Main Sautan Nahi Hoon - 4 - Last Part in Hindi Fiction Stories by S Sinha books and stories PDF | मैं सौतन नहीं हूँ - 4 (अंतिम भाग )

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मैं सौतन नहीं हूँ - 4 (अंतिम भाग )

Final Part - 4    पिछले अंक में आपने पढ़ा कि शेखर और खुशबू दोनों अलग धर्म के होने के चलते शादी नहीं कर सके और अलग हो गए  . शेखर को जब पता चला कि खुशबू की बेटी मीना उन दोनों के पहले मिलन की देन है तब उसने मीना को आगे पढ़ने के लिए चेन्नई भेजने की पेशकश की , अब आगे पढ़ें  …. 

 

  कहानी -  मैं सौतन नहीं हूँ  ( 4 अंतिम भाग ) 

 

इस घटना के करीब दो साल बाद कोलंबो के निकट  अमूल की मदद से एक डेयरी प्लांट बन रहा था  . इत्तफाक से दो साल के लिए शेखर की पोस्टिंग उसी प्लांट में हुई  . शेखर का बेटा अंशु बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रहा था  . वह अपनी पत्नी के साथ कोलंबो आया  . कम्पनी की तरफ से फर्निश्ड बंगला मिला था  .हालांकि  मीरा  खाना घर पर ही बनाया करती थी फिर भी वीकेंड में शेखर अपनी पत्नी के साथ कभी  कभी डिनर लेने खुशबू के रेस्टॉरेंट में जाता  . अब वह अक्सर खुशबू से कुछ बातें भी करने लगा था  . मीरा ने एक दिन उस से कहा “ तुम्हें इतने बड़े शहर में और कोई दूसरा रेस्टॉरेंट नहीं मिला जो बार बार यहीं आते हो और ओनर से गप भी करते हो  . “ 


“ बात यह है कि यहाँ का खाना इंडियन है और यहाँ की सर्विस मुझे बहुत पसंद है  . “ 


“ हाँ , मैं भी देख रही हूँ  . खाना कोई एक्स्ट्राआर्डिनरी नहीं है पर मालकिन तुम पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान है  . अंशु  बता रहा था कि एक दिन तुम उसके घर भी गए थे  . “ 


“ हाँ गया था  . पर इसके पीछे कारण यह था कि मुझे खुशबू ने बताया कि उसने  मेरे जूनियर कुलीग के साथ इंडिया में पढ़ाई की है  . वह इंडिया से  यहाँ शादी के बाद आयी है और अब वह विधवा है  . “ 


“ अब समझी , इसीलिए तुम पर डोरे डाल रही है  . “ 


“ देखो , अब तुम गलत समझ रही हो  . मुझे उस औरत में कोई इंटरेस्ट नहीं है  . बस औपचारिकतावश उस से मिला था  . “ 


“ जो भी हो अब मैं यहाँ नहीं आने वाली हूँ  . तुमको जब जी चाहे चले आना  . “ 


शेखर का अब खुशबू के होटल में आना बहुत कम हो गया था , मीरा ने तो यहाँ आना बिल्कुल ही बंद कर दिया था  . वीकेंड में  शेखर मीरा के साथ  कहीं और डिनर लेता पर वीकडेज  में कभी अकेला खुशबू के रेस्टॉरेंट में जरूर जाता  . कभी शेखर अकेला जाता और मीरा पूछती कि क्या तुम वहां गए थे तो शेखर सच बता देता   . 


एक बार जब मीरा बीमार पड़ी तो शेखर  खुशबू के यहाँ से  फोन पर ऑर्डर कर के लंच और डिनर मंगवाया करता  . इस दौरान एक दिन अचानक खाना ले कर वह स्वयं पहुँच गयी  . मीरा बेडरूम में थी  . शेखर जब ड्राइंग रूम में खुशबू के साथ बातें कर रहा था तभी मीरा भी वहीँ आ गयी  और गुस्सा कर बोली “ तुम्हारी इतनी हिम्मत कि अब तुम घर पर आने लगी  . क्यों तुम सौतन जैसा बिहेव कर रही हो ? “ 


शेखर और खुशबू दोनों को मीरा से ऐसे बर्ताव की उम्मीद नहीं थी , दोनों आश्चर्य से  उसकी ओर देखने लगे  . खुशबू बोली “ बहन , आप  गलत समझ रहीं हैं  . आज हमारा स्टाफ छुट्टी पर था इसलिए मुझे आना पड़ा  . आपकी तबीयत  ठीक नहीं है , आप जा कर आराम करें  . मैं चली जाती हूँ   . “ 


