History of Hira Mandi in English Moral Stories by Jatin Tyagi books and stories PDF | हीरा मंडी का इतिहास

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हीरा मंडी का इतिहास

भारत के जाने-माने निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली अपनी फिल्मों की कहानी को लेकर पहचाने जाते है। हाल ही में वह अपने ड्रीम प्रोजेक्ट हीरा मंडी को लेकर विवाद में चल रहे है। हीरा मंडी दरअसल लाहौर की वो जगह है, जिसे रेडलाइट एरिया के नाम से जाना जाता है। इस जगह को शाही मोहल्ला के नाम से भी जाना जाता है। इस फिल्म पर पाकिस्तान फिल्म जगत के लोगों का कहना है कि पाकिस्तान की किसी जगह पर भंसाली कैसे फिल्म बना सकते हैं। अगर हीरा मंडी की बात करे तो इसका अपना एक अलग इतिहास रहा है।

हीरा मंडी की तवायफें अपने फन के लिए बहुत शोहरत पाती रही हैं। लेकिन समय के साथ अब यहां भी सबकुछ बदल चुका है। आज इस जगह को वेश्यावृत्ति करने वाली जगह के रूप में ज्यादा जानते हैं। अगर हम हीरा मंडी को बेहतर तरीके से समझने की कोशिश करे तो इसका मतलब होता है हीरों का बाजार या डायमंड मार्केट। मगर इसका हीरों के किसी बाजार या बिक्री से लेना देना नहीं है। कई लोग ये सोचते है कि खूबसूरत लड़कियों के कारण इसका नाम हीरा बाजार रखा गया होगा।

हीरा मंडी का इतिहास

सबसे पहले बात करते हैं पाकिस्तान के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया हीरा मंडी की। जो लाहौर की ऐतिहासिक मस्जिद से महज 700 मीटर की दूरी पर है। लाहौर के पास तक्साली गेट की हीरा मंड़ी है। जो वेश्य मंडी भी कही जाती है। जहां पुरुष इन बदनाम गलियों में जाते हैं। एक रिपोर्ट बताती है कि जहां दुनिया के कई देशों में वेश्यावृति के लिए अलग से जगह है और लीगल है और भारत में पैसों के लिए सेक्स करना लीगल है, जहां इनके लाइसेंस है। जबकि पाकिस्तान में वेश्यावृति की इजाजत नहीं। फिर भी ये इलाका एक खुली किताब है। इस हीरा मंडी को अग्रेजी में डायमंड मार्किट भी कहा जाता है। यहां की रौनक हमेशा रात को ही होती है। ये पाकिस्तान का सबसे बड़ा और पुराना रेड लाइट एरिया है। जहां रात के एक बजे तक लोग दिखते हैं। इसके साथ ही राजा रणजीत सिंह ने भी मुगल काल में यहां बने तवायफ इलाके को अपना संरक्षण दिया था। इलाका लाहौर का बीच का क्षेत्र है।

इसके बाद ये इलाका 15वीं और 16वीं सदी में मुगल काल में तवायफ कल्चर के रूप में उभर कर सामने आया। आज इस बाजार में वेश्यावृत्ति होती है। इस बाजार में जगह जगह से लड़कियां लाई जाती हैं. इसे शाही मोहल्ला इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये लाहौर किला के एकदम बगल में बसा हुआ है। मुगल यहाँ अफगानिस्तान और उजबेकिस्तान से महिलाएं खरीदकर लाते थे। जब मुगलों का पतन हुआ तो लाहौर कई बार विदेशी आक्रमणारियों का निशाने पर आय़ा। इसके बाद इस इलाके में वेश्यावृत्ति शुरू होने लगी। ब्रिटिश राज से लेकर अब से कुछ साल पहले तक लाहौर का ये इलाका वेश्यावृत्ति के तौर पर ही जाना जाता था। इस इलाके में काफी संख्या में नाच-गाना करने वाले हिजड़े देखे जाते थे। ब्रिटिश राज के दौरान यहां सैनिक मनोरंजन के लिए आते थे। समय के साथ लाहौर के कुछ और इलाके भी रेडलाइट के तौर पर विकसित हुए। लाहौर में ईस्टइंडिया कंपनी के आने के बाद चीजें बदलने लगीं। ये मूलतौर पर रेडलाइट एरिया में ही गिने जाने लगे।

बता दें कि दिन के समय में ये हीरा मंडी पाकिस्तान के किसी सामान्य बाजार की तरह ही नज़र आती है। जहां ग्राउंड फ्लोर की दुकानों पर तमाम तरह के सामान, बढ़िया खाना और संगीत के उपकरण बिकते दिख जाते है। शाम होते ही दुकानों के ऊपर की मंजिलों पर बने चकलाघर रोशन होने लगते हैं। हीरा मंडी कहते ही लोगों के जहन में वेश्यावृत्ति का भान होने लगता है। बालीवुड फिल्म कलंक में भी हीरामंडी का जिक्र हुआ है।

आपको बता दें पाकिस्तान में ये काम इलीगल है। लाहौर के अलावा कराची, मुल्तान और फैसलाबाद में भी ये देह व्यापार का धंधा होता है। आज के वक्त में पाकिस्तान में इन वर्कर्स और दलालों के बीच में सेटिंग रहती है और घरों और होटलों में ये काम खुलेआम होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान की महिलाएं सिर्फ 600 रुपये में जहां बिक जाती हैं। जिनसे जबरन ये काम किया जाता है। कहते हैं कि 90 के दशक में यहां हुए बम ब्लास्ट के बाद यहां की नींव हिल गई थी और 2010 में दो बम धमाके हुए और यहां ये काम धंधा ज्यादा प्रभावित हुआ और वह भी बंद हो गया।