Mahila Purusho me takraav kyo ? - 10 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 10

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 10

केतकी ठिठक कर रूक गयी ..पीछे मुड़कर देखने लगी ..केतकी समझ नही पा रही थी ..यह क्या हो रहा है ? फिर से अभय बोला अंदर कौन है ? केतकी बोली मेरा भाई और उसका दोस्त है, दोपहर को आये थे । सभी मुस्कुरा दिये .. केतकी का ससुर बोला ..हां हां ब्याई जी ने बताया था ..मेरे दिमाग से ही निकल गयी मैं उन्हें बताना भूल गया कि अभय अभी एक महिने बाद जायेगा । खैर कोई बात नहीं उनको भी बाहर लिवा लाओ साथ में बैठते हैं । केतकी की सास आगे बढ़ी ..अंदर गयी कमरे के अंदर केतकी का भाई और उसका दोस्त बैठे हुए थे उनके सामने सोने के आभूषणों के डिब्बे रखे थे..केतकी की सास कस्तुरी.. केतकी को डांटते हुए बोली ..बहु..ओ बहु ! इधर आ ! यह क्या है ? केतकी अंदर गयी क्या हुआ मम्मी ?.. ये गहने किस लिए बाहर रखे हैं ..मम्मी मै भाई को दिखा रही थी ..तू तो बावली है ..पढी लिखी होकर गहने ऐसे छोड़े जाते हैं ..मा बाप ने कुछ सिखाया है या नहीं ?
भाई के सामने.. यह सब सुन ..केतकी को अच्छा नहीं लगा ..केतकी का मुंह उतर गया .. केतकी की सास फिर बोली ..अब खड़ी खड़ी मेरा मुंह क्या देख रही है ? उठा इन गहनों को ..केतकी बिना बोले गहने उठाकर अपनी अलमारी में रखने लगी ..
बाहर से पूरण.. केतकी का ससुर ..क्या हुआ कस्तुरी ! ..बहु से ऐसे क्यों बोल रही है ?.. ना ना ..कुछ नहीं हुआ.. यह भी मेरी बेटी ही है गलती पर टोक रही थी .. अरे भाग्यवान ! बहु तो, तेरी बोली से यही समझेगी कि तुम गुस्सा कर रही हो .. कस्तुरी थोड़ी नरम होकर ..बहु के सिर पर हाथ रखकर बोली बहु !.. तुझे क्या लगा ? मैं तुम्हें डांट रही हूं ? ..केतकी ने सास के चेहरे को देखा, और हां मै सिर हिला दिया ..कस्तुरी फिर जोर से बोली क्या बोली ? मैं डांट रही थी ..अबकी बार केतकी ने ना में सिर हिला दिया । कस्तुरी ने बहु को अपनी छाती से लगा लिया ..देखो बेटा, मै बोलती ऐसे ही हूं पर, किसी को लगता है मैं डांट रही हूँ ।

अब देख हम दोनों सास बहु को रहना तो ..इसी घर में है तू बुरा मत मानना ..कस्तुरी ने उसके भाई से कहा, आप बाहर बैठो, गप सप करो ..दोनों उठकर बाहर चले गये
कस्तुरी अपनी बहु से धीरे से बोली, सुनो बेटा ! तुम्हारे भाई और उसके दोस्त से ये मजाक करेंगे, तुम इनकी तरफदारी मत करना अब तुम हमारी हो ..सगे समधी मजाक करते हैं, तू बुरा मत मानना ..कस्तुरी ने अपनी बहु के सिर पर हाथ रखा ..अभी मैं चलती हूं रसोई में बहुत काम है, तेरे लिए भी चाय नास्ता भिजवा देती हूँ..केतकी ने सिर्फ सास को देखा ..सास समझ गयी और रसोई की तरफ चली गयी ।

केतकी मन ही मन सोच रही थी, ये लोग ऐसे कैसे बोलते हैं..जब पढे लिखे ऐसे होते हैं तो बिन पढे कैसे होते होंगे ? ..फिर सोचने लगी अभय तो अफसर है मेरी फिलिंग समझता है ..मैने उससे फोन पर जब भी बात की बड़ी समझदारी की बात करता था ..इतने में लो बहु चाय, बुआ जी ने कहा । केतकी ने बुआ जी को देखा और मुस्कुराई.. बोली बुआजी ! आप भी बैठो, साथ ही चाय नास्ता करते हैं ..अरे बहु तू नहीं जानती, यह तेरी सास मुंफट ( मुंह पर ही साफ साफ बोलने वाली) है मै चलती हूँ ..

सभी चाय पी रहे थे और शादी की बाते कर रहे थे, सबको क्या अच्छा लगा, सब अपनी अपनी बात बता रहे थे ।

पूरण सिंह ने केतकी के भाई से पूछा ? आप, क्या क्या कर लेते हैं ? केतकी का भाई अपने होठ ऊपर नीचे कर रहा था साथ मे अपने हाथो की अंगुलियों से इशारा कर समझा रहा था । उसके दोस्त ने कहा ..यह कह रहा है फैक्ट्री का सारा लेखा जोखा मै खुद देखता हूँ । कर्मचारियों को सैलरी भी मै ही देता हूँ ।
सभी केतकी के भाई को देख रहे थे और मुंह से सराहना भी कर रहे थे ।
पूरणसिंह ने अपने मकान का एक हिस्सा किराये से दे रखा था, वह किरायेदार भी वहीं पर बैठा था ..उसने केतकी के भाई से पूछा .. आपको यह प्रॉब्लम जन्म से ही है या बाद में हुई थी ? केतकी के भाई ने अपने दोस्त की तरफ देखा, दोस्त बोला एक्सीडेंट हो गया था, जन्म से नही है ..इनकी आपस में बात चल ही रही थी कि दो महिलाएं घर के चौक में आकर कूदने लगी .. मौहल्ले के बच्चे .हो..हो.करते हुए पीछे पीछे आ गये ..
क्रमशः--