Haadsa aur Paheli - 2 in Hindi Fiction Stories by S Sinha books and stories PDF | हादसा और पहेली - 2

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हादसा और पहेली - 2

 Part  - 2 :  पिछले भाग में आपने पढ़ा कि शुभ्रा नितिन के घर में पेइंग गेस्ट बन कर रह रही थी  . एक रात जब दोनों अकेले थे एक हादसे में बहुत कुछ बदल गया  …. 

 

                                                                                 कहानी -   हादसा और पहेली  2 


इत्तफाक से उसी रात शुभ्रा को लौटने में भी देर हुई  .  लगभग ग्यारह बज रहे थे  . नितिन बालकनी में बैठा था , उसे भी नींद नहीं आ रही थी  . शुभ्रा टैक्सी से उतरी , उसे पैसे देकर  लड़खड़ाते कदमों से घर की तरफ बढ़ी  . नितिन दरवाजा खोल कर पहले से ही खड़ा था  . शुभ्रा के कदम डगमगा रहे थे  . वह दरवाजे के पास गिरते गिरते बची   . नितिन ने उसकी बांह   अपने कंधे पर रखी और उसे  सहारा देते हुए सीढ़ियों के ऊपर ले गया  . शुभ्रा ने  बेड  तक पहुँचने के पहले ही उल्टी कर दी  . कुछ उल्टी नितिन की शर्ट पर भी गिरी  . उसने गुस्से में आ कर शुभ्रा को बेड पर पटक दिया और कहा ¨  खैर मनाओ कि मम्मा आज घर पर नहीं है , वरना वह तुम्हें सामान के साथ रोड पर फेंकवा देती  और मोहल्ले में  हमारी इज्जत का भी फलूदा बन  जाता  .  ¨


¨ चलो , भगवान् ने आज मेरी मदद की  . ¨  फिर नितिन का हाथ पकड़ कर बोली ¨ थोड़ी मदद तुम भी कर दो न  . जरा पानी पिलाओ न मुझे  . ¨


नितिन ने फिर गुस्से में कहा ¨ पहले बाथ रूम में जा कर अपनी गंदगी साफ़ करो , फिर बात करना  . ¨

 

और उसने हाथ पकड़ कर शुभ्रा को बेड से उठा बाथ रूम में धकेल दिया  . फिर खुद बाहर के वाश बेसिन पर जा कर अपने कपड़े साफ किये  . तब तक शुभ्रा ने भी फ्रेश हो कर अपना बेस्ट परफ्यूम स्प्रे किया ताकि बदबू न रहे  . फिर कर लड़खड़ाते कदमों से आ कर बिस्तर पर लेट गयी  . 


नितिन ने पूछा ¨ तुम ड्रिंक भी करती हो ? ¨                     


¨ अरे यार , मैं पीती नहीं हूँ , पिलायी गयी हूँ  . आज मुझे एक एड फिल्म का फाइनल पेमेंट मिला तो यार लोगों ने ट्रीट मांगी  . उसी में  मुझे भी कुछ पीना पड़ा है  . मैं कभी भी साथ देने के लिए एक पेग से ज्यादा नहीं पीती हूँ , पर आज यार लोगों ने तीन तीन पेग पिला डाली  . मेरा गला सूख रहा है , जरा पानी पिला दो न  . ¨


नितिन ने एक गिलास में नीबू पानी दे कर कहा ¨ इसे पी लो , कुछ नशा तो जरूर उतर जायेगा  . ¨


¨ तुम बहुत अच्छे हो , तुम्हें उस लड़की ने क्यों छोड़ा ? ¨


¨ उसने  तुम्हारी मदहोशी दूर करने और तुम्हें सुधारने के लिए मुझे छोड़ दिया  . ¨  हँसते हुए  बोल कर नितिन उसके बालों से खेलने लगा  . 


¨ वैरी नॉटी बॉय ¨ कह कर नितिन के गालों को छुआ .  अब  चलो दूर हटो ,  तुम  भी नशे में हो  क्या ? . ¨ 


दूर हटने के बजाये नितिन उसके और करीब होता  गया और बोला ¨ हाँ तुम्हारा नशा तो उतर चला होगा और मुझ पर चढ़ने लगा है - तुम्हारी रेशमी बालों से आती खुशबू से , तुम्हारे परफ्यूम की मादक सुगंध से . 


इसे  इत्तफाक कहें या भाग्यवश या दुर्भाग्यवश भगवान् जाने ,ठीक  उसी समय बिजली चली गयी  . शुभ्रा उसके शरीर के ऊपर लड़खड़ाती हुई जा गिरी  . शुभ्रा शराब की खुमारी   में थी और नितिन शुभ्रा के नशे में  पूरी तरह डूब चुका था  . दोनों अब  किसी नयी दुनिया में खो चुके थे और इस दुनिया का  भरपूर आनंद भी मिल रहा था उन्हें  . बिजली तो 15 - 20 मिनट के बाद आ गयी  . तब तक दोनों संभल चुके थे पर तब तक बहुत देर भी हो चुकी थी  . 


