रमेश कुछ देर तक इला को देखता रहा।जब वह कुछ नही बोली तब वह फिर बोला,"मैं तुम्हे प्रपोज करना चाहता हूँ"।
"क्या शादी और मुझसे?"रमेश की बात सुनकर इला चोंक्की थी।
"हां।शादी करके मैं तुम्हे अपनी जीवन संगनी बनाना चाहता हूँ।"
"यह मुमकिन नही।"
"क्यो?क्या मुझ में कोई कमी है।मेरे खानदान, मेरे बारे में,मेरे चरित्र के बारे में,तुम चाहो जिस बारे में पता कर लो।फिर जवाब दो।"
"रमेश तुम सोच रहे हो ऐसी कोई बात नही है।तुम मेरा अतीत नही जानते इसलिए मुझसे शादी की बात कर रहे हो।मेरी सुंदर देह को पाना चाहते हो।अगर मेरा अतीत जान लोगे तो मुझ से बात करना भी पसन्द नही करोगे।"इला बोली थी।
"मुझे तुम्हारे बारे में पता चल चुका है।"
"मेरा अतीत जानकर भी तुम मुझे अपनी क्यो बनाना चाहते हो।"इला प्रश्न पूछकर रमेश को देखने लगी।
"हर मर्द को किसी ने किसी से प्यार होता है।तुन्हें पहली बार देखते ही मुझे तुम से प्यार हो गया है।हर मर्द की ख्वाहिश होती जिसे वह प्यार करे वो ही उसे जीवन साथी के रूप में मिले।मैं भी यही चाहता हूँ।तुम्हारा अतीत जो भी है।फिर भी मैं तुम्हे अपनी बनाना चाहता हूँ।"
"तुम जानते हो मैं बांझ हूं।तुम्हारे खानदान की बेल को आगे नही बढ़ा सकती।फिर भी तुम मुझे अपनी बनाना चाहते हो?"
"इला मेडिकल साइंस ने बहुत उन्नति कर ली है।अगर हमारे बच्चा नही हुआ तो मैं तुम्हारा इलाज करा ऊंगा फिर भी अगर तुम माँ नही बनी तो हम बचचा गोद लेंगे।"
"रमेश---
"प्लीज अब ना मत करना
और रमेश ने इला को मना ही लिया।
और रमेश ने इला की स्वीकृति मिलने पर देर नही की।चट मंगनी पट ब्याह।लोगो जब पता लगा तब रमेश को समझाया भी था।पर रमेश अपने निर्णय पर अडिग था।
रमेश को पति रूप में पाकर इला बहुत खुश थी।उसने तलाक होने पर सोचा था।अब आजीवन अकेली रहना पड़ेगा।एक बांझ से कौन दूसरी शादी करेगा।पर दुनिया मे रमेश जैसे इंसान भी है।रमेश भी इला जैसी सुंदर, शिक्षित पत्नी पाकर खुश था।
एक साल गुज़रने पर जब इला से आस नहीं बंधी तब वह उसे लेकर मुम्बई गया था।उसने मशहूर डॉक्टर रुपाली को दिखाया था।उसके कई टेस्ट कराने के बाद डॉक्टर रुपाली बोली,"सामान्य रूप से इला माँ नही बन सकती लेकिन इलाज के बाद पूरी सम्भावना है।"
और एक साल के इलाज के बाद इला माँ बन गयी थी।
"तुम कहाँ खो गयी।"
इला को विचारमग्न देखकर रमेश बोला था।अतीत से वर्तमान में लौटते हुए इला बोली,"मैं तुम्हारे बारे मे ही सोच रही थी।"
"क्या?"
"रमेश एक मर्द तुम हो और एक मेरा पहला पति देवेन था।उसके बच्चे की माँ नही बन सकी तो उसने मुझे तलाक दे दिया।मुझ पर बांझ का लेबल लग चुका था।फिर भी तुमने मुझ से शादी करके परित्यक्ता जीवन से मुझे उबारा।परित्यक्ता होने पर समाज वाले मुझे हेय नज़रो से देखते थे।परित्यक्ता होने पर सुखी नदी के समान थी।तुमने मुझे अपनाकर नवजीवन दिया।प्यार के बारे में सुना था।पर अब देख भी लिया।मैने ऐसा पति पाया है जो सचमुच मुझ से प्यार करता है।'
इला भावुक हो गयी और उसकी आंखें छल छला आयी।
"मैं अपने प्यार की आंखों में आंसू नही देख सकता।
और रमेश ने पत्नी को गले लगा लिया