रमेश के कमरे का दरवाजा बंद था।लेकिन ताला नही लगा था।इसका मतलब रमेश घर पर ही था।यह दखकर उमा खुश हुई थी।पर रमेश की जगह एक औरत को देखकर जो अपने को रमेश की पत्नी बता रही थी।उसकी खुशी न जाने कहाँ गायब हो गयी।उसका मन उखड़ गया और आफिस न जाकर वापस घर लौट आयी।
उमा घर आकर कटे पेड़ की तरह बिस्तर पर पड़ गयी।वह पड़ी पड़ी रमेश के बारे में ही सोचने लगी।
रमेश ने शादी कर ली।प्यार का खेल उसके साथ खेलता रहा और शादी सीमा से कर ली।क्यो?क्या रमेश का प्यार झूठा था?क्या वह उसके साथ खेल खेल रहा था।उसे शादी का झांसा देकर उसके शरीर का उपभोग कर रहा था।उमा के मन मे एक के बाद एक विचार आ रहे थे।वह बिस्तर में पड़ी सोचे जा रही थी।
उमा कम्पनी में स्टेनो की नौकरी लगने के बाद परचेज अफसर रमेश के सम्पर्क में आई थी।उमा गोरे रंग लम्बे छरहरे शरीर और तीखे नेंन नक्श की आकर्षक युवती थी।रमेश को पहली नज़र में ही उमा पसन्द आ गयी।रमेश उससे से बोला,"मुझसे दोस्ती करोगी?"
और उमा ने मुस्कराते हर रमेश के दोस्ती के लियर बढ़े हाथ को थाम लिया था।
उमा का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था।उसके पिता एक दफ्तर में चपरासी थे।वे चार भाई बहन थे।पिता के वेतन में खर्च जैसे तैसे चलता था।फिर भी पिता ने उसे इन्टर तक पढ़ाया था।
उमा महत्वाकांक्षी लड़की थी।अपनी सहलियो के ठाठ बाठ देखकर उसका मन भी उनकी तरह रहने खाने पीने को करता था।वह भी दूसरी लड़कियों की तरह रोज नए नए कपड़े पहनना चाहती थी।लेकिन पिता की सीमित आय में ऐसा सम्भव नही था।इन्टर पास करने के बाद पिता बोले,"अब तेरी शादी कर देता हूँ।"
"मैं अभी शादी नही करूँगी।आगे पढूंगी।"
"मैं खुद पढूंगी।"और उमा ने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर बी ए तक कि पढ़ाई की और फिर उसने स्टेनोग्राफी सिख ली।फिर वह नौकरी के लिए प्रयास करने लगी।और कुछ दिनों के प्रयास के बाद उसे अहमदाबाद की एक कम्पनी में स्टेनो की नौकरी मिल गयी।वह राजकोट से अहमदाबाद आ गयी।
रमेश से दोस्ती होने के बाद उमा का दफ्तर के बाद का काफी समय रमेश के साथ गुज़रने लगा।वे साथ साथ घूमते,खाते पीते पिक्चर देखते।और कभी कभी छुट्टी के दिन रमेश,उमा के साथ पिकनिक पर भी जाता।
रमेश अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा उमा पर खर्च करने लगा।वह उसे नई नई डिजाइन और फैशन के कपड़े उसे दिलाने लगा।उसे समय समय पर अन्य गिफ्ट भी देने लगा।रमेश समय गुज़रने के साथ उमा को चाहने लगा।उस से प्यार करने लगा।एक दिन जब वे दोनों पिकनिक पर गए थे।तब रमेश अपने प्यार का इजहार करके उसका हाथ अपने हाथ मे लेकर बोला,"मैं तुम्हे अपनी जीवन संगनी बनाना चाहता हूँ।"
"सच,"उमा खुश होते हुए बोली,"अगर तुम मुझे पति रूप में मिलोगे तो मैं इसे अपना सौभाग्य समझूँगी।"
'मैं बहुत जल्दी अपने गांव जाऊंगा और माता पिता से अपने रिश्ते के बारे में बात करके आऊंगा"।
रमेश गांव जाने का प्रोग्राम बनाता उससे पहले उसे पिता का टेलीग्राम मिला।तार में कोई कारण नही लिखा था।पर उसके पिता ने उसे छुट्टी लेकर गांव आने के लिए कहा था