मैं नारी हूँ , अपराजिता हूँ l
न झुकुंगी, न रुकूंगी, न रोउंगी, न डरूँगी l
हौसलों के साथ आगे कदम बढाउंगी l
कोई जंजीरें मेरे पाँव बाँध नहीं सकतीं l
कोई तूफ़ाँ, कोई आँधी मुझे नहीं रोक सकती l
न थकुंगी न हार मानूंगी, लक्सय पाऊँगी l
रण में रणचंडी, घर में बच्चों की माँ बनुँगी ll
हाँ मैं नारी हूँ, अपराजिता ही बनी रहूँगी ll
१७-५-२०२२
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धूप में पेड़ की छाया में रुकना है l
आज सूर्य के ताप को भूलना है ll
क़ायनात मे किसी से डरना नहीं l
सिर्फ़ ख़ुदा के सामने झुकना है ll
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अच्छा बूरा सभी यहां भुगतना l
कर्मों के हिसाबो से डरना है ll
मुहब्बत मे मिला जो गम तो l
ममता की गोद मे फ़सना है ll
कईं ग़मों से घिरे हुए हैं लोग l
सब को हसाके अब हसना है ll
१६-५ -२०२२
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आज ज़िंदगी की तलाश में निकल पड़े है l
जहां जहां कदम ले जा रहे हैं चल पड़े है ll
इश्क को इबादत समझता रहा ताउम्र l
आशिक को फकीर देख छल पड़े है ll
आज छत पर कपड़े सुखाते आए हुए l
हुश्न को बेपर्दा देख के बहल पड़े हैं ll
१५-५-२०२२
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खुदा से दुआओं में कुछ कमी सी है l
इसलिए फ़िर आँखों में नमी सी है ll
क़ायनात मे कोहराम सा छाया है l
मिजाज भारी होने से गर्मी सी है ll
जूठा गुस्सा भरके बेठे महफिल मे l
सूरमे वाली आँखें शबनमी सी है ll
कुछ ज़्यादा ही ख़ास तौर मे है l
जुबा और चहेरे पे बेशर्मी सी है ll
इश्क ने निकम्मा बना दिया है l
अब मुहब्बत मे नाफ़रमी सी है ll
१४-५-२०२२
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मैंने तो इश्क़ की इबादत की है l
दिल ने छोटी सी शरारत की है ll
बेठे बिठाए खुदा को क्या सूझा l
खूबसूरत तोहफ़े इनायत की है ll
ज़माने की हवाए इस तरह बदली l
मुफ़लिसने आज मुरव्वत की है ll
कई युगों से तन्हाई पाली थी l
मुद्दतों के बाद रफ़ाक़त की है ll
बेशरम होकर देखते ही रहे l
अब नज़रों ने शराफ़त की है ll
१३-५-२०२२
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जिंदगी जीने का मार्ग दिखलाया है l
किस तरह जिये ये सिखलाया है ll
फूल के साथ हमेशा काटे होते हैं l
दुख में भी मुस्कुराना समझाया है ll
प्यार से बारबार हौंसला बढ़ाकर l
ज़मीं से आसमान तक पहुंचाया है ll
राहबर ने सही राह पर लाने के लिए l
सब के ठुकराए हुए को अपनाया है ll
फ़िजा ने मनभावन गीत सुनाया और l
उड़ती उमड़ती पतंग संग लहराया है ll
१२-५-२०२२
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खानाबदोश सी जिंदगानी है l
देश परदेश यही कहानी है ll
सालों बाद महफ़िल सजी हैं l
नई ताजा गजलें सुनानी है ll
गा रहा है जो प्रभात फेरी l
सुनले तेरी मेरी कहानी है ll
युगों तक खामोश रहे तेरे लिए l
अब बात दिल की बतानी है ll
आज किसी की परवाह नहीं हमे l
खुल्ले आम मुहब्बत जतानी है ll
११-५-२०२२
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दुनिया में घूमता है मुझमें जो सैलानी है l
जी ले जिंदगी जीवन तो आनी जानी है ll
जी छोटा मतकार मुहब्बत तो फानी है l
सुन सब के दिलों की एक ही कहानी है ll
हर लम्हा आखिरी है समझकर ज़ी ले l
देख रफ़्ता-रफ़्ता ढल रहीं जवानी है ll
यहां हर पल मसर्रत से भरा हुआ है l
वक़्त की हर मौसीक़ी मे रवानी है ll
जहा से भी गुज़र खुशियाँ बटता रहे l
गम न कर ए दिल दुनिया तो फानी है ll
१०-५-२०२२
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माँ के बेटे को बद्दुआ नहीं लगती हैं l
कभी ज़माने की हवा नहीं लगती हैं ll
हमारे बेह्तरीन मुस्तकबिल के लिए l
अपनों ने दी हुईं सज़ा नहीं लगती है ll
मुहब्बत मे जरा सी छेड़खानी हुई l
बातों मे रूठना अदा नहीं लगती है ll
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मेरी सारी कविताएं तेरी बदोलत है l
मेरी यही तो जिंदगीभर की दौलत है ll
मुहब्बत मे मिला जो दर्द मुझको सो l
ग़ज़लें - कलाम उसी की नौबत है ll
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क्यूँ प्यारी आँखों में नमी है l
आज शायद खली कमी है ll
मुहब्बत मे गुजारे हुए लम्हे l
दिल मे यादों की ज़मीं है ll
चाहते हैं भुला दे सब पर l
इश्क़ मे दुनिया थमी है ll
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पत्थर दिल से मोहब्बत हो गई है l
बैठे बिठाए यू शरारत हो गई है ll
प्यार किया है कोई गुनाह तो नहीं l
आज दुनिया से बग़ावत हो गई है ll
ग़म-ए-जुदाई दे गया नादाँ साजन l
क्या कहें ख़ुद से नफरत हो गई है ll
ख़ुद की पहचान तक मिटा दी लो l
अपने आप से शराफत हो गई है ll
इश्क ने पूरी तरह पागल हो चुके हैं l
हररोज दीदार की आदत हो गई है ll
रूह का रिश्ता जुड़ गया है सखी l
बेपनाह इश्क़ से इबादत हो गई है ll
५-५-२०२२
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चलो बात अंजाम तक पहुंचाये l
ग़र कोई इलाज हो तो बताइये ll
आज मौसम भी बेक़रार भी है l
अफ़साना प्यार भरा सुनिये ll
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ख्वाबों का शीशमहल था टूट गया l
हाथों में हाथ था कहीं छूट गया ll
दिल फेंक, दिल ए नादान, दिलबर l
दिल का खिलौना लुटेरा लूट गया ll
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