“ हाँ , तुरंत जाओ और फिर इधर कदम नहीं रखना  . “ 


खुशबू के जाने के बाद शेखर ने पत्नी से कहा “ तुम्हें क्या हो गया है ? वह बेचारी तो तुम्हारा हाल चाल पूछ रही थी और खाना पहुंचा कर हमारी मदद कर रही थी  . “ 


“ वह बेचारी नहीं बहुत शातिर औरत है  . मुझे तो पहले ही दिन से वह अच्छी औरत नहीं लगी  . “ 


शेखर का बेटा अंशु छुट्टियों में कोलंबो आता था तब शेखर कभी उसे भी  खुशबू के रेस्टॉरेंट में ले जाता , कभी उसकी बेटी मीना से भी मिलवाता  . दोनों अब कुछ बड़े हो चले थे  . अंशु और मीना दोनों में बहुत कुछ कॉमन था , यह बात दोनों के मन में आती थी  . 


दो साल के बाद डेयरी प्लांट प्रोजेक्ट पूरा हो गया , प्लांट बन कर तैयार था  . श्री लंका सरकार की तरफ से शेखर को प्लांट के ऑपरेशन और मेंटेनेंस के लिए बहुत अच्छा पॅकेज और 5 साल का कॉन्ट्रैक्ट मिल रहा था  . शेखर ने इस ऑफर को स्वीकार किया  . 


पांच साल बाद शेखर का श्री लंका का कॉन्ट्रैक्ट पूरा होने वाला था .   उसे श्री लंका के दूसरे शहर में डेयरी प्लांट लगाने का ऑफर भी मिला  हालांकि उसने अभी तक फैसला नहीं किया था  . उसका बेटा अंशु और खुशबू की बेटी मीना दोनों चेन्नई के कॉलेज में पढ़ रहे थे ,  उनके कॉलेज अलग थे  .  अंशु डेयरी इंजीनियरिंग कर रहा था जबकि मीना होटल मैनेजमेंट पढ़ रही थी जिसका अधिकतर खर्च शेखर ही उठा रहा था . शेखर और मीरा कुछ दिनों के लिए चेन्नई आये थे .  इसी बीच शेखर को अचानक हार्ट अटैक आया . मीरा अपने भाई के यहाँ किसी फंक्शन में गयी थी . 


शेखर अस्पताल में भर्ती था . डॉक्टर ने उसके बेटे से कहा “ मिस्टर शेखर बिलकुल सही समय पर  आ गए वरना इनकी जान को खतरा था .  हार्ट  अटैक था , इन्हें 2 बाई पास करने होंगे .हमें  पूरी उम्मीद है ठीक हो जायेंगे पर इन्हें टेंशन से बचना होगा . किसी प्रकार के  टेंशन  से दुबारा सीरियस अटैक की आशंका है  .  “


शेखर ने बेटे को बुला कर मीना को बुलाने के लिए  कहा . मीना के आने पर शेखर ने बेटे को सच्चाई बता दी और कहा “ बेटे , यह तुम्हारी दीदी है  . अलग धर्म के होने के चलते मैं इसकी माँ से शादी नहीं कर सका  . गौर से देखो इसमें तुम्हारी मेरी झलक मिलेगी  . पर फिलहाल तुम मम्मी से कुछ नहीं कहना , समय आने पर मैं खुद उसे बता दूंगा  . इसकी मम्मी शादी के तुरंत  बाद विडो हो गयी और श्रीलंका  में  रेस्टॉरेंट चलाती है . तुम्हें याद होगा  हमलोग अक्सर वहां खाने जाते थे . तुम  छोटे भाई हो पर अपनी दीदी का  ख्याल तुम्हें रखना होगा . “ 


दो साल  साल बाद अंशु भी श्री लंका  में पापा के  डेयरी प्लांट में इंजीनियर बन कर आया  . उधर खुशबू  की बेटी ने माँ के रेस्तौरेंट का आधुनिकीकरण कर अपना बिजनेस संभाला .खुशबू को लकवा मार गया था और वह घर पर ही  रहती  .  इसी बीच शेखर को दूसरा मैसिव हार्ट  अटैक हुआ और उसका निधन हो गया . अब अंशु अपनी माँ के साथ रहता . उस में  अपने पापा का राज माँ को बताने की हिम्मत नहीं थी . 


