Journey from a Gulan to Politics in Hindi Motivational Stories by Jatin Tyagi books and stories PDF | एक गुलान से सियासत का सफर

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एक गुलान से सियासत का सफर

चंद्रगुप्त मौर्य का जीवन परिचय

चंद्रगुप्त मौर्य इतिहास के एक महान राजाओं में से एक थे l जिन्होनें अपने बाल ओर बुद्धि से पूरे भारत के साथ–साथ आस पास के देशों पर भी राज किया l इनका शासन काल काफ़ी लंबा रहा ,इन्होने 24 साल तक राज किया, ये एक ऐसे शासक रहें जिन्होनें पूरे भारत के सभी साम्राज्यों को एक किया ओर पूरे भारत पर अपने दम से शासन किया l चंद्रगुप्त मौर्य के शासन काल से पहले भारत में बहुत छोटे–छोटे राज्य हुआ करते थे l जिस पर उनके शासक अपने हिसाब से अपना राज्य चलाते थे,इसी कारण से भारत में एकता नहीं थी l चंद्रगुप्त मौर्य के बचपन के बारे में किसी को भी ज्यादा जानकारी नहीं है, माना जाता है की वे मगध के वन्सज थे l चंद्रगुप्त अपने पूरे जीवन काल में बहुत ही नम्र स्वभाव के थे,वो सभी धर्म का बहुत सम्मान करते थे l उनके साम्राज्य को स्थापित करने में उनके गुरु चाणक्य का सबसे अधिक योगदान रहा,इस बात को दुनिया मानती आई है चाणक्य नीति पूरी दुनिया की सबसे सफल नीति रही ओर जिससे चंद्रगुप्त अपने जीवन में सफलता ही हासिल करते चलें गये l

चंद्रगुप्त मौर्य का जीवन आरंभ

चंद्रगुप्त मौर्य के बचपन के बारे में किसी का भी कोई एक मत नहीं है, इतिहास के अनुसर उनके पिता आका नाम राजा नंदा और माता का नाम मुरा था l कुछ का तो ये भी मानना है की वे मौर्य शासक के परिवार में ही पैदा हुए थे l उनके पिता नंदा के भाई नवनदास ,नंदा से बहुत जलते थे और इसके चलते चंद्रगुप्त के सभी भाईओ की हत्या नवनदास ने करवा दी थी, जिसमें बस चंद्रगुप्त ही जिंदा बच पाए और ऐसे वो अपने परिवार से अलग हो गये l इसके बाद वो मगध साम्राज्य में ही रहने लगे ओर जहा उनकी मुलाकात इतिहास के सबसे बुद्धिमान गुरु चाणक्य से हुई l जो उस समय तक्शिल चलते थे जहाँ राजा महाराजाओ के पुत्र शिक्षा लेने आते थे l कहा जाता है की चाणक्य ने पहली नज़र में ही चंद्रगुप्त के अंदर एक अच्छे शासक को पहचान लिया था ओर उन्हें अपने साथ तक्षिला विद्यालय ले गये l तक्षिला में ही चंद्रगुप्त ने अपनी शिक्षा ग्रहण की,जिससे वे अपने जीवन में आगे चलकर ज्ञानी,समझदार ओर बुद्धिमान पुरुष बने l यहाँ उन्होने एक शासक बनने के सारे गुण सीखे l

चंद्रगुप्त मौर्य की 2 पत्नियाँ थी,जिसमें से एक का नाम दुर्धरा था ओर दूसरी देवी हेलना थी l कहा जाता है की चाणक्य चंद्रगुप्त को रोज खाने में थोड़ा थोड़ा ज़हर मिला कर देते थे ,जिससे उनके शरीर को धीरे धीरे ज़हर की आदत होने लगी थी l ये काम वो चंद्रगुप्त को दुश्

