Vo Pehli Baarish - 37 in Hindi Fiction Stories by Daanu books and stories PDF | वो पहली बारिश - भाग 37

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वो पहली बारिश - भाग 37

“क्या नीतू ने ही दीवेश से ब्रेकअप किया था?”, ऑफिस में मिली पहली ब्रेक में ही जब ध्रुव ने निया को सब बताया, तो निया ने सवाल किया।

“हाँ।"

“फिर वो उसे अब तक क्यों लेकर बैठी है?"

“असल में दीवेश ने उसके बाद कभी भी उनसे बात नहीं की, वहीं दूसरी ओर नीतू जो ज़रोर छोड़ कर चली गई थी, वो कुछ समय बाद दोबारा यहीं वापस आ गई।
पर तब तक दीवेश बाहर जा चुके थे, और उसके बाद नीतू ने बस इतना सुना है, की उनकी शादी हो चुकी है।"

“और वो अभी भी ये सब लेकर बैठी है?”

“लगता तो यही है।"

“ओह.. फिर क्या प्लान है?”

“वहीं तो समझ नहीं आ रहा।"

“मुझे पता है, क्यों ना हम जाए और नीतू को समझाए की क्यों ही इन सब चक्करों में पड़ी हुई है, उस दीवेश को छोड़े और आगे बड़े।"

“हाँ.. फिर वो कहेंगी, की तुमने मुझे कितनी नई बात बताई है, थैंक्स निया। और सब ठीक हो जाएगा, है ना? तुम्हें नहीं लगता की कई लोग ये बात उन्हें पहले भी कई बार समझा चुके होंगे, और उन्हें समझना होता तो अभी तक समझ लेती।"

“ठीक है.. तुम ही सोचो फिर कुछ अच्छा।", निया के फोन में मीटिंग का अलार्म बज गया था, तो वो वापस अपने सीट पे जाती हुई बोली।

कुछ देर बाद तय अनुसार दीवेश ऑफिस में आ गए। आते ही दीवेश ने एक मीटिंग नीतू के साथ रखी, जिसमें नीतू ने चंचल और सुनील दोनों की टीम को बुलाया।
“हाय.. मैं दीवेश, आप लोगों ने मेरे बारे में सुना तो होगा ही, पर फिर भी मैं आपको फिर से बता देना चाहता हूँ, आज से आप लोगों के प्रोजेक्ट को मैं भी देखूँगा। पिछले दिनों हमारे यहाँ कुछ बदलाव हुए, और मुझे इस प्रोजेक्ट की देख रेख के लिए यहाँ भेज दिया गया है।", ये बोलने के बाद दीवेश सब को अपने काम के अनुभव और अलग अलग कामों का विवरण देता है।

दीवेश के शांत होते ही, वहाँ बैठे सारे लोग धीरे धीरे करके अपने अपने बारें में बताते है, और अंत में जब बारी नीतू की आती है तो वो बोलती है।

“हाय.. मैं नीतू। मैं आपके साथ दोबारा से काम करने को लेकर बहुत उत्साहित हूँ।"

“मैं भी..”, दीवेश भी सामने से ये बोले।

“तो अभी मैं नीतू से इस प्रोजेक्ट को समझता हूँ, और फिर जरूरत पड़ी तो हम एक और मीटिंग रख लेंगे, और फिर इस बारे में बात करते है।", ये कह कर दीवेश सब को जाने का इशारा करते है।

“थैंक यू..”, ये बोलते हुए सब अपनी सीट से उठ कर चल दिए।

“कैसे हो?”, सब के जाते ही नीतू ने दीवेश से सवाल किया।

“इन सब फालतू बातों के लिए मेरे पास टाइम नहीं है.. तुम्हारे पास कोई पिपीटी वगरह है, प्रोजेक्ट समझाने के लिए, या अभी भी हवा में ही सब समझाती हो।", दीवेश ने रूखे अंदाज में बोला, और बाहर दरवाज़े पे कान लगा कर खड़े निया और ध्रुव ने भी वहां से भागना ही सही समझा।

“नहीं.. है मेरे पास पिपीटी..”, नीतू अपनी स्क्रीनशेयर करते हुए बोली।

और फिर नीतू ने अब तक का सब कुछ दीवेश को समझाया।

“अच्छा.. हाँ.. दीवेश, टीम आपके साथ लंच करना चाहती है, तो आप अगर..”

“डिनर..”

“हह?”

