Unfinished First Love (Final Installment) in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | अधूरा पहला प्यार (अंतिम किश्त)

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अधूरा पहला प्यार (अंतिम किश्त)

मीरा जिस से मनोहर प्यार करता था।जिसे दिलो जान से चाहता था।जो उसकी जिंदगी थी।जो उसके रोम रोम में बसी थी।वो मीरा अब उसे दुश्मन नज़र आने लगी थी।
मीरा के पिता जिस लड़के से मीरा के रिश्ते की बात चला रहे थे।उसने मीरा से शादी करने से इनकार कर दिया था।उसे मीरा के मनोहर से सम्बन्ध के बारे में किसी ने बता दिया था।उस लड़के के रिश्ते से इनकार करने पर मीरा के घर वाले मनोहर से खार खाने लगे।
मीरा से सम्बन्ध टूट जाने का सुशीला ने भरपूर फायदा उठाया।सुशीला ने मनोहर पर पूरा कब्जा कर लिया।मीरा ने मनोहर को जिस्म का स्वाद चखा दिया था।और एक बार लत पड़ जाए तो।मनोहर को औरत का जिस्म भोगने की आदत पड़ चुकी थी।मीरा न सही अब सुशीला का जिस्म उसके लिए तैयार था।
एक दिन मीरा,सुशीला के घर पर आयी थी तब उसका मनोहर से सामना हो गया।मनोहर उसे देखते ही बोला,"आखिर अपनी औकात दिखा दी।मेरा नाम ले ही दिया।"
"तुम्हे मेरी बात का विश्वास नही होगा।खैर छोड़ो।तुम मुझे भूल जाओ और जितना जल्दी हो सके।गांव को छोड़कर दूर चले जाओ।तुम्हारी जान को खतरा है।"
मीरा,सुशीला से भी कुछ कह गयी थी।तब सुशीला बोली,"मनोहर तुम जितना जल्दी हो सके गांव से चले जाओ।"
मनोहर के माता पिता अपने बेटे को अपनी नज़रो से दूर करना नही चाहते थे।पर यह जानकर की उसकी जान को खतरा है।वे उसे बाहर भेजने के लिए तैयार हो गए।
मनोहर अपने गांव से कोटा चला आया।कुछ महीने तक छोटी मोटी नौकरी करने के बाद वह बड़ौदा आ गया।यहां आकर उसने नौकरी कर ली लेकिन यहां भी उसका ज्यादा दिन तक मन नही लगा।और वह फिल्मी दुनिया मे अपनी किस्मत आजमाने के लिए मुम्बई आ गया।मुम्बई आने के बाद उसे सुशीला के द्वारा पता चला कि मीरा की शादी फिरोजाबाद के एक लड़के से हो गयी है।मनोहर फिल्मो में काम पाने के लिए जगह जगह भटका।कई निर्माता निर्देशको से मिला।हर तरह का उसने प्रयास किया।काफी दिनों तक धक्के खाने के बाद उसने ब्रजवासी मिष्ठान भंडार में नौकरी कर ली।यहां नौकरी करने के बाद उसका फ़िल्म जगत के लोगो से मेल जोल हुआ।उसे लगने लगा कि अब उसे फिल्मो में काम मिल सकता है।लेकिन वह पूरी तरह से आश्वस्त नही था।इसलिए ब्रजवासी की नौकरी छोड़ना नही चाहता था।
कुछ साल तक मनोहर गांव नही गया।लेकिन मीरा की शादी होने के बाद वह साल में एक या दो बार गांव जाने लगा।वह जब भी गांव जाता।मीरा के बारे में मालूम करना नही भूलता था।उसे पता चला था कि मीरा का पति गरीब होने के साथ शराबी भी था।वह उसे मारता पिटता और दुखी रखता।
ससुराल में आकर मीरा को कई बीमारियों ने आ घेरा था।आर्थिक तंगी के कारण उसे उचित इलाज नही मिल पा रहा था।उचित इलाज और देखभाल के अभाव मे वह धीरे धीरे जिंदगी से दूर होती चली गयी।आज उसे सुशीला का पत्र मिला था।इस पत्र में सुशीला ने मीरा के इस दुनिया से चले जाने का समाचार दिया था।
दूर पुलिस के घण्टे ने टन टन करके बारह बजने की उदघोषणा की तब मनोहर का ध्यान भंग हुआ था।वह वर्तमान में लौटकर सुशीला का पत्र पढ़ने लगा।
"जानते हो मीरा ने तुमसे दूर जाने की क्यो कहा था?"
मीरा को विश्वास था।तुम गांव में रहोगे तो उससे नफरत नही कर पाओगे।मीरा चाहतो थी तुम उसे भूल जाओ
वह मीरा को कितना गलत समझता रहा।
आज वह उसे याद आ रही थी।


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