मनो से बचाने के लिए करते थे,जिससे अगर कोई चंद्रगुप्त को विश दें भी दें तो उसका ज़्यादा प्रभाव ना हो l इसी के चलते ये दुर्धरा की मृत्यु का कारण भी बना ,एक बार उनके शत्रुओ ने खाने में ज़हर की मात्रा अधिक कर दी और चंद्रगुप्त हमेंशा अपना खाना अपनी पत्नी से बाँट कर खाते थे, उस दिन भी वो खाना दुर्धरा ने खा लिया जिसकी वज़ह से चंद्रगुप्त की पत्नी की मृत्यु हो गयी l पर चाणक्या इस बात को जानते थे ओर उस समय दुर्धरा गर्भवती भी थी तो चाणक्य ने अपनी समझ बुज़ से उनके होने वाले पुत्र के प्राण बचा लिए जो आगे चलके अपने जीवन में चंद्रगुप्त के राज्य को संभाला l दुर्धरा से चंद्रगुप्त को जो पुत्र प्राप्त हुआ उसका नाम बिंदुसार था जिन्हे उसके पुत्र अशोक सम्राट की वज़ह से इतिहास में याद किया जाता है l अशोक पूरे इतिहास के सबसे लोकप्रिय ओर महान राजाओ में याद किया जाता है l

चंद्रगुप्त मौर्य का शासनकाल

चंद्रगुप्त ने अपना साम्राज्य अपने जीवन काल में काफ़ी बढ़ा लिया था जो पूर्व में असम से लेकर पासच्छिं में अफ़ग़ानिस्तान तक फैला था l चंद्रगुप्त ने भारत के साथ साथ आसपास के देशों पर भी राज्य किया l चाणक्य की कूटनीति से चंद्रगुप्त ने एलेक्सेंडर को बड़ी आसानी से युद्ध में हरा दिया l इसके बाद वे एक बड़े ताकतवर राजा के रूप में उभरें l इसके बाद उन्होने 321 बीसी में धनानंद पर आक्रमण किया ओर हाइमलाइया के राजा की मदद से कुसूंपुर में इस युद्ध को जीत लिया l इसके बाद उन्होने डेक्कन से विंध्य को जोड़ने का सपना सच कर दिखाया ओर अधिकतर भाग अपने अधीन कर लिया l 305 बीसी में सेलौसिड को हराया ओर पूर्वी एशिया पर कब्जा कर लिया l इसके बाद कॅलिंग ओर तमिल ही बच्चे थे जो उनके अधीन नहीं थे l इन्हें भी उनके पोते अशोक सम्राट ने आयेज चलकर अपने अधीन कर लिया l

मौर्य साम्राज्य की स्थापना

जैसा की इतिहास में माना जाता है की चंद्रगुप्त मौर्य परिवार से ही थे ओर उनका हक उनसे छिन लिया गया था l इसके लिए चाणक्य ने उन्हें विश्वास दिलाया की वो उनका हक उन्हें दिला के रहेंगें ओर उन्हे अच्छी शिक्षा दी l उस समय भारत पर एलेक्सेंडर हमला करने की कोशिश करने की तैयारी में था जिसके लिए चाणक्य ने सभी आसपास के साम्राज्यो से सहायता माँगी l जिसमें पंजाब के राजा को हार का भी सामना करना पड़ा l इसके बाद चाणक्य ने धनानंद ओर नंदा साम्राज्य से मदद लेने की कोशिश करी जिसके लिए उन्हे यहाँ से खाली हाथ वापस आना पड़ा l इसके बाद अंग्रेज़ी हुकूमत से अपने देश की रक्षा के लिए चाणक्य ने तह किया की वो खुद का एक साम्राज्य खड़ा करेंगें जिसके लिए उन्होनें अपने सभी शिष्यो में से चंद्रगुप्त को चुना l इस तरह मौर्य साम्राज्य की स्थापना हुई ओर यही से चंद्रगुप्त को मौर्य उपनाम भी मिला l जिसके बाद उन्हें इतिहास में चंद्रगुप्त मौर्य के नाम से जाना गया l

चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु

चंद्रगुप्त मौर्य का जैन धर्म के प्रति प्रेम बढ़ता चला गया ओर जब वें 50 साल के थे अपने जैन गुरु भद्रबाहु के साथ अपना सारा साम्राज्य बिंदुसार के देकर कर्नाटक चले गये यहा उन्होनें कड़ी तपस्या की ओर 5 हफ्तें बिना कुछ खाए पिए रहें ओर इसके बाद अपने प्राण त्याग दिये l

चंद्रगुप्त इतिहास में सबसे महान राजाओ में रहें ओर उनके बलिदान ओर साहस के लिए उन्हें इतिहास में हमेंशा याद किया जाता रहेंगा l वें अपनी जिंदगी में कई बार हारे पर वें उससे सीखते चले गये ओर इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा कियाl