The Author Lotus Follow Current Read रोहित.... - 1 By Lotus Hindi Classic Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books જીવન એ કોઈ પરીકથા નથી - 4 "જીવન એ કોઈ પરીકથા નથી"( ભાગ -૪)બીજા દિવસથી મમ્મીએ કસરત શરૂ... તલાશ 3 - ભાગ 17 ડિસ્ક્લેમર: આ એક કાલ્પનિક વાર્તા છે. તથા તમામ પાત્રો અને તે... મારા કાવ્યો - ભાગ 18 ધારાવાહિક:- મારા કાવ્યોભાગ:- 18રચયિતા:- શ્રીમતી સ્નેહલ રાજન... પ્રેમ સમાધિ - પ્રકરણ-123 પ્રેમ સમાધિ પ્રકરણ-123 “દિકરી... મારી અત્યારે દવાખાનામાં વિવ... દામ્પત્ય જીવનની મીઠાસ દામ્પત્ય જીવનની મીઠાસ जायेदस्तं मधवन्त्सेदु योनिस्तदित्वा... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by Lotus in Hindi Classic Stories Total Episodes : 2 Share रोहित.... - 1 (9) 2.9k 7.5k 1 रोहित .......मेरी एक छोटी सी फैमिली... मध्य प्रदेश भोपाल.... मेरे पापा एक सहकारी जोब करते थे मेरी मॉ हाऊस वाइफ मे उनका अकेला था बेटा हू ना भाई ना बहन बडी प्यारी लाइफ हम तीनो की खुशी हर दम जब मे बडा हुआ मेरी पढाई हास्टल मे हुई... मे बारह साल बाहर ही रहा पढाई के लिए फिर मे घर आ गया और एक साल घर ही रहा क्योकि पापा बीमार रहते थे इसलिए उनके पास आ गया था . फिर पापा की तबियत बहुत ज्यादा खराब रहने लगी मॉ भी टेंसन मे रहने लगी मे भी परेशान हो गया फिर एक दिन पापा नही रहे हम अकेले रह गए धीरे धीरे साल गुजर गया एक दिन मॉ ने कहा बेटा तू अपनी पढाई पुरी कर ले मन नही था मेरा मॉ अकेले छोडने का मॉ ने जिद की फिर मे हैदराबाद चला गया मॉ को छोड़कर मुझे कभी भी कीसी चीज की कमी नही होने दी मेरे मम्मी पापा ने फिर मे एक साल बाद घर आया मॉ मेरी शादी के लिए लडकी देखने लगी मॉ मामा जी के घर रायपूर ले गई मामा जी ने एक लडकी दिखाई मुझे वो पसंद नही थी पर मामा जी की बात भी माननी थी मेने देखगे आप बात करना बाद मे... फिर हम कुछ दिनो बाद घर आ गये फिर मे वापस कॉलेज चला गया मॉ रोज बोलती मे हा बोल दू शादी के लिए मे ने कहा मॉ रूको ये साल लास्ट है मेरा फिर सोचेगे मॉ ठीक है मॉ मान गई मुझे लिखने का बहुत शौक था फिर मेने हेलो एप ज्वाइन किया वहॉ मेरे मुलाकात कल्पना से हुई कल्पना जिक्र मेने अपनी एक स्टोरी में किया है मॉ को मेने उसके बारे मे बताया मॉ मान ठीक है तेरी पसंद मेरी भी पसंद हम दोनों ने करीब दो साल बात की पर कभी एक दूसरे दूसरे से नही मिले जब मिलने का मोका आया लॉकडाऊन लग गया हम मिल ही नही पाये में इस लॉकडाऊन में घर आ गया मॉ के पास घर आते मॉ भी बिमार हो गयी पर ये कल्पना नही समझी हमारा रोज झगड़ा होता था मगर प्यार सच्चा था फिर मेरी मोबाइल कम्पनी मे जोब लग गई कुछ दिन में भोपाल में ही काम किया मॉ बिमार रहने लगी मन नही था कही और जाने का फिर मेरी कम्पनी ने मुझे मुम्बई भेज दिया वहॉ रहा कुछ घर मे मॉ बीमार फिर घर आ गया मॉ की तबीयत मे कोई सुधार नही मे परेशान हर जगह दिखाया पर मॉ भी मुझे छोड़कर चली गई मे अकेला रह गया तन्हा टूट गया मे फिर कल्पना ने भी मुझसे बात करना बंद कर दिया मे आज भी उसे फोन मेसैज करता हूँ पर उसने मुझे ब्लॉक कर दिया आज मे अकेला होगा जिसपे सबसे ज्यादा भरोशा था उसने भी साथ नही दिया... पर मे खुश ह़ू आज एक अच्छी ज़िन्दगी जी रहा हूँ कोई कमी नही मुझे किसी चीज पर अफसोस होता है .की पहली मोहब्बत ने ही धोखा दे दिया दूसरी की क्या चाहत करू...... › Next Chapter रोहित.... - 2 Download Our App