“तो आपको लगता है, की उसके ये मार्क्स मेरी वजह से कम हुए है?”, चंचल की तरफ देखते हुए ध्रुव ने पूछा।
“तुम्हारी वजह से ज्यादा, तुम्हारे लिए कम हुए है, ये लगता है। अब मुझे ये जानना है, की क्या तुम्हारी और निया से इस बारे में की कोई बात हुई है? कल नीतू और दीवेश आखिरी वाला पार्ट टेस्ट करेंगे, अगर उसमें भी कोई गड़बड़ छोड़ी है उसने, तो मुझे अभी बता दो।"
“मुझे नहीं पता, निया ने मेरे लिए ये नहीं किया है। हमने तो पहले ही ये तय कर लिया था की हम ये सारी लड़ाई ईमानदारी से लड़ेंगे।", ध्रुव ने निया की तरफदारी करते हुए बोला।
“इस ईमानदारी का तो जब वो कल आएगी, तभी पता लगेगा।", चंचल ये बोल कर मीटिंग रूम से निकल गई।
चंचल के बाहर जाते ही, सुनील ध्रुव की तरफ मुड़ कर मुस्कराते हुए बोला।
“वेल डन ध्रुव!!! अगर कल का रिजल्ट भी ऐसा ही रहा, तो हम पक्का जीत जाएंगे।"
“थैंक यू.. ये रिजल्ट आया कैसे है, लेकिन?”
“पता नहीं.. कुछ ऐव्रिज लेकर है, मेरा और चंचल का 30 में से, तुम्हारे और निया का 20 में से, और बाकी दोनों का 10 में से।"
“अच्छा..”
“चलो.. अभी निकलते है, बाकी कुछ होगा तो कल डिस्कस करते है।", सुनील निकलते हुए बोला।
“ठीक है।", ये बोल कर ध्रुव भी ऑफिस से निकल गया।
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अगले दिन कई बार फोन मिलाने पे भी जब निया का फोन नहीं मिला, तो ध्रुव ऑफिस के लिए निकल गया।
ऑफिस जाकर अपने डेस्क पे बैठी निया को देख उसके पास जाके उसने पूछा।
“कैसी हो तुम? कहाँ थी कल से? फोन भी नहीं उठा रही थी।"
“वो मैं सो गई थी।"
“और अभी भी नहीं उठाया।"
“साइलन्ट पे है मेरा फोन, इसलिए पता नहीं लगा होगा।"
“तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना?”, निया के माथे पे हल्का स हाथ रखते हुए ध्रुव ने पूछा।
“हहम्म..” बड़ी बड़ी आँखों से ध्रुव की तरफ देखते हुए निया ने जवाब दिया। "तुम सीट पे जाकर अपना काम कर लो, नहीं तो अगर चंचल और सुनील आ गए, तो उन्हें लगेगा की हम कोई चीटिंग कर रहे है।"
“पक्का, तबियत ठीक है ना?”, ध्रुव ने निया के चेहरे को गौर से देखते हुए धीमे स्वर में पूछा।
“हाँ.. जाओ काम कर लो।", अपना जवाब खत्म करते ही वापस स्क्रीन की तरफ देखते हुए निया बोली।
थोड़ी देर बाद चंचल और सुनील ने एक मीटिंग रखी थी, आज के रिजल्ट्स और विनिंग टीम के नाम घोषित करने के लिए।
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नीतू और दीवेश जिन्हें अपने नए प्रोजेक्ट के लिए, टीम का चुनाव करना था, बड़े ही ध्यान से दोनों टीम के काम को देख रहे थे।
स्क्रीन से नजर हटा कर, बीच बीच में नजर बचाते हुए दीवेश को देखती नीतू से दीवेश ने पूछा।
“बताओ ज़रा क्या हुआ है?”
“क्या होना है, कुछ नहीं।", बिना कुछ सोचे नीतू ने जवाब देते हुए कहा।
“देखो.. ये जो तुम मुझे बार बार ऐसे देख रही हो ना, मेरा भी ध्यान भटक रहा है।"
“वो.. वो.. मुझे पूछना था की, आपकी फॅमिली कैसी है?”
“ठीक है.. मज़े में है।"
“तो फिर वो भी आपके साथ आई है?”
“हहह?”
“आई मीन.. आपकी वाइफ भी आपके साथ आई है, या वहीं है?"
नीतू के इस सवाल पे दीवेश ने अजीब सा मुह बनाते हुए बोला।
“तुम्हें क्या लगता है?”
