Apang - 19 in Hindi Fiction Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | अपंग - 19

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अपंग - 19

19

भानुमति को समझ में ही नहीं रहा था कि वह रिचार्ड को किस प्रकार से 'ग्रीट' करे ? कैसे उसे धन्यवाद दे? कितने काम दिनों की दोस्ती थी उसकी रिचार्ड के साथ, उसमें भी कोई ऐसा रिश्ता तो बना नहीं था कि उसे भानुमति का ध्यान रखने की मज़बूरी हो |

"आई वॉज़ एक्सपेक्टिंग योर डिलीवरी---" कुछ देर ठहरकर बोला ;

यू हैव टू सफ़र एलोन ? नो कम्पेनियन ---" उसने उदासी से कहा |

"लाइफ़ इज़ लाइक दिस ओनली ---" भानु बोली

"हर आदमी के अंदर एक विलपॉवर होती है जो ईश्वर के रूप में उसकी हैल्प करती है | मैं अकेली कहाँ थी ?" भानुमति ने धीरे से कहा |

"डिड राजेश ---?"

"नो"

"ओ ! अच्चा भानुमति यू मस्ट बी मिसिंग इंडिया वेरी मच, ओर मॉम ---यू वॉन्ट टू जो बैक --? रिचार्ड ने पूछा |

" आई हैव टू गो विद द चाइल्ड, एज़ यू नो माई फ़ादर इज़ आलसो नॉट वैल | माय पेरेंट्स वुड लव टू सी देयर ग्रान्ड चाइल्ड --"

"डू यू थिंक, राजेश मे एकम्पनी यू टु इंडिया ?"

"नो, सर्टेनली नॉट ---"

"वैल, कैन यू परमिट मी टू कम विद यू --?" अब वे दोनों सोफ़ों पर बैठ चुके थे, बच्चा बड़े आराम से झूले में सो रहा था |

"हाँ, ये क्रैडिल तुमने ही रखवाया है न ?"अचानक भानु को ध्यान आया |

"हाँ.तुम हॉस्पिटल में थीं, मैं भी यहाँ नहीं था सो ---आई आस्क्ड माई कम्पनी परसन टू डू मी द फ़ेवर |" उसने बड़े आराम से कहा और मुस्कुराने लगा |

"राजेश यहीं पर था, उसने बताया --"

भानु न जाने क्या-क्या सोच रही थी | आसान नहीं होता है इस प्रकार के दिनों में से आसानी से निकल जाना | फिर भी समय को कौन बाँधकर रख सका है ? कैसे न कैसे ही ज़िंदगी तो पूरी हो ही जाती है |

"मुझको अपने साथ क्यों नहीं लेकर जाना चाहतीं ?"

"माय पेरेंट्स मे मिसअंडरस्टैंड मी--"

"ओके --" रिचार्ड ने ऐसी समझदारी से अपनी गर्दन हिला दी जैसे बहुत कुछ समझ गया हो |

"अच्चा शैल आई शेयर समथिंग टू यू "

भानु ने धीमी गर्दन हाँ में हिला दी |

"आई हैव स्टार्टेड रवींद्र गीतांजलि ---" उसने मुस्कुराते हुए बताया |

"वाव --ग्रेट ! " भानुमति के मुख पर प्रसन्नता छलक उठी |

"ओ ! वेरी गुड़ "

"दिस इज़ डिफिकल्ट टू अंडरस्टैंड बट आफ़्टर सम टाइम आई विल बी एबल तू अंडरस्टैंड थोरोली |" वह बड़ा कॉन्फिडेंट था |

"भानु ! प्लीज़ यूज़ ऑल दीज़ थिंग्स इज़ आल नेसेसरी थिंग्स आर देयर, नो नीड टू गेट वरीड ---" रिचार्ड ने भानु को बड़े अपनत्व से कहा |

"अब मैं निकलता हूँ " वह उठकर खड़ा हो गया था |

"प्लीज़ ! इफ़ यूं आर इन द नीड ऑफ़ समथिंगन प्लीज़ लैट मी नो ---"

"स्योर --थैंक यू वैरी मच !

रिचार्ड भानु को आश्वासन देकर निकल गया था और भानु सोच रही थी कि अपने और उसके संबंध को क्या नाम दूँ !!