नायिकाओं के लिए फ़िल्मों का ये दौर बेहद चुनौती भरा था। इसका कारण ये था कि अब कलाकारों की वैल्यू उनकी अभिनय क्षमता से नहीं, बल्कि इस बात से आंकी जाने लगी थी कि वे अभिनय का कितना पैसा लेते हैं। और ये धन इस बात से तय होता था कि आपकी फ़िल्म ने कितना पैसा कमाया।
इसका नतीजा ये हुआ कि अभिनेता लोग व्यापारिक जोड़ - तोड़ पर ध्यान दे रहे थे, और इस काम में महिलाओं की ज़्यादा दिलचस्पी न होने से वे पिछड़ रही थीं।
लेकिन दूसरी तरफ फ़िल्म लेखन, निर्माण और निर्देशन में भी महिलाएं बड़ी संख्या में आ रही थीं और सशक्त महिला भूमिकाओं के लिए काफ़ी गुंजाइश निकल रही थी।
इन दोनों स्थितियों ने मौजूदा अभिनेत्रियों को चुनौती पूर्ण उत्साह से भर दिया और उन्हें अपनी भूमिकाओं में कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित किया ।
ये हीरोइनों के लिए कड़ी स्पर्धा और जुझारूपन का नया दौर बन गया।
दीपिका पादुकोण ने फरहा खान की फ़िल्म "ओम शांति ओम" से शाहरुख खान के साथ पहला कदम रखा। इससे पहले वे हिमेश रेशमिया के एक म्यूज़िक एलबम से जुड़ चुकी थीं। साथ ही फ़िल्मों की तकनीकी जानकारी उन्होंने एक कन्नड़ फ़िल्म ऐश्वर्या से जानी थी।
ओम शांति ओम की सफ़लता से भी कहीं आगे बढ़ कर लोगों ने दीपिका पादुकोण को पसंद किया। उनके सादगी भरे सौंदर्य ने लोगों को पुराने ज़माने की अभिनेत्री वहीदा रहमान की याद दिलाई। उनका फिल्मी सफ़र बचना ऐ हसीनो, चांदनी चौक टू चाइना, लव आजकल जैसी फ़िल्मों से मंथर गति से शुरू हो गया।
उधर इन्हीं दिनों सांवरिया,दिल्ली6, आई हेट लव स्टोरी, मौसम जैसी साधारण फिल्मों से आई अभिनेत्री सोनम कपूर ने "रांझणा" और "भाग मिल्खा भाग" जैसी फ़िल्मों से लोगों की नज़र में जगह बनाई। लोगों को उनमें भी उनके पिता अनिल कपूर जैसी सफ़लता की संभावनाएं दिखने लगीं।
नई सदी का पहला दशक बीत चुका था। निरंतर नई हीरोइनें फ़िल्मों में आ रही थीं।
इधर सदी ने "टीन एज" में कदम रखा और उधर दीपिका पादुकोण ने जैसे सफलता की बुलंदियां छूना शुरू किया। उनकी लगातार कई फ़िल्मों "जवानी है दीवानी, चेन्नई एक्सप्रेस, गोलियों की रासलीला-रामलीला, हैप्पी न्यू ईयर" आदि ने सफ़लता के रास्ते पर दीपिका के कदम मोड़ दिए।
विद्या बालन, प्रियंका चोपड़ा, लारा दत्ता आदि ने अब चुनिंदा फ़िल्मों का रुख किया। प्रियंका हॉलीवुड में व्यस्त होती जा रही थीं। कैटरीना अपनी मंज़िल पा लेने के बाद अब मनपसंद प्रोजेक्ट्स पर ही ध्यान दे रही थीं।
लेकिन दीपिका का जलवा अपने शबाब पर आने लगा। वे पीकू, बाजीराव मस्तानी जैसी फ़िल्मों के बाद बॉलीवुड की सबसे पसंदीदा हीरोइन बनने लगीं।
उन्हें कुछ बड़े पुरस्कार भी मिले।
शिखर की टॉप पोजीशन सामने दिखाई देते हुए भी उस पर पहुंचना इतना सहज नहीं था। उन्हें सोनम कपूर से ज़बरदस्त भिड़ंत मिली। खूबसूरत के बाद सोनम ने प्रेम रतन धन पायो, नीरजा, पैड मैन जैसी फ़िल्मों के साथ अपना कद और ऊंचा किया। सोनम को उद्देश्य पूर्ण फिल्मों में काम करने का तमगा भी आलोचकों ने दिया।
लेकिन "पद्मावती" फ़िल्म पूरी होते होते लगभग ये तय हो गया कि वर्तमान में दीपिका जैसी कोई नहीं।
जद्दो जहद और तमाम विवादों के साथ पद्मावती फ़िल्म "पद्मावत" नाम से रिलीज़ हुई।
फ़िल्म इंडस्ट्री और दर्शक इस तथ्य पर दो धड़ों में बंट गये कि ये फ़िल्म सही फिल्मांकन है ,या विवादास्पद, किन्तु इस तथ्य पर पूरी तरह एकमत सहमति हो गई कि इस समय की सबसे महंगी,सबसे बड़ी, सबसे सफल और सबसे लोकप्रिय अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ही है।
इस तथ्य पर चार चांद लग गए जब उन्होंने अपने जोड़ीदार, दौर के सबसे चर्चित अभिनेता रणवीर सिंह से धूमधाम के साथ ब्याह रचाया।
ट्रिपल एक्स के साथ उनकी हॉलीवुड एंट्री भी हुई लेकिन उससे पहले ही वो भारतीय रजत पट की सफ़लतम अदाकाराओं नरगिस, मधुबाला, मीना कुमारी, वैजयंती माला, साधना, शर्मिला टैगोर, हेमा मालिनी, रेखा ,श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, काजोल, ऐश्वर्या राय, रानी मुखर्जी,प्रियंका चोपड़ा, विद्या बालन, कैटरीना कैफ के साथ "नंबर वन क्लब" में सम्मिलित हो गईं।