“अ. अ. आई होंगी।"
मंद मुस्कराहट के साथ सांस छोड़ते हुए दीवेश ने कहा, “उस टाइम ना मेरा समय ही खराब चल रहा है, सारे लोग मुझे बस छोड़ कर ही जा रहे थे। तो वो लड़की जिसे मेरे घर वालों ने चुना था, वो कैसे पीछे रहती।"
“ओह.. सॉरी।", नीतू ने फट से जवाब दिया।
“उसके लिए तुम्हें सॉरी बोलने की जरूरत नहीं है, वहाँ तो कभी कुछ था भी नहीं, जो बुरा लगे। पर जहाँ था, वहाँ किसी ने कभी ये बोलना ज़रूरी ही नहीं समझा। बहुत इंतज़ार किया था मैंने वैसे इस सॉरी का पता है।"
“हह?”
“हाँ.. इतनी देर तो उस बड़ी दुकान के बाहर ही खड़ा रहा की, अभी बिल करा कर आते ही, तुम सॉरी कहोगी। फिर ज़रोर में, तुम्हारे जाने के आखिरी दिन तक, फिर यहाँ पुने में मेरे आखिरी दिन तक.. अपने इसी इंतज़ार को खत्म करने के लिए मैं बाहर चला गया, की ना तुम होगी, ना तुमसे जुड़ी कोई याद। और आज तुमने वो सॉरी बोला भी तो क्यों।"
दीवेश की कठोर बातें सुन कर, नीतू का मान भर आया था, पर इससे पहले कोई जवाब देती, उनके मीटिंग रूम को बाहर से किसी ने ठकठकाया।
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अपने सारा हिसाब किताब करके बैठे नीतू और दीवेश, के साथ सुनील और चंचल भी अपनी पूरी टीम को लेकर मीटिंग रूम में आए हुए थे।
“हमने फैसला कर लिया है, की कौन हमारा प्रोजेक्ट संभालेगा.. ", नीतू ने मीटिंग शुरू करते हुए कहा।
अपनी लैपटॉप की स्क्रीन को शेयर करते हुए, उसने अपने आँकलन के तरीके के बारे में बताया।
"और अब हमारा फैसला है की..”, नीतू ये बोलते ही अगली स्लाईड पे जाती है।
“की.. चंचल की टीम इस प्रोजेक्ट को संभालेगी।", दीवेश ने आगे की बात पूरी करते हुए कहा।
ये सुनते ही चंचल के चेहरे पे खुशी की लहर आ गई।
“पर..” दीवेश ने आगे बोला। "पर उस टीम में एक छोटा सा बदलाव होगा, निया की जगह ध्रुव उसका डेवलपर होगा।"
“हह.. पर.. ”, चंचल पूछ ही रही होती है, की इतने दीवेश उनकी बात काट कर आगे बोलता है।
“हम इस बारे में अपने बॉस से भी बात कर चुके है, उनको भी ये बेस्ट लगता है, की सारे लोग एक ही टीम से ना हो, तो इस तरीके से हम लोगों को वीटी और जीटी के साथ के हमारे बाकी के प्रोजेक्ट्स भी सही से चलने में मदद मिलेगी। हमे दोनों ही कंपनी से कम से कम एक एक जना तो यहाँ चाहिए ही। तो ये मोडेल हमारे हिसाब से बेस्ट है।"
“निया, तुमने आज कल से भी खराब काम किया था?", चंचल गुस्से से निया की तरफ देखते हुए बोली।
“नहीं चंचल.. उसका आज का काम सच में अच्छा था, बस बात ये थी, की आज ध्रुव का काम ज्यादा ही अच्छा था, जिसकी वजह से हमे ये फैसला लेने में मदद मिली।", चंचल को टोकते हुए नीतू बोली।
“ठीक है", थोड़े शांत होते हुए चंचल बोली।
“तो बाकी के लोगों को..”, सुनील थोड़ा उदास हो कर पूछता है।
“बाकी के लोग.. नेक्स्ट वीक से अपने पुराने ऑफिस जा सकते है। मुझे उम्मीद है, की इस बात का हमारे आगे के काम पे कोई असर नहीं होगा। आप सब इतने अच्छे है, की हम चाहेंगे की आप काम तो ज़रोर के लिए करते रहे, यहाँ बस जगह की थोड़ी तंगी है, तो कुछ दिन वहाँ से काम कीजिए, फिर दोबारा जल्दी ही मुलाकात होगी।", दीवेश ने सब को हौसला देते हुए कहा।