50-दुख
"भाभी को न जाने क्या हो गया है?हर समय उदास,गुमसुम,खामोश रहती है।"
मेरी बहु प्रभा मायके से लौटी थी।उसकी माँ का स्वर्गवास हो गया था।मायके के समाचार बताते हुए वह अपनी भाभी के बारे में बताने लगी।मैं उसकी बात सुनकर बोली,"सास मर गयी दुख तो होगा ही।"
"बेटी को तो माँ के मरने का दुख होता है।बहू को सास के मरने का दुख क्यो होगा?"
प्रभा की बात सुनकर मैं उसका मुंह देखने लगी।आखिर मैं भी तो उसकी सास थी।
51--समय
"साला क्या समझता है अपने आप को,"राकेश गुस्से में बोला,'भूल गया उन दिनों को जब मेरे सामने हाथ जोड़कर खड़ा रहता था।"
कर्मवीर बेलनगंज माल गोदाम में गुड्स क्लर्क था।राकेश केंट स्टेशन पर वाणिज्य निरीक्षक था।बेलनगंज नाल गोदाम उसके सेक्सन में आता था।राकेश निरीक्षण के लिए बेलनगंज माल गोदाम जाता रहता था।वह जब भी वहां जाता कर्मवीर उसकी खूब आवभगत करता।जब तक राकेश वहां रहता कर्मवीर उसके सामने खड़ा रहता।काम मे कोई गलती निकलने पर वह हाथ जोड़कर माफी मांगता और भविष्य में सावधानी से काम करने का वादा करता।
सहायक वाणिज्य प्रबन्धक के दो पदों को भरने के लिए जगह निकली थी।एक पद जनरल कोटे से और एक पद एस सी कोटे से भरा जाना था।राकेश और कर्मवीर दोनो ने फार्म भरा था।कर्मवीर का एस सी कोटे में सलेक्शन हो गया और वह सहायक वाणिज्य प्रबंधक बनकर मुम्बई चला गया।
रेलवे में जॉन और मंडलो का पुनर्घठन होने पर आगरा नया मण्डल बना था।राकेश सहायक वाणिज्य प्रबन्धक तो नही बन पाया था।पर वरिष्ठता के आधार पर मण्डल वाणिज्य निरीक्षक मुख्यालय बनकर मण्डल में आ गया था।कुछ समय बाद कर्मवीर भी अपना ट्रांसफर कराकर मुम्बई से आगरा मंंडल में आ गया था।
कर्मवीर अधिकारी बन गया था लेकिन राकेश अब भी ऐसा समझता था मानो वह उसके अंडर में हो।और वह सब के सामने उससे ऐसा ही बर्ताव करता था।कुछ दिनों तक तो कर्मवीर सोचता रहा कि उसके बर्ताव में परिवर्तन आ जायेगा।पर जब ऐसा नही हुआ तब उसने राकेश की शिकायत व मण्डल वाणिज्य प्रबन्धक से कर दी।
व मण्डल वाणिज्य प्रबन्धक नागेश,राकेश को अपने चेम्बर में बुलाकर बोले,"कर्मवीर अब तुम्हारे अंडर में गुड्स क्लर्क नही है।वह तुम्हारा अधिकारी है।"
नागेश ने राकेश को फटकारते हुए अपने व्यवहार में परिवर्तन लाने की चेतावनी दी थी।जिस समय नागेश ने राकेश को डांटा उस समय चेम्बर में अन्य लोग भी मौजूद थे।उनके सामने डांटना राकेश को बहुत बुरा लगा और वह गुस्से में बड़बड़ाता अपनी सीट पर आ बैठा।
"कर्मवीर तुम्हारे अंडर में था इस बात को अब भूल जाओ,"राकेश का साथी देवेश उसे समझाते हुए बोला,"अब वह अधिकारी है और तुम उसके अंडर में हो"।
52--इतिहास
मकान बेचने के बाद दोनों भाइयों ने अपने माँ बाप के बारे में विचार किया।कुछ देर तक सोचने के बाद बड़ा भाई बोला,"पिताजी मेरे पास रहेंगे।"
बड़े भाई की बात सुनने के बाद छोटा भाई बोला,"माँ को मैं अपने साथ ले जाऊंगा"।
दोनो बेटो की बात सुनकर पिता बोले,"बुढ़ापे में हम दोनों को अलग क्यो कर रहे हो।साथ ही रहने दो।"
"आपने और ताऊजी ने दादा दादी के बारे में ऐसा फैसला करते समय यह बात नही सोची।'
बड़े बेटे की बात सुनकर पिता सोचने लगे।इतिहास अपने को दोहराता है।