कहानी - मैं सौतन नहीं हूँ
डिनर समाप्त होने पर वह बिल ले कर शेखर के टेबल पर गयी . उसी समय मीरा उठ कर वाश रूम जाने लगी . शेखर ने कहा “ तुम्हारे यहाँ का खाना बहुत अच्छा था और तुम्हारी सर्विस भी . यू डिजर्व बिग टिप . “
“ मुझे भी आप टिप दोगे . मुझे टिप नहीं चाहिए . मैं इस होटल की ओनर हूँ , खास लोगों को मैं खुद सर्व करती हूँ . “
“ मैं आपके लिए खास आदमी हूँ , सुन कर अच्छा लगा . मैं एक सप्ताह के लिए श्री लंका आया हूँ . अब रोज यहीं डिनर लूँगा और अगर सम्भव हुआ तो लंच भी . “
“ थैंक्स , पर मुझे आपका तुम कहना ही अच्छा लगा था . “ इतना बोल कर खुशबू चली गयी .
खुशबू ने वेट्रेस के हाथ बिल भेजवाया और उसके ऊपर एक स्लिप अटैच कर दिया था जिस पर लिखा था - मेरा टिप इसे दे देना . मैं तुम्हारा पहला प्यार खुशबू हूँ . तुम्हें यहाँ देख कर तुम्हारे टेबल तक खिची चली आयी थी . “
शेखर ने गर्दन घुमा कर काउंटर की और देखा तो खुशबू से उसकी नजरें मिलीं , उसने मुस्कुरा कर हाथ हिलाया . तब तक उसकी पत्नी मीरा वाश रूम से लौट कर आयी और पूछा “ यहाँ किसे वेव कर रहे थे ? “
शेखर ने असली बात छुपाते हुए कहा “ यहाँ का मुझे खाना पसंद आया इसके लिए ओनर ने वेटर से हमें थैंक्स का मेसेज भेजा था . इसीलिए मैं उसकी ओर हाथ हिला रहा था . “ फिर उसने खुशबू के स्लिप पर कुछ लिख कर वापस भेजा . दरअसल उसने लिखा था - अभी मैं बात नहीं कर सकता हूँ . मेरे लिखे नंबर पर कल सुबह कॉल करना , मैं मॉर्निंग वाक पर बीच पर मिलूंगा .
यह देख कर मीरा बोली “ बिल तो पे हो गया तब अब स्लिप पर क्या लिखना पड़ा तुम्हें ? “
एक बार फिर बहाना बनाते हुए शेखर बोला “ कुछ नहीं बस मैंने कल के डिनर के लिए टेबल बुक करने के लिए लिख दिया है . “
मीरा ने शेखर का कहा मान लिया . अगले दिन जब सुबह सुबह शेखर मॉर्निंग वाक के लिए निकल रहा था मीरा ने पूछा “ आज इतनी जल्दी क्यों जा रहे हो ? तुम्हारे उठने से मेरी भी नींद खराब हो गयी है . आखिर होटल के जॉगिंग ट्रैक पर ही जाना है या कहीं और बाहर जा रहे हो ? तुम भी मेरी तरह होटल के जिम में ही वर्क आउट क्यों नहीं कर लेते हो ? “
“ इतने सारे सवाल एक साथ पूछ दिया तुमने तो सुनो . आज नींद जल्दी खुल गयी थी और जैसा कि तुम जानती हो कि एक बार नींद खुल जाने पर मुझसे बिस्तर पर बेकार लेटा नहीं जाता है . दूसरी बात आज जब नींद जल्दी खुल ही गयी है तब मैंने सोचा सामने ही सी बीच है , मॉर्निंग ब्रीज का मजा ही कुछ और है . तीसरी बात मुझे जिम में वर्क आउट करना अच्छा नहीं लगता है . सुबह की ताज़ी हवा में साँस लेने से दिन भर ताजगी महसूस करता हूँ मैं . “
शेखर होटल के सामने सी बीच पर जा पहुंचा . थोड़ी देर में खुशबू का फोन आया , वह बोल रही थी “ मुझे ताज़्ज़ुब है रेस्तरां में तुमने मुझे नहीं पहचाना , मैं तो तुम्हें देखते ही पहचान गयी थी . “
“ हाँ , शुरू में नहीं पहचान सका था पर तुम्हारा लुक काफी बदल चुका है . “
“ हाँ , सही कहा है तुमने . इन दस बारह सालों में बहुत कुछ बदल चुका है . “
“ तुम यहाँ श्री लंका कैसे पहुंची और इतने बीते दिनों में कैसा रहा तुम्हारा लाइफ ? “
“ मेरे पति का यहाँ रेस्तरां था इसलिए शादी के बाद यहीं चली आयी . “
“ और तुम्हारे पतिदेव और बाल बच्चे कैसे हैं ? “
“ मैंने कहा था न सिर्फ लुक ही नहीं बहुत कुछ बदल चुका है मेरे लिए . “
इतना बोलने के बाद खुशबू की आवाज कुछ देर के लिए बंद हो गयी . जब शेखर को खुशबू के सिसकने का आभास हुआ तो उसने पूछा “ चुप क्यों हो गयी ? सब कुछ ठीक है न फैमिली में ? “
“ कुछ भी ठीक नहीं है शेखर ? “
इसी बीच शेखर ने फोन पर किसी लड़की की आवाज सुनी “ अम्मी , आप रो क्यों रही हो और किस से बातें कर रही हो ? “
शेखर ने खुशबू की आवाज सुनी “ कुछ नहीं बेटा , इंडिया से एक जान पहचान वाले अंकल से बातें कर रही थी तब इंडिया की याद आ गयी . “
शेखर बोला “ मेरा गेस सही था . तुम रो क्यों रही हो ? “
“ यह बाद में बताऊँगी , बेटी के सामने नहीं . “
दूसरे दिन भी शेखर खुशबू के रेस्तरां में डिनर के लिए गया . डिनर के बाद जब मीरा वाश रूम गयी तब खुशबू ने बिल के साथ एक स्लिप भेजा , लिखा था “ तुम्हारा बेटा बहुत सुंदर है पर तुमसे ज्यादा स्मार्ट लग रहा है . काउंटर पर मेरे साथ हमारी बेटी बैठी है . “
मीरा को होटल में लंच या डिनर के बाद वाशरूम में हाथ मुंह धोने की आदत थी . जब वह वाशरूम से निकल रही थी उसने शेखर को एक स्लिप पढ़ते देख लिया . पर इसके पहले की वह टेबल तक आती उसने उस स्लिप को जूठे प्लेट में डाल दिया और वेट्रेस उसे ले कर जा रही थी . मीरा ने प्लेट के ऊपर उस स्लिप को देख लिया . उसने शेखर से पूछा “ आज किस बात के लिए स्लिप था . उसी औरत ने भेजा होगा . वह तुम पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान दिख रही है . “
“ नहीं ऐसा कुछ नहीं है . उसने लिख भेजा था आज सभी गेस्ट्स के लिए 10 % स्पेशल डिस्काउंट है , बस और कोई बात नहीं है . “ शेखर झूठ बोल गया
अगली सुबह फिर शेखर सी बीच पर वाक करने गया , वाक तो एक बहाना था मकसद खुशबू से मिलना था . कुछ दूर पर खुशबू भी अपनी बेटी के साथ खड़ी थी . शेखर उसके पास जा कर बोला “ ये तुम्हारी बेटी है न . क्या नाम है बेटी का ? ”
“ मीना “ मीना ने शेखर को नमस्ते अंकल कहा तब खुशबू ने बेटी को कहा “ तुम जा कर कुछ देर बॉल खेलो , वहां कुछ और भी बच्चे हैं . “
मीना के जाने पर शेखर ने कहा “ तुम्हारी बेटी बहुत सुंदर है . “
“ हाँ , हमारी बेटी बहुत सुंदर है . देखा नहीं अपने पापा पर गयी है . “
“ मैंने भी तो वही कहा तुम्हारी बेटी बहुत सुंदर है . “
“ मैंने कहा हमारी बेटी यानि तुम्हारी और मेरी …. . “
यह सुन कर शेखर हतप्रभ हो ख़ामोशी से खुशबू की ओर देखने लगा . कुछ पल तक लगातार अपनी ओर देखते हुए देख कर खुशबू बोली “ मैंने सच कहा है , मीना तुम्हारे और मेरे पहले मिलन की देन है . तुमने उसे देखा नहीं गौर से ? उसकी आँखें उसके घुंघराले बाल… . “
“ क्या कह रही हो ? “
क्रमशः