¨ देखो इन चंद  मिनटों में क्या हादसा हो गया ? ऐसा नहीं होना चाहिए था  . आई फील सॉरी एंड गिल्टी आल्सो ,पर सब अचानक कैसे हो गया दोनों को होश नहीं रहा था  ¨  नितिन बोला 


¨ अब हादसा ही था तो ,  वह हमारा अच्छा या बुरा सोच कर या बता कर तो नहीं आता है  . ¨


शांता अगली सुबह अपने घर लौट आयी  . वह  बेटे से बोली ¨ शादी देख कर आयी हूँ  . मेरा भी मन कर रहा है कि जीते जी तेरी शादी देख लेती   . तू बोल तो शुभ्रा से बात करूँ ? तुम दोनों की एक ही हालत है  . ¨


¨ नहीं मम्मा , मैं फिलहाल अपने काम में व्यस्त हूँ  . अभी शादी वादी नहीं करनी है  . ¨


ऊपर शुभ्रा अपने रूम में थी  . उसके कानों में इस बात की कुछ भनक पड़ी   .एक सप्ताह बाद   एक 

 रात  जब वह नितिन से मिली तो उसने कहा ¨ मुझसे शादी करोगे ? ¨


नितिन ने रुखा सा जवाब दिया ¨ नहीं  ¨


¨ कहीं उस रात के हादसे से मुझे बहुत बुरी लड़की तो नहीं मान बैठे हो ? ¨


¨ नहीं ऐसा बिलकुल नहीं है और शायद इसमें ज्यादा दोष मेरा ही था  , पर मुझे अभी कुछ समय शादी वादी के चक्कर में नहीं पड़ना  है  . ¨

      

इस घटना के करीब एक  महीना बाद नितिन को अपने प्रोजेक्ट के सिलसिले में बेंगलुरु जाना पड़ा था  . वह दो  सप्ताह बाद लौटा  . तब तक शुभ्रा घर छोड़ कर जा चुकी थी  . शांता ने कहा ¨ अनिल , उसका एक्स , आ कर उसे साथ ले गया  है , दोनों में सुलह हो गयी  . अच्छी बात है न  . ¨


लगभग एक साल बाद बेंगलुरु में एक मॉल की पार्किंग में नितिन अपनी कार में ए सी चला कर बैठा किसी का इंतजार कर रहा था  . अचानक किसी ने शीशे पर नॉक किया  . उसने देखा बाहर शुभ्रा खड़ी मुस्कुरा रही थी  . उसने शीशा  गिराया और कहा ¨ हाय शुभ्रा , कैसी हो ?  अचानक यहाँ कैसे आना हुआ ? ¨


¨ अच्छी हूँ  .  बाहर निकलो  . तुम्हें किसी से मिलवाती हूँ  . ¨


नीतील जब कार से निकला शुभ्रा उसे लेकर अपनी कार के पास ले गयी  . कार में बेबी सीट पर एक बच्ची बैठी खिलौने से खेल रही थी  . ¨


¨ क्या बात है ? मेरी अनुपस्थिति में तुम्हारा घर दोबारा बस गया है , यह बहुत ख़ुशी की बात है  . और यह तुम्हारी बेटी है न  ? ¨


शुभ्रा ने सर हिला कर हाँ कहा तो वह पूछा ¨  वेरी  क्यूट बेबी , कितने दिनों की है ? ¨  और नितिन बेबी को अपनी ऊँगली से छूने लगा  . बेबी  उसकी ऊँगली पकड़ कर मुस्कुरा रही थी  . 


¨   चार महीने से कुछ ज्यादा की है , नेहा नाम रखा है उसका  . ¨


¨ चार महीने  .  अरे अभी तो मेरे घर से गए तुम्हें करीब एक साल ही हुआ  है . ¨    

          

¨ हाँ , नेहा  जितनी मेरी है , उतनी तुम्हारी  भी  . ¨


¨ व्हाट डू यू मैं ? तुम कहना क्या चाहती हो ? ¨


¨ शी इस योर बेबी आल्सो  .  ¨


¨ देखो ऐसी गंदी बातें करते तुम्हें शर्म नहीं आती है ? ¨


¨ कैसी शर्म , याद करो वो पंद्रह मिनट जब बत्ती गुल थी और तुम और मैं  .  .  .जिसे तुमने  बुरा हादसा कहा था   . ¨


¨ बस करो , बहुत हुआ  . ¨

 

¨ तुम डर क्यों रहे हो , मैं तुम से कोई फेवर नहीं मांग रही हूँ  . वैसे अनिल को जरा भी संदेह नहीं है कि नेहा  उसकी बेटी नहीं है  . मैंने उससे कहा कि बेबी कुछ प्रीमी  है  . नर्सिंग होम की डॉक्टर मेरी सहेली भी थी  . उसने अनिल को  बता दिया था कि बेबी प्रिमिचयोर्ड  है  .  ¨

                 

थोड़ी देर तक नितिन को सोच में  डूबा देख कर शुभ्रा ने कहा ¨ तुम नाहक परेशान  न हो  . मैं चाहती तो तुम्हें नहीं भी बता सकती थी  . ¨


क्रमशः