और दोस्ती होने के बाद रचना और राहुल मिलने लगे।दोनो साथ घूमते,पिक्चर देखते,खाते पीते और पार्क के एकांत कोने में बैठकर घण्टो बाते करते।समय गुज़रने के साथ राहुल और रचना एक दूसरे के करीब आते गए।एक दिन पार्क में पेड़ के नीचे बैठे थे तब राहुल ने रचना का हाथ अपने हाथ मे लेकर कहा," रचना मुझे तुम से प्यार हो गया है।"
राहुल की बात सुनकर रचना चुप रही।तब राहुल फिर बोला,"अब घर मे अकेले मन नही लगता।जी चाहता है कोई साथी हो।"
"शादी कर लो"
"मैं भी यही चाहता हूँ।"
"तो कर लो।कौन है वो।"
"तुम।तुम से शादी करना चाहता हूँ।"
"मैं तो कब से तुम्हारे इस प्रस्ताव का इन्तजार कर रही हूँ।"रचना खुश होते हुए बोली।
रचना की स्वीकृति मिलने के बाद देरी किस बात की थी।दोनो ने शादी कर ली।रचना और राहुल दोस्त से प्रेमी प्रेमिका बन गए थे और अब पति पत्नी।
सुहागरात के दिन राहुल,रचना से बोला,"तुम मेरी जिंदगी में आने वाली पहली औरत हो।मैं किस्मत वाला हूं।जिसे मैंने चाहा, जिससे मैने प्यार किया।जिसे जीवन साथी बनाने का सपना देखा।वक ही मुझे जीवन साथी के रूप में मिल गयी।"
"राहुल मैं भी कम भाग्यशाली नही हूँ।तुम पहले मर्द हो जो मेरी जिंदगी में आये।मैं भी खुश हूं कि मुझे भी मनपसन्द पति मिला।"
"रचना मैं आज सुहागरात को तुम से वादा करता हूँ।मैं किसी दूसरी औरत को अपनी जिंदगी में नही आने दूंगा।"
"राहुल मैं पूर्णतया पतिव्रता रहूंगी।दूसरे मर्द की छाया तक अपनी जिंदगी में नही पड़ने दूंगी।"
सुहागरात को पति और पत्नी के तन पहली बार मिलते है।राहुल और रचना ने कसम खायी थी कि वे एक दूसरे के प्रति पूर्णतया समर्पित रहेंगे।शादी के बाद उनका जीवन खुशी खुशी गुज़र रहा था।दोनो एक दूसरे को दिल से चाहते थे।प्यार करते थे।सुहागरात को रचना ने पति से जो वादा किया था।उस पर वह दृढ़ थी।और उसे पूरा विश्वास था कि राहुल भी अपने वादे पर अडिग है।दोनो एक दूसरे पर विश्वास करते थे और कोई भी बात वे नही छिपाते थे।इस तरह न जाने कब कई साल गुजर गए और रचना दो बच्चों की माँ भी बन गयी।
लेकिन आज पति के नाम आये पत्र को पढ़कर रचना जा विश्वास डगमगा गया था।पति जिस पर वह अटूट विश्वास करती थी।उसने आज उसके विश्वास को तोड़ दिया था।उस पत्र को पढ़कर उसका गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा।वह सब कुछ सह सकती थी लेकिन पति का प्यार बाटना उसे कतई मंजूर नही था।उसे प्यार में झूठन खाना मंजूर नहीं था लेकिन राहुल ने उसे झूठन खिला ही दी थी।
राहुल के नाम आये पत्र को पढ़ने के बाद उसका मन उचट गया।किसी काम मे उसका मन नही लग रहा था।राहुल आज रात को लौटने वाला था।उसे पति के लौटने का इन्तजार था।एक एक पल काटना भारी हो रहा था।और जैसे तैसे समय बिता और रात को पति लौट आया था।पति के घर मे घुसते ही रचना ने प्रश्न दागा था,"सपना कौन है?"
"सपना।कौन सपना।मैं किसी सपना को नही जानता,"राहुल पत्नी के अप्रत्यासित प्रश्न को सुनकर बोला था।
" राहुल तुम झूठ बोल रहे हो।"
"रचना मैं झूठ क्यो बोलूंगा।मैं सच बोल रहा हूँ।मै किसी सपना को नही जानता।"राहुल ने फिर अपनी बात दोहराई थी।