Heroin - last part in Hindi Fiction Stories by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | हीरोइन - (अंतिम भाग)

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हीरोइन - (अंतिम भाग)

सदी का दूसरा दशक बीत चुका है। सदी बाईसवें साल और तीसरे दशक की राह पकड़ चुकी है।
तो अब ऐसे में हिंदी फ़िल्मों का सर्वोच्च शिखर किस अदाकारा का नाम अपने मस्तक पर लिखने जा रहा है, ये जानना बेहद दिलचस्प है।
फिल्मी दुनिया में दर्शकों और सितारों की ये मुठभेड़ कभी ख़त्म नहीं होती।
जहां सितारे कालजयी होने की अभिलाषा मन में पाले हुए हमेशा शिखर पर बने रहने का ख़्वाब देखते हैं वहीं दर्शक अपने मन में स्थापित करने के लिए नये ताज़गी भरे चेहरे की तलाश में रहते हैं।
किसी कलाकार और स्टार के बीच एक हिट फ़िल्म का फासला होता है।
लेकिन स्टार को सुपर स्टार बनने के लिए दर्शकों को भाने वाली छवि, निर्माताओं को भाने वाली लगन, और आलोचकों को भाने वाले अभिनय के साथ साथ भरपूर क़िस्मत कनेक्शन की दरकार होती है।
ये तो हमारे हाथों में नहीं है कि हम आपको फ़िल्म जगत की अगली नंबर एक हीरोइन का नाम बता दें, किन्तु हम आपको ये ज़रूर बता सकते हैं कि टॉप पोजीशन की इस मंज़िल की राह में कौन- कौन सी अभिनेत्रियां अपनी जीतोड़ मेहनत से ज़मीन आसमान एक कर रही हैं।
फिलहाल जो चार नाम इस रेस में सबसे आगे दिख रहे हैं, वे हैं- आलिया भट्ट, श्रद्धा कपूर, यामी गौतम और तापसी पन्नू।
लेकिन आप सब ने अपने बचपन में कछुए और खरगोश की कहानी तो सुनी ही होगी?
खरगोश की ज़रा सी चूक कछुए के जीतने का कारण बन गई थी!
तो अभी हम कोई कयास लगाने की जगह इन सभी को हार्दिक शुभकामनाएं ज़रूर देते हैं।
ये चारों ही कुछ बेहतरीन फिल्में दे चुकी हैं... चारों की ही कुछ फ़िल्में आने को हैं, देखना ये है कि फिल्मी दुनिया के "नंबर वन" सुनहरे विक्ट्री स्टैंड पर सबसे पहले कौन पहुंचती है!
आइए, इस मुकाम पर इनकी संभावित सफ़लता या असफलता के परे जाकर हम ये देखने की कोशिश करें कि फ़िलहाल इन चारों प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों के प्लस पॉइंट्स क्या क्या हैं। अर्थात इनके भविष्य को इनके पक्ष में साबित कर सकने वाले कारक कौन कौन से हो सकते हैं।
यामी गौतम के पास मॉडलिंग का एक शानदार तजुर्बा है। वो एक मॉडल रहते हुए भी दर्शकों के दिल और दिमाग़ में अच्छी खासी जगह बना चुकी थीं। उनकी फ़िल्म देखने के लिए पब्लिक उत्सुकता से जाती है। उसे शायद ये भरोसा रहता है कि यामी गौतम हैं तो फ़िल्म में कुछ न कुछ नयापन तो होगा।
तापसी पन्नू के डील डौल और करामाती व्यक्तित्व ने उन्हें हमेशा से भीड़ से अलग दिखाया है। वो बौद्धिक भूमिकाओं में बेहतरीन प्रभाव छोड़ती हैं। पूर्व में यह गुण काजोल में भी देखा गया था। तापसी के लिए अगर दमदार किरदार लिखे जाते हैं तो वो कुछ भी करिश्मा कर दिखा सकती हैं।
श्रद्धा कपूर में परंपरागत लोकप्रिय तारिकाओं के सभी गुण हैं। उनमें युवा पीढ़ी को साथ ले चलने का जबरदस्त माद्दा है। वे एक परफेक्ट चेहरे मोहरे की मालकिन हैं। वो कुछ महिला प्रधान फ़िल्मों में अपना कद और अहमियत सिद्ध भी कर चुकी हैं। उनसे आने वाले समय को बड़ी आशाएं हैं।
आलिया भट्ट ने फ़िल्मों में अपने आगमन के साथ ही ये दर्शा दिया था कि वो कोई साधारण अभिनेत्री नहीं हैं जो केवल फ़िल्म में महिला किरदार की भरपाई के लिए ही रखी जाती है। उनके अभिनय की मचलती लहरें दर्शक कई फ़िल्मों में देख भी चुके हैं और सराह भी चुके हैं। कैमरा सामने आते ही ये शोख कमसिन सी लड़की जैसे कोई चमत्कार भरा अजूबा बन जाती है। केवल अपने दम पर कथानक को खींच ले जाने की कुव्वत भी आलिया भट्ट में है। इधर कुछ ऑफ़ बीट फ़िल्में भी उनके नाम हैं। उनकी अभिनय रेंज भी जबरदस्त है। वो किसी बद्रीनाथ की चुलबुली दुल्हनियां से सख्त कठोर गंगूबाई काठियावाड़ी हो जाने में देर नहीं करतीं। आख़िर ये खूबियां उन्हें कहीं तो लेकर जाएंगी ही!
तो हम रजत पट की "हीरोइन" की इस दास्तान को ख़त्म करते हुए इन सभी को उज्जवल भविष्य की मंगल कामनाएं देते हैं और जाते जाते कहते हैं...
एडवांटेज: आलिया भट्ट!
(...समाप्त)