स्नेही मित्रो
नमस्कार
आशा है सब प्रसन्न ,मंगलमय हैं |
कभी-कभी हम जैसे नौसीखियों से बड़ी गड़बड़ी हो जाती है |
एक तो टाइप करना तक नहीं आता था ,आता क्या नहीं था ,हमारे ज़माने में सिखाया ही नहीं जाता था |
तो बताइए ,क्या करते भला ? एक और भी बात थी ,बड़ी अंतरंग ----
पढ़ाई का शौक किसे था ! वो बात और है कि माँ वीणापाणि को हमारे नाम के आगे डॉ.सजवाना था|
वैसे ,आज का जो माहौल है उसे देख-जानकर तो ऐसा लगता है ,बेकार ही मज़दूर बनकर हम जैसों ने घर -बाहर,बच्चे -गृहस्थी संभालते हुए ये डिग्री हासिल की |
खैर ,इतना अफ़सोस तो नहीं होना चाहिए कुछ मिला ही है |
अफ़सोस इस बात का है कि अभी तक कुछ सीख नहीं पाए ? आप पूछेंगे ,इतनी उम्र और अनाड़ी !
सच्ची बात तो यही है कि रहे अनाड़ी ही |
आपने पता नहीं सुना है या नहीं 'सब कुछ सीखा हमने ,न सीखी होशियारी ,सच है दुनिया वालों के हम हैं अनाड़ी '
हुआ कुछ यूँ कि हमारे बहुत ही प्यारे और वैलविशर मित्रों ने हमें समझाया था कि
भाई ! इस उम्र में हिरोइन बनने चली हो तो किसी मुसीबत में न पड़ जाना |
यानि ,बेवकूफ ही समझ रहे थे न वे हमें ! लेकिन क्या बताएँ --उनकी बात सही निकली और हम सच में कई बार बुद्धू बने |
अभी एक किस्सा सुनती हूँ ,मैं अच्छी प्रकार जानती हूँ ,आज की पीढ़ी हमसे कहीं अधिक समझदार आर चैतन्य है लेकिन फिर भी बुज़ुर्गों का फर्ज़ है समझाना
हमसे अगली पीढ़ी का ---अब वो माने या नहीं ,उन पर निर्भर ---
कम से कम शेयर तो कर ही दूँ !
हाँ जी ,तो हुआ ऐसा कि हमारे वाटसैप पर एक खूबसूरत चेहरे ने अचानक एक दिन जन्म ले लिया |
बड़ा प्यारा ,मन लुभा ले ऐसा चेहरा था ,साथ ही उससे भी अधिक प्यारा चेहरा उसकी गर्दन में चिपट रहा था |
भैया ! हम तो फ़िदा हो गए ,कितने सुंदर ,प्यारे से लोग हैं ?
Fb पर भी बहुत से अंग्रेज़ मित्र बनना चाहते हैं ,लंबी कतार लगी है |पर कभी उन्हें मित्र बनाया नहीं ,भैया,हमारी भाषा तक तो जानते नहीं तो ?
कभी-कभी तो तीसरी पीढ़ी के बच्चे पूछते भी हैं ।"दानी ! या तो इन्हें एक्सेप्ट करिए या फिर डीलिट करिए ,ये भीड़ क्यों जमा कर रखी है?"
सच्ची बताऊँ --मुझसे डीलिट नहीं होते ,मुझे लगता है मैं किसी की बेज़्ज़ती कर रही हूँ |
भला बