Cursed Treasure - 5 in Hindi Fiction Stories by Deepak Pawar books and stories PDF | शापित खज़ाना - 5

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शापित खज़ाना - 5

नागा पहाड़ो के गुफाओं के बाहर चांदनी रात के सफेदी के उजाले में वाली और राका दोनो एक विशलकाय सर्प से बात कर रहे थे जिसे देख रवि और करण के होश गायब थे पता नही दोनो कब से नीद में थे अब कितने देर बाद उठे थे । पर यहां दोनो के लिए एक नई बात हो रही है धीरे धीरे दोनो नागा पहाड़ो के इस काबिले कि भाषा सुन और समझ पा रहे थे खैर डर दोनो को लगने के बाद भी होश काबू में रखकर अब दोनों आश्चर्यजनक रूप से सामने वाली और राका की बात समझ रहे थे । अब करण रवि को इशारे में चुप रहने की बात करते हुए राका वाली और उस विशालकाय सर्प की बाते सुनने की कोशिश करता है जहां उसे सर्प की राका और वाली से चल रही बात सुनाई देती है ।
विशालकाय सर्प कहता है
ईस काबिले के सरदार को यह मालूम होना चाहिए कि बाहरी मनुष्य जो जिंदा है वह सूर्यनगर के महारानी को बर्दाश्त नही ...शांति दूत के तौर पर मै यहां संदेश लाया हूं अब तक रानी को इनके बारे में जानकारी नही है पर जल्द हो जाएगी...जो कबिले वाले सभी सर्प जो इच्छाधरी शक्ति खो चुके है उनके जीवन के लिए मुसीबत हो सकती है ...मेरे गुप्त सर्पो के अनुसार महारानी को काल द्वार से यह जानकारी अब मिली है कि कोई भविष्य से मानव अंदर प्रवेश कर चुका है पर ...यह पता करना मुश्किल है कि वह जिंदा है या मुर्दा ...
राका उसका जवाब देता है
पता नही मै क्या कहूं.. पर यह जरूर है जोम्बा कि अब 500 वर्ष के बाद हमे ऐसे मनुष्य मील गए है जो आज पैदा ही नही हुए है ..शायद इस लिए महारानी को भी इनकी कोई झलक उसके काले जादू में दिख नहीं रही है...

वाली राका की बात पर कहता है
हा शायद यही दोनों मनुष्य हमारे श्राप को हमेशा के लिए खत्म कर दे.. तभी इन्हें खुद नही पता कि यह दोनों कहा है ..क्यो है?..जरूर इसके पिछे भी कोई कारण होगा..?

विशालकाय सर्प कहता है
हम्म ..आपकी बात सही हो सकती है पर जल्द ही पूरी चाँद की रात है रानी के जादू का असर फिर हमारे इच्छाधरी सर्प प्रजाति पर पड़ सकता है ..मै नही जानता इस बार क्या होगा पर ..सरदार माफ कर दे अगर मैं चाँद की रात तक जिंदा रहा तो ऐसे ही आधा सर्प आधा इंसान बने हुए मुझे रानी का श्राप मार देगा ..समय कम है और उम्मीद ना के बराबर ..जल्द कुछ करने का समय है।
रवि और करण अब इन नागा पहाड़ो की हक़ीक़त को अच्छे से समझ गए थे उन्हें यह भी पता चल चुका था कि जो भी हो यह कोई सपना नही बल्कि हकीकत है और अब दोनों यहां है। पर ना काल पता चल रहा है ना कोई वर्ष बस अब तक मुर्दा जंगल के झरने के बाद मैदानी इलाकों के पीछे इन नागा पहाड़ो में इन इच्छाधरी सर्पो की प्रजाति के बीच खड़े है ।अब बात यह है कि अगर इन कबिले के लोगो की मद्दत नही करते है तो मरने से कोई बचा नही सकता औऱ मद्दत कर दिया तो वहां सूर्यनगर की रानी खून की प्यासी है ।

रवी अब करण को देखते हुए हिम्मत कर कहता है।
यार अभी छिपने से काम नही होगा..भाई अब या मरो या जिओ..ऐसे तो छुपकर कभी हम घर वापस नही जा पाएंगे ..।
करण उसे समझता है ।
भाई समझ रवी किसपर भरोसा कर रहा है तू...ये आधे साँप है वो भी 10 फुट 20 फुट के आधे इंसान आधे साँप । कही यही नही हमको गटक दे...।
रवि उसे कहता है।
हम्म या इनके गटक कर मौत पसन्द कर। या कुछ दिन इनकी मद्दत के लिए खड़े हो कर..कम से कम कुछ दिन जिंदगी रहेगी तब आगे की भविष्य के लिए कुछ करने लायक होंगे ना । या अभी मरना है ..बोल।
अब करण भी अपनी कुछ दिनों की जान बचाने उसके हा में हा मिलाकर उस छिपने की जगह से बाहर आ कर वाली को कहता है।
करण थोड़ा रुबाब से कहता है .. देखो अब हम दोनों आप सबकी मद्दत के लिए तैयार है। पर शर्त भी है हमारी..।

