Junoon - ishq ya badle ka.. - 11 in Hindi Love Stories by Princess books and stories PDF | जुनून - इश्क या बदले का... - 11

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जुनून - इश्क या बदले का... - 11

अहमदाबाद में...💞💞💞💞

दिव्या का अपार्टमेंट..💞💞

दिव्या , काव्या , कार्तिक और अमय वो सब डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खा रहे थे।

दिव्या अपनी प्लेट में चम्मच घुमाते हुए कुछ सोच रही थी।

तभी काव्या उसे ऐसा करता देख अपना एक हाथ उसके आगे हिलाते हुए कहती है।

अरे मैडम किस के सपनों में खोई हुई हो , खाना ठंडा हो रहा है ।

काव्या के ऐसे करने से दिव्या अपने सेंस में वापस आती है ।

दिव्या:- हम किसी के भी सपनों में नहीं खोई हुए थे।

इतना केहकर वो अपना सर खुजला ते हुए अपनी बात को आगे कंटिन्यू करती हुई केेहती है , बल्कि हम तो ये सोच रहे थे। कि हमे कितने दिन हो गए हैं, अपने घर गए हुए...?...

काव्या उसका मजाक उड़ाते हुए:- अरे मेरी भुलक्कड़ देवी जी दिन नहीं बल्कि तु ये पूछ की कितने महीने हुए हैं , तुम्हे अपने खानदान को अपनी शक्ल दिखाएं हुए ...?...

दिव्या शौक होकर:- क्या ... महीने ...?...

काव्या :- जी , वो भी लगभग तीन महीने होने आए है । आपको आपके खानदान से मिले हुए ...!!

दिव्या टेंशन में :- ओह नो , अब हमे जल्द से जल्द अपने घर जाना होगा , नहीं तो दादी सा हमे ताना मार मार के ही मार डालेंगी...!!

अमय अपना खाना खाते हुए दिव्या से :- तो इसमें इतनी टेंशन कि क्या बात है। घर ही तो जाना है कौन सा तुझे माउंट एवरेस्ट फतेह करना है।

दिव्या चिड़ते हुए अमय से :- हमे पता है कि हमे घर जाना है । लेकिन दादी सा को मनाना किसी माउंट एवरेस्ट को फतेह करने से कम नहीं है।

इतना कहकर दिव्या अपनी चेयर से उठ कर सब को गुड नाईट बोलती है और अपने कमरे में जली जाती है।

राजावत पैलेस...💞💞💞💞

सिमरन का रूम :- रात के 10:30 बजे सिमरन का मोबाइल रिंग करता है । सिमरन बिना देखे कॉल उठा लेती है और नींद में हि irritate होते हुए कहती हैं।

कौन है यार ..? रात सो ने के लिए होती है। ना की आधी रात में किसी को भी कॉल करके उसकी नींद हराम करने के लिए । जो कोई भी हो सुबह कॉल करना ओके ...!!

इतना बोलके वो कॉल कट करने ही वाली होती है कि दुसरी तरफ से confusion भरी आवाज़ आती है ।

रात... पर दी अभी तो लंदन मे लगभग पांच बज रहे होंगे ना...?... तो फिर आप रात क्यों बोल रहे हो...?... साथ ही आपकी आवाज़ भी नींद से भरी हुई लग रही है !!

सिमरन को जैसे ही realize होता है कि आवाज़ किसकी है तो अपनी आंखे मालती हुई । बेड से टिक कर बैठते हुए कहती हैं।

क्यों कि हम इंडिया में है दिया ( दिव्या ) और वो भी मुंबई में अनुराधा दादी के पैलेस में उनके और उनकी फैमिली के साथ रह रहे हैं ।

दिव्या लगभग शौक से चीखते हुए केहती है । What ...? पर कब , कैसे और आपने हमे बताया क्यों नहीं कि आप इंडिया आ रही है । तो हम .... वो आगे और कुछ बोलती उससे पहले सिमरन उस कि बात को बीच में ही काटते हुए बोलती है।

अरे मेरी मां , तू चुप होगी तब तो हम तुझे कुछ बताएंगे ना । लेकिन तेरे हे कि सवाल ख़त्म ही नहीं हो रहे । अगर आपकी इजाज़त हो तो क्या हम खुछ बोले ...?...

