ ?"

"तुम्हारे जाने के बाद जब बाबू जी बीमार पड़े तब तो सब कुछ ही बंद हो गया था | पार्टी-वार्टी तो बाबू जी, तुम्हें पता है बाहर ही देते हैं सो घर में तो वही सादा खाना बनता था | कई महीनों बाद बना हूँ, तुम्हें देखकर तो सारी तुम्हारी पसंद की चीज़ें याद आ गईं | "

" अब तो बिटिया आ गई है, रोज़ बढ़िया खाना मिलेगा हमें भी -"बाबा हँसकर बोले |

"आप खा लीजिए दो-एक दिन, फिर आपको तो वही खिलाऊँगी बाबू जी जो डॉक्टर साहब ने कहा है |

"चिंता मत करो चाची, बाबा अब बिलकुल ठीक रहेंगे, अब मैं और ये घपलू जो आ गए हैं |"

"सबसे पहले नजर उतारेंगे इसकी, कैसा अंग्रेज का बच्चा सा लग रहा है हमारा छोटा बाबू --महाराजिन ने पालने में लेटे हुए पुनीत की बलैयाँ लेनी शुरू कर दीं थीं |

" अरे ! किसकी नज़र लगेगी इसे ? आप भी ---"

"करने दे न उन्हें। बड़े ऐसे ही होते हैं, उन्हें लगता है कहीं हमारी ही नज़र न लग जाए |"

"अभी तो रहोगी बिटिया मायके में ?" कित्ते दिनों बाद तो आई है, फिर उड़ जावेगी फुर्र से --" महराजिन ने कहा |

"कमाल है चाची जी, अभी तो आई हूँ ---" भानु ने जैसे मुँह बिगड़कर कहा |

"ये थोड़ी बोल रही हूँ बिटिया कि अभी जाना है, अभी तो रहना है खूब दिन | अरे !, बिटिया सुसराल तो जाना ही पड़े है ---" चाची बड़ी भावुक सी हो गईं थीं |

"तूने तो अपना घर भी इत्ती दूर बना लिया है के हममें से कोई तेरे पास जा भी नहीं सकते |"

सच में जाना तो होगा ही, सोचकर फिर से भानु अनमनी सी हो गई |

"क्या बात है बेटी ?" बाबा ने पूछ लिया | अभी तक तो फिरंगिन कहकर मज़ाक कर रहे थे अब अचानक ही गंभीर हो गए |

"कुछ नहीं बाबा |"

बाबा जानते थे कि उनकी बेटी का संस्कारी मन हमेशा भारत में ही रहने की इच्छा करता रहा है लेकिन राजेश की ज़िद के आगे उसे अपने देश से इतनी दूर जाकर रहना पड़ रहा है |

"याद है तूने मुझे बाबा कबसे कहना सीखा था ?" बेटी का मन बहलाने के लिए वे बोल उठे |

" हाँ, मेरी एक सहेली बानी थी ---बंगाली, क्या नाम था उसका ? हाँ, सुकोमल दास, उसीसे सीखा था | वह अपने पापा को बाबा और माता को माँ कहती थी, ठीक है न बाबा ?"

" कितने ही लोग मुझसे पूछते थे कि आपकी बेटी आपको बाबा कैसे और क्यों कहने लगी ?मैं हँसकर कहता था उसका बाप उत्तर भारतीय है लेकिन घर में बंगाली बेटी ने जन्म ले लिया | "

भानु ने रिचार्ड के बारे में बातें बताईं कि अमरीका में एक मित्र हैं जिन्हें बांग्ला साहित्य और कल्चर बहुत प्रिय है | वो प्रभावित हैं कि ट्यूटर रखकर हिंदी और बांग्ला दोनों सीख रहे हैं |