रवि बीच मे ही कह देता है ।
हा शर्त यह कि आप लोग सोरी आप सभी साँप लोग सब कुछ हमको सच बताओगे और हमको प्रोटेक्शन दोगे ..।
हालांकि प्रोटेक्शन शब्द राका औऱ उस सर्प को तो कुछ समझ मे नही आया पर वाली जो भविष्य में इच्छाधरी रूप ले कर जाता था उसे समझ आ गया था ।
रवि और करण को देख वाली और राका आपस मे देखते है इन दोनों आपस के ऐसे देखते है जेस दोनो को भी इस बात का अंदाजा था कि ऐसा ही होने वाला हो ।
ठीक इस समय वह विशालकाय सर्प जिसका नाम राका ने जोम्बा कहा था वह राका के करीब आकर अचानक वहां से पहाड़ो के बीच के एक छोटी दररार के बीच घुस जाता है और देखते ही देखते इतना बड़ा साँप चट्टान में बनी एक दरार में गायब हो जाता है ।उसके जाने के बाद राका और वाली रवि और करण के पास आते है और दोनों को साथ चलने का इशारा करते हुए उनके आगे निकल जाते है ।जिसे देखकर रवि करण भी इनके पीछे चलना शुरू कर देते है । थोड़ी देर बाद ही नागा पहाड़ो के एक जगह पर राका ,वाली,और रवि ,करण पहुँच जाते है जहां एक पानी का कुण्ड है चाँद की रोशनी में कुण्ड के अंदर खिले कमल के फूल साफ दिखाई दे रहे है जिनमे कई कमल के फूलों की पत्तियां सोने के जैसे चमक रही थी तो कई चांदी की तरह तो कुछ पत्तियां पूरी तरह हरी थी और कुछ पत्तियां मुरझा गई थी ।
पर खासियत यह थी कि हर फूल पर रोशनी की कोई कमी नही थी मानो इस कुंड में रौशनी का बारीकी से ध्यान दे कर इस्तेमाल कर दिया गया हो ।
जिसको देखकर कुछ समय के लिए रवि और करण जैसे इस कुंड के फूलों की यह शानदार झलक में खो गए हो पर जल्द ही उन्हें अहसास हो गया कि वो लोग यहां अकेले नही है । कई नागा काबिले के इच्छाधरी सर्प वहां कुंड के आसपास से बाहर आ कर खड़े होने लगे थे जिनके आधे शरीर तो मानव का दिखाई दे रहा था तो आधा शरीर पूरा साँप का । इन सबको अचानक यहां देख रवि और करण राका तथा वाली के पीछे जा खड़े हुए थे । तभी वाली ने दोनों का हाथ पकड़ा और कहा ।
डरो मत यह लोग हमारे साथी है और इस पवित्र कुंड की रक्षा करते है । यह कुण्ड इतना शक्ति शाली है कि इसमें अपने हाथ की हथेली रखने पर ही उसकी भविष्य में होने वाली घटनाओं की झलक इस कुंड में दिखाई देने लगती है ।मगर कभी कभी यह भविष्य के साथ अपनी घटनाओ को देखने वाले पर निर्भर है कि वह क्या करना पसंद करता है । इस कुंड को कब बनाया गया यह जानकारी नही है पर हजारो वर्षो से यह कुंड और यह फूल यहां ऐसे ही है । हा एक बात है अगर कुंड में कोई मनुष्य हाथ रखता है और वह इस लायक नही तो इस कुंड का एक फूल अपने आप मुरझाकर सुख जाएगा और ऐसा होने से हम पर लगा श्राप भी अधिक ताकतवर हो जाएगा । ऐसी स्थिति में वह मनुष्य जहां से आया है वहा इस कुंड के प्रभाव से वापस वही पहुँच जाएगा ।
उसकी बात काटते हुए बीच मे करण बोलता है कि क्या ऐसा होने से वापस मनुष्य अपनी जगह जाने से मतलब उसके समय मे पहुँचने पर यहां कुछ बदलता है क्या ?..
वाली उसका जवाब देते हुए गंभीर हो जाता है और फिर सभी अर्ध सर्पो की तरफ देखकर कहता है ..हा असर तो होगा अभी जो अर्ध सर्प में है वो बोलने की शक्ति खो बैठेंगे और फिर से श्राप वर्षो के लिए झेलेंगे ।
अब वाली का यह बताने का लहजा ही इतना गंभीर और सुर्ख था कि रवि और करण दोनो वहां आस पास खड़े उन नागा काबिले के सर्पो को देखने लगे जो वहां कुंड की रक्षा में खड़े थे तकरीबन 50 अर्ध सर्प में कुछ पुरुष तो कुछ स्त्रियों के रूप में खड़े इन्हें देख दोनो आपस मे एक दूसरे को देख कर बात करते है।
रवि करण के बिल्कुल नज़दीक आकर कहता है ..पता नही दोस्त यह जगदीश सेठ ने कहा फसाया है मुझको पर अब यह में भी मान चुका हूं कि शायद शहर की उस कर्ज भरी जिंदगी की कर्जदारों से भागते भागते इंसानियत से दूर हो गया था । पर अब हां यह जो हमारे साथ उस तलाब को पार करने के बाद जो हो रहा है ।हमारे साथ उससे अब के कोई सपना या स्टूडियो नही समझ रहा हु । मुझे सच समझ मे आ गया है अब इस सच्चाई को मै भी मान रहा हूं । शायद इसी काम के लिए मैं यहां पहुँचा हुँ ...दोस्त मुझे नही पता मै क्या कर रहा हु पर सच यही है कि अब में यही करने की कोशिश कर रहा हु । आगे पता नही मै वापस घर जा सकूँगा या नही यह मेने अभी सोचा ही नही है ।..
उसे सुनने के बाद करण ने उसके कंधे पर हाथ रखकर सास खीचकर कहा
चल यार अभी नक्की कर लिया तो यही सही साला ।दोनो ही करेंगे ..।
उसके यह कहने पर रवि उसके गले लगकर खुश हो जाता है और दोनों को देखकर वाली और राका भी खुशी से अपने दोस्तों को अजीब सा आवाज में नारा लगाने लगते है ।
तभी नाता और नैनी जो पहले रवि और करण को बंधक बनाकर यहां लाई थी वह वहाँ आ जाती है ।पर इस बार बड़े अदब और इज्जत के साथ दोनो से पेश आने लगती है जिसे देख रवि और करण को भी काफी खुशी मिलती है जो इस समय उनके चेहरों पर साफ दिखाई देरही थी ।
वही इस दुनिया के बाहर भविष्य में जगदीश तालाब के किनारे अब अपने कुछ लोगो के साथ खुद ही प्रोफेसर प्राण को जबरन धमकी दे कर अपने आप को यहाँ भेजने और ख़जाने की तलाश करवाने के लिए मजबूर कर देता है और अपने लोगों के साथ वह भी उसी तालाब के लकड़े वाले पुराने पुल से आगे बढ़ने लगता है । जहां कुछ समय बाद ही तालाब के किनारे फ्रोफ़ेसर जगदीश को सेटेलाइट फोन पर दिशा निर्देश देता है । और अब जगदीश अपने लोंगो के साथ आगे बढ़ने लगता है तभी वही इस तालाब पर गहरे बदल उमड़ने लगते है और हवाएं तेज होने लगती है जिसकी जानकारी बिजनस टाइकून जगदीश प्रोफेसर प्राण को देता है पर प्रोफेसर जगदीश को कहता है कि यहां ऐसा कोई तूफान नही दिखाई दे रहा है और तो ओर जगदीश तथा उसके लोंगो के कपड़ो पर लगाए गए लेटेस्ट मोर्डन टेक्नॉलजी के कैमरे भी कोई तूफान नही रेकॉर्ड कर रहे इसकी जानकारी प्रोफेसर प्राण जगदीश को देता है पर अब जगदीश यह लकड़ी के पल पर आगे बढ़ते हुए तूफान में फस गया था । इस तूफान में उसके कई लोग पूल से नीचे गिर गए थे जो कही दिखाई नही दे रहे थे जैसे तैसे जगदीश और उसके कुछ साथी लोग तूफान झेल रहे थे ।
अब सूर्यनगर की सीमा से सटे एक पहाड़ की चोटी पर बने पुराने किले के महल के अंदर सूर्य ढलते समय एक बुजुर्ग व्यक्ति जिसने किसी जादूगर के तरह कपड़े पहन रखे है ,हाथो मे रूद्राक्ष की कई मलए ,सोने के आभूषण आँखों मे सुरमा, लगाए वह एक महल के दक्षिण द्वार में लगे बड़े आईने के सामने शांत हो कर देख रहा था तभी इस आईने में हलचल से वह काफी परेशान हो जाता है और आईने के पास से थोड़ा दूर हट कर एक अन्य सिपाही को आवाज लगा देता है । जिसकी आवाज पर इस महल में तैनात एक सिपाही दौड़ कर वहां आता है जिसको यह बुज़ुर्ग व्यक्ति कहता है ।
सिपाही जल्द जाओ रानी को संदेश दो की कोई मनुष्य फिर से काल द्वार पर दस्तक दे रहा है ।