Unfinished First Love (seventh installment) in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | अधूरा पहला प्यार (सातवीं किश्त)

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अधूरा पहला प्यार (सातवीं किश्त)

"आओ चलो,"
"कहां।"
"अरे आओ तो?"सुशीला, मनोहर का हाथ पकड़कर अपने साथ ले गयी।फिर दरवाजा बंद करते हुए बोली,"मीरा के साथ छत पर करना पड़ता था।वहां खुली छत पर कोई देख न ले यह डर तो बना ही रहता है।पर मेरे बेड रूम में कोई डर नही है।निसंकोच हम खेल सकते है।"
सुशीला की बात सुनकर मनोहर बोला,"यह गलत है।"
"यह नही गलत वो है जो तुम मीरा के साथ कर रहे हो।मीरा कुंवारी है।अगर उसे गर्भ ठहर गया तो?वह बदनाम हो जाएगी।लेकिन मेरे साथ ऐसा डर नही है।मैं विवाहित हूँ।गर्भ रह भी गया तो मैं बदनाम नही होउंगी।और यह बात हम दोनों के बीच ही रहेगी।"
मनोहर को शर्मातादेखकर सुशीला उससे छेड़ छाड़ करबे लगी।जब फिर भी मनोहर ऐसे ही पडा रहा तब सुशीला बोली,"मीरा तो कह रही थी।मनोहर पूरा मर्द है लेकिन मुझे तो हिजड़ा लग रहा है।नामर्द।"
"मैं नामर्द नही हूँ"और मनोहर सुशीला को पूर्णतया निर्वस्त्र कर के उसके बदन पर हबसी की तरह टूट पड़ा।उसने सुशीला को पस्त कर दिया और खुद भी निढाल होकर उसके शरीर पर पसर गया।और उस दिन मनोहर के अपने से उम्र में कही बड़ी सुशीला से शारीरिक सम्पर्क जुड़ गए।सुशीला को इतना आनंद आया था कि वह खुश हो गयी और अगले दिन उसने मीरा को अपने घर बुला लिया था।मीरा,मनोहर से बोली,"मुझे कुछ गड़बड़ नज़र आ रही है।तुम गांव से बाहर चले जाओ।और मीरा ,मनोहर से मिलकर जाने लगी तो सुशीला उससे बोली,"कितने दिन से वह तड़प रहा है और तू?"
"तो क्या करूँ?"
सुशीला ने मीरा और मनोहर को अपने बेडरूम में धकेल दिया और दरवाजा बंद करते हुए बोली,"खूब मजे लो।डरो मत"
और कुछ देर के बाद मीरा और मनोहर प्यार और वासना के समुद्र में गोते लगाने लगे।अलग होने पर जाते समय मीरा फिर बोली थी,"तुम जितना जल्दी हो सके गांव से चले जाना।"
मनोहर का स्कूल बंद हो चुका था।मीरा की बात मानकर वह दीना पहलवान के पास चला गया था।
दीना पहलवान होने के साथ मथुरा का मशहूर दादा था।उसके नाम से लोग घबराते थे।दीना को पहलवानी के साथ रासलीला का भी शौक था।मनोहर भी रासलीला करता था।वही पर दोनों में जान पहचान हुई थी।दोनो की उम्र में अंतर था फिर भी दोनो में दोस्ती हो गयी थी।दीना पहलवान की मथुरा में स्टेसन रोड पर उसकी दुकान थी।मनोहर ने दीना को सब कुछ साफ साफ बता दिया था।उसकी बात सुनकर दीना ने उसे अपने पास रख लिया।दीना की दुकान के ऊपर एक कमरा था।मनोहर उस कमरे में रहने लगा।एक दिन मनोहर के पास मीरा का संदेश पहुंचा।मनोहर मीरा के मौसा से मिलने के लिए जा पहुंचा।
कुछ देर बात करने के बाद मीरा के मौसा मनोहर से बोले,"मनोहर तुम मुझे सब कुछ सच बता दो।मैं वादा करता हूं, तुम्हारी नौकरी भी लगवा दूंगा और मीरा से शादी भी करवा दूंगा।"
"आप मेरे से क्या जानना चाहते है?"मनोहर ने पूछा था।
"तुम्हारे मीरा से कैसे सम्बन्ध है?भावात्मक या शारीरिक?मीरा ने तुम्हे बेचने के लिए क्या क्या सामान दिया?"
मीरा के मौसा घुमा फिराकर उससे एक ही प्रश्न पूछते रहे।वह मनोहर से सच उगलवाना चाहते थे।आखिर में परेशान होकर मनोहर बोला,"आखिर आप मीरा से ही यह सब क्यो नही पूछ लेते?"