Rajsinhasan - 4 in Hindi Fiction Stories by Harshit Ranjan books and stories PDF | राजसिंहासन - 4

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राजसिंहासन - 4

कहानी अब तक :-
राजकुमार माधोसिंह अपने चाचा शरणनाथ के राज्य में रहकर उनके राज्य की प्रशासनिक वयवस्था को सुधार देते हैं । उनके कार्य से प्रसन्न होकर शरणनाथ एक दिन उन्हें अपने कक्ष में बुलाये हैं और उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित करने की बात वे उनसे कहते हैं ।
शरणनाथ माधोसिंह से यह भी कहते हैं कि उन्हें अफ
पना उत्तराधिकारी घोषित करने से पहले वे उनके माता-पिता से मिलना चाहते हैं जिन्होंने इतनी प्रतापी संतान को जन्म दिया । तब माधोसिंह शरणनाथ को यह बताते हैं कि वो और कोई नहीं ब्लकि उनके बड़े भाई महाराज जयसिंह के सबसे छोटे पुत्र हैं और यहाँ पर उनके तथा अपने पिता के बीच संधी कराने के उद्देश्य से आए हैं । माधोसिंह की बातें सुनकर शरणनाथ आग बबूला हो जाते हैं और अपनी तलवार निकालकर उनकी गर्दन पर रख देते हैं ।

अब आगे :-

इसके बाद चाचाश्री ने अपने सैनिकों को बुलाकर उनसे
कहा कि इस गद्रार को कालकोठरी में डाल दो । मैंने उनसे क्षमा याचना की और उन्हें बताया कि मैं आपसे शत्रुता करने के उद्देश्य से यहाँ पर नहीं आया था । मैं आपके और अपने पिताश्री के बीच संधी करवाना चाहता हूँ । पिताश्री के मन में आपके प्रति कोई द्वेष नहीं है । वह हमेशा से ही आपको अपना अनुज मानते हैं । इन सब बातों को सुनकर चाचाश्री का क्रोध शांत हो गया और उन्होंने मुझे अपने गले से लगाया और मुझसे क्षमा भी माँगी । उन्होंने मुझसे कहा कि जब हमारे पिताजी ने जब राज्य का बटवारा किया था तब हम दोनों भाई अपने-अपने हिस्से से संतुष्ट थे लेकिन अपने कुछ चाटुकार मंत्रियों के सिखावे में आने के कारण मेरे मन में ज्येष्ठ भ्राताश्री के प्रति द्वेष उत्पन्न हो गया जो हमेशा बढ़ता ही चला गया । लेकिन तुम्हारे समझाने से मेरी सोंच बदल गई है । अब मैं भ्राताश्री से क्षमा माँगना चाहता हूँ । इसके बाद हम दोनों रथों पर विराजमान होकर यहाँ के लिए रवाना हो गए ।
राजकुमार माधोसिंह की बातों को सुनकर महाराज जयसिंह ने उन्हें अपने गले से लगा लिया और उनसे कहा कि पुत्र तुम वाकई में सबसे बुद्धिमान हो । तुम ही मेरे सबसे श्रेष्ठ पुत्र हो । मेरी इस परिक्षा में तुम उत्तीर्ण हुए और वचनानुसार तुम ही इस राज्य के राजा बनोगे ।
यह सब देखकर राजा शरणनाथ बोले- माधोसिंह केवल इसी राज्य का नहीं ब्लकि मेरे राज्य का भी राजा बनेगा । हम दोनों के आपसी मतभेदों का हमारेए शत्रुओं ने बहुत फ़ायदा उठाया है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा । आज से ब्लकि अभी से हमारे राज्य एक हैं । सिर्फ मेरी ही वजह से आप आज तक चक्रवर्ती सम्राट नहीं बन पाए लेकिन अब माधोसिंह चक्रवर्ती सम्राट बनेगा । इसके पश्चात राजकुमार माधोसिंह का राज्याभिषेक स्वयं महाराज जयसिंह ने अपने हाथों से किया । जयसिंह और और शरणनाथ की संधी की वजह से वे एक साथ दोनों राज्यों के राजा बन गए । बाद में राजकुमार रविसिंह को उस संयुक्त राज्य का सेनापति और राजकुमार केशवसिंह को वित्त मंत्री बनाया गया । माधोसिंह के नेतृत्व में राज्य ने ख़ूब तरक्की की ।