दिव्या अपने सर पर चपत लगाते हुए , सॉरी दी आप बताइए अब हम कोई सवाल नहीं पूछेंगे ।

तब जाके सिमरन केहना शुरू करती है । वो दिव्या को उस फोन कॉल से लेकर , अनुराधा के घर तक आने कि सारी बात डिटेल मे बता देती है।

दिव्या परेशान होकर :- दी आप ठीक तो हो ना i mean आपको ज्यादा चोट तो नहीं आई है ना ...?...

सिमरन दिव्या को समझाते हुए:- डोंट वरी दिया हम ठीक है । और वैसे भी ये चोट किसी चींटी के काटने के बराबर है हमारे लिए ।

दिव्या :- ओके , दी अगर आप कह रही है , तो हम मान लेते हैं , और वो पागल इंसान आपको परेशान तो नहीं करता ना ...?...अगर वो फिर से आपके साथ कोई बत्तमिजी करे ना तो ये बिल्कुल मत सोचिएगा कि वो अनुराधा दादी का पोता है , बल्कि उसे अच्छे से सबक सिखाएगा ! वरना हम उसे सबक सिखाने आ जाएंगे वहां !!

हा मेरी दादी अम्मा , हम सब समझ गए , अगर तुम्हे बुरा ना लगे तो क्या हम सो सकते है। " Because Today was not less than any headache for us anyway..!! " ( क्योंकि आज का दिन वैसे भी हमारे लिए किसी सिर दर्द से कम नहीं था ..!!" )

दिव्या :- आई नो , दी हम समझते है । आप आरम करो हम फिर कभी आराम से बात करेंगे । Ok bye and I love you di ...!!

सिमरन:- I love you too , मेरा बच्चा and good night ...!!

इतना बोलके सिमरन फोन काट देती है । और वापस से टेडी को हग कर के वो फिर से गहरी नींद में सो जाती है ।

रात के करीबन दो से ठाई बजने के बीच में कोई चुपके से सिमरन के रूम का डोर हल्का सा ओपन करता है। और उसे दूर से ही देखता है । सिमरन को किसी बच्चे कि तरह सोते हुए देख उस सक्स की आंखे नम हो जाती हैं। ( ये और कोई नहीं बल्कि प्रांजलि है । जो सब से छुप ते छुपाते सिमरन को देखने आई है ।) प्रांजलि सिमरन को देखते हुए खुद से बात करती है।

काश मेरे बच्चे कि में तुम्हे अपना सच बता पाती । इतना केहते ही उसकी आंखों में जो रुके हुए आंसू थे , वो जर जर करके बेहने लगते है। वो अपनी बात आगे कंटिन्यू करते हुए कहती है।

लेकिन अभी वो सही समय नहीं आया कि में तुम्हे वो सच बता सकूं । जो तुम तो क्या कोई भी नहीं जानता । मुझे पता है , आज नहीं तो कल तुम मेरे बारे में पता लगा ही लोगी । आखिर तुम भी तो उसी कि तरह जिद्दी हो । और उसी कि तरह तुम्हारे अंदर भी अपने काम को लेकर दिवानगी ( passion ) है । और तुम जिस मकसद से यहां आई हो , उसे पूरा करने मे , मुझसे जितना हो सकेगा , मे तुम्हारी उतनी मदद करूंगी ...!!

इतना केहाकर वो अपने आंसुओ को पोछती है । और सिमरन के रूम का दरवाजा बंद कर देती है । और वापस अपने कमरे में चली जाती है।

To be continued. 💫💫💫