Rest of Life (Stories Part 7) in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | शेष जीवन (कहानियां पार्ट 7)

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शेष जीवन (कहानियां पार्ट 7)

इलाहाबाद पहुचने पर दोनों अपने अपने रास्ते पर चले गए।
राहुल ने ट्रेन में हुई घटना के बारे में रचना को सब कुछ सत्य बता दिया था।पति की बेवफाई के बारे में जानकर रचना बोखला गयी।
"तुम अब मुझे अपनी करतूत बता रहे हो।अगर मैं यह पत्र न पढ़ती तो कभी भी तुम्हारी नीच हरकत के बारे में न जान पाती।तुमने मुझे धोखा दिया है--गुस्से में रचना न जाने क्या क्या उल्टा सीधा बकती रही।राहुल पत्नी से माफी मांगते हुए बोला,"रचना मुझ से बहुत बड़ा अपराध हुआ है।प्लीज मुझे माफ़ कर दो।"
"मुझे जीवन भर का दुख देकर क्षमा मांग रहे हो?"तुमने मेरे विश्वास को तोड़ा है।मैं हरगिज माफ नही कर सकती।"
"रचना मैने अपराध किया है।इसकी जो चाहे सजा तुम मुझे दे सकती हो।अगर तुम्हारा निर्वाह मेरे साथ नही हो सकता तो तुम मुझे तलाक भी दे सकती हो।"
पति की बात सुनकर रचना आपे से बाहर हो गयी।,"तो तुम अब मुझसे पीछा छुड़ाना चाहते हो ताकि तुम उस सपना को ला सको।पर मैं तुम्हे ऐसा नही करने दूंगी।बल्कि जैसा तुमने मेरे साथ किया है वैसा ही मैं तुम्हारे साथ करूँगी।"
"क्या मतलब?"पत्नी की बात सुनकर राहुल बोला।
"तुमने मेरे रहते दूसरी औरत से रिश्ता जोड़ा।अब मैं भी पराये मर्द से रिश्ता जोड़कर तुम्हारे किये की सजा दूंगी।ताकि तुम्हे एहसास हो कि जीवन साथी से धोखा बेवफाई करने पर उसके दिल पर क्या गुज़रती है।"
रचना नए जमाने की औरत थी।उसका मानना था कि मर्द औरत यानी पति पत्नी में कोई छोटा बड़ा नही होता।बल्कि दोनो बराबर है।रचना राहुल को दिलो जान से चाहती थी।उस पर विश्वास करती थी।पर पति के परस्त्रीगामी होने के बाद वह पति को उसी की भाषा मे जवाब देने के लिए जो कदम उठाने जा रही थी।उसके परिणाम के बारे में उसने सोचा भी नही था।
राहुल के दूर के रिश्ते के चाचा का लड़का ट्रेनिंग के लिए दिल्ली आया था।वह राहुल से बोला,"चाचा मुझे किराये पर कमरा दिला दो।"
"तुम्हारी ट्रेनिंग कितने दिन की है?"
"छः महीने की।"
"छः महीने के लिए क्या कमरा लोगे।हमारे साथ ही रह लो।"
और वह राहुल के यहां ही रहने लगा।रमेश मजाकिया और हंसमुख स्वभाव का था।वह रचना का हम उम्र भी था।राहुल का टूरिंग जॉब था।वह टूर पर घर से बाहर जाता रहता था।पति के बाहर जाने पर रचना,रमेश के साथ कभी घूमने,कभी बाजार और कभी पिक्चर देखने के लिए भी जाने लगी।
एक एक करके दिन बीतने के साथ रचना और रमेश एक दूसरे के करीब आने लगे।रचना के दोनों बच्चे दादा दादी के पास रहते थे।पति के ऑफिस चले जाने पर घर मे रचना और रमेश अकेले रह जाते।
एक दिन रचना,रमेश को साथ लेकर बाजार गयी थी।बाजार से लौटते समय अचानक तेज बरसात होने के कारण दोनों भीग गए।घर आने पर रचना कपड़े चेंज करने के लिए अपने बेडरूम में चली गयी।रमेश कपड़े चेंज करने के लिए अपने रूम में चला गया।रमेश कपड़े बदल कर आ गया।लेकिन रचना नही निकली।रचना ने इतनी देर कैसे लगा दी।यह जानने के लिए वह उसके बेडरुम में चला गया।
रचना पेटिकोट में थी और ब्रा का हुक बन्द करने का प्रयास कर रही थी।रचना को इस अवस्था मे देखकर पहले तो रमेश ठिठका।