अक्सर अंशु  मीना के होटल में आता , उस से घुल मिल कर बातें करता . कभी अंशु के साथ उसकी माँ मीरा भी होती तो उसे यह सब अच्छा नहीं लगता . वह बोली “ तू क्या इस से प्यार करता है या यह लड़की तुमको फंसाना चाहती है  . “ 


“ नो मम्मी , ऐसी कोई बात नहीं है . चेन्नई में पढ़ाई के दौरान एक दो बार इस से मिल चुका हूँ , बस . “ 


कुछ महीने बाद अंशु की शादी हुई . उसकी शादी का रिसेप्शन मीना के होटल में था . उस दिन भी मीरा ने देखा मीना अंशु को बधाई देने समय उसके गले से लिपट गयी  और उसकी आँखें छलक गयीं थीं . मीरा ने उसे आंसू पोंछते देखा तो उसे  बुरा लगा , उसने सोचा शायद अंशु को न पाने का दुःख मीना की आँखों में आंसू छलक आया होगा . 


कुछ दिन बाद अंशु अपनी पत्नी रेखा और माँ के साथ फिर मीना के होटल  में आया . मीना ने गर्म जोशी से तीनों का स्वागत कर उन्हें टेबल पर बैठाया और पूछा “ अंशु , आज तुम्हारे पापा वाला पसंदीदा डिश बना है . तुम तो खाओगे और मैम आप दोनों के लिए क्या लाऊँ ? “  मीना ने अंशु की माँ और पत्नी की ओर देख कर कहा 


मीरा ने रूखे स्वर में कहा “ हमदोनों भी वही डिश लेंगे . “ 


वे तीनों खाना खा रहे थे , मीना भी वहीँ खड़ी थी . उसने पूछा “ अंशु , कैसा लगा खाना ? “ 


“ बहुत अच्छा .बिलकुल वही टेस्ट जो पापा के साथ कभी यहाँ आने पर हुआ करता था .  “   इतना बोलते समय खाने का कुछ निवाला उसकी शर्ट पर गिर पड़ा और कुछ उसके गाल पर . मीना ने तुरंत आगे बढ़ कर उसका गाल पोंछा फिर उसकी शर्ट . 


मीरा गुस्से से आग बबूला हो उठी और बोली “ तुम्हारी बेशर्मी की हद हो गयी , बेहया लड़की . “ 

 

मीना को मानो सांप  सूंघ गया . अंशु ने आवेश में कह डाला “ मम्मी , यह लड़की और कोई नहीं खुशबू आंटी  की बेटी मीना है . “ 


“ अच्छा , तो ये बात है . इसकी माँ तेरे पापा पर डोरे डाल रही थी . उसकी दाल नहीं गली तो अब बेटी को तुम्हारे पीछे लगा दिया . तुम क्या रेखा की सौतन बनोगी ? “ 


रेखा भी मीना की हरकत पर नाराज थी , उसकी तरफ गुस्से से देख रही थी . 


मीना ने बड़े आदर से कहा “ आप नाहक नाराज हो रहीं हैं आंटी . “ 


“ खबरदार जो मुझे आंटी कहा ? हमारा और तुम्हारा बस कस्टमर और सेलर का है . जिस तरह खुशबू शेखर को नहीं पा सकी तुम भी अंशु को नहीं पा सकती हो . अगर उस  तक पहुँच भी गयी तो तुम्हारी हैसियत एक सौतन की होगी . “ 


बार बार अपने लिए सौतन शब्द सुन कर मीना को क्रोध हुआ और वह आवेश में बोल उठी  “ न तो मेरी मम्मी ने किसी पर डोरे डाला था और न मैं  रेखा की सौतन होने जा रही हूँ . मुझे अफ़सोस है कि आपको अभी तक पता नहीं है कि मैं रेखा की ननद हूँ . जब शेखर अंकल को पहला हार्ट अटैक हुआ था तब उन्होंने मुझे और अंशु दोनों को यह सच बताया था . और यह भी कहा था कि समय आने पर वे आपको भी बता देंगे . शायद उस समय के पहले अंकल गुजर गए . आई एम सॉरी मैं किसी की सौतन नहीं हूँ . और आपलोगों से किसी फेवर की अपेक्षा भी नहीं करती हूँ . बस प्रेमवश थोड़ा अपनत्व का अहसास होता है जब आपलोग यहाँ होते हैं  . हैव ए  गुड डे . “ 


मीना इतना बोल कर चली गयी और मीरा अपने बेटे की ओर देखने लगी . अंशु ने ख़ामोशी से मीना की बात को सच साबित करने के अंदाज़ में सिर हिला कर हामी भरी .  


मीरा ने मीना को आवाज दे कर अपने पास बुलाया और कहा “ आई ऍम सॉरी  बेटे ,  मैं  ये सब बातें नहीं जानती थी  . इसलिए मन में लगातार शंका बनी  रहती थी  . मैं आज ही तुम्हारी मम्मी से मिलूंगी  . मैं चाहूंगी कि शेखर का पूरा परिवार एक साथ मिल कर रहे  . “  इतना बोल कर उसने मीना को गले लगाया 


समाप्त