“उन्हें कहो की डिनर के लिए कोई अच्छी जगह देख ले। लंच के टाइम मैं थोड़ा बिजी हूँ।", दीवेश अपने फोन में कुछ देखता हुआ बोला।

***********************

दीवेश के कहे अनुसार निया ने लंच की जगह डिनर का प्लान कर दिया था।

वो लोग अभी दीवेश का इंतज़ार कर ही रहे होते है, की इतने ध्रुव बोलता है।

“सुनील.. क्यों ना हम पहले चले, वहाँ जाकर टेबल ले लेना चाहिए.. पता लगे बाद में वो कह दे की टेबल नहीं है।"

“हहमम.. ऐसा होना तो नहीं चाहिए, पर लेकिन जाने में कोई हर्ज नहीं है।", सुनील ने बोला। “तो ऐसा करते है, की एक टीम से तुम और मैं और दूसरी से चंचल और निया को लेकर हम चलते है।", सुनील ने सोचा की फालतू के सवालों से बचने का इससे अच्छा मौका उसे नहीं मिलेगा, तो वो फट से राजी हो गया।

“अ.. अ.. मैं तो अभी काम कर रही हूँ, काम पे असर नहीं पड़ना चाहिए ना, ऐसा करते है, की आप लोग चले जाओ, और मैं फिर बाद में ये खत्म करके आती हूँ।", निया ने फट से जवाब दिया।

“वो क्या है ना, काम तो मैं भी कर रहा हूँ । मैं भी थोड़ी देर तक आता हूँ।", ध्रुव भी बहाना बनाते हुए बोला।

“चंचल.. मेरी गाड़ी में चलते है, हम चार ही लोग है तो दूसरी गाड़ी क्यों ले जानी, मैं वापसी में तुम्हें ऑफिस छोड़ दूंगा।", सुनील ने कुछ सोच कर बोला।

“हाँ.. ये ठीक रहेगा।", चंचल के ये बोलते ही, बाकी दोनों लोग चंचल की तरफ हैरानी से देखते है। उनके सामने ऐसा पहली बार हुआ था की सुनील की कोई भी बात चंचल ने इतनी जल्दी मान ली।

उन लोगों को अभी निकले हुए 5-7 मिनट ही हुए होंगे, की ध्रुव और निया, भी फटाफट से पार्किंग की तरफ़ भागते है।

“ये पक्का सही रहेगा?, कहीं पता लगे, की कल हम दोनों ऑफिस के बाहर हो।", निया ने पूछा।

“नहीं.. किसी को नहीं पता लगेगा.. हम कौन सा कोई बड़ी चोरी कर रहे है, की कल आते ही नीतू पहले कैमरा देखने जाएंगी।", ध्रुव ने जवाब दिया, और धीरे से जाकर नीतू की कार के टायर को फ्लैट कर दिया।

उसके बाद दोनों ऊपर आकर वापस अपने अपने काम में लग गए।

थोड़ी देर बाद जब दीवेश वापस आए तो नीतू और दीवेश उन दोनों की तरफ आते हुए बोले।

“आप लोग चल रहे हो?”, दीवेश ने पूछा।

“हाँ...”, ध्रुव और निया ने जवाब दिया।

“ठीक है, मेरे साथ मेरी गाड़ी में चलो।", नीतू ने बोला।

“ठीक है..” वो दोनों बोले और चले।

“मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगा।", दीवेश ने आगे जाती हुई नीतू से बोला।

“क्या हुआ? आप तो अपने दोस्त से अपनी गाड़ी लेने गए थे ना?”, नीतू ने पीछे मुड़ कर पूछा।

“हाँ.. पर फिर वो मिली नहीं।"

"ठीक है, साथ में चलिए फिर।", नीतू ने ये बोलते ही ध्रुव और निया एक दूसरे की तरफ़ देखते हुए अपनी शक्ले लटका ली।

गाड़ी के पास जाकर जब उन्होंने गाड़ी की हालत देखी तो कैब ही करनी ही सही समझी।

"अब कैब में पांच लोग तो आने से रहे, तो एक काम कीजिए, आप लोग चलो, मैं दूसरी कैब करके आता हूं।", ये बोल कर दीवेश ने सब को कैब में भेज दिया, और उनसे लोकेशन लेकर एक और कैब कर ली।

वहीं ध्रुव और निया ने अपना सिर पकड़ लिया, की उनकी इन दोनों को एक साथ काम से अलग समय देने का प्लान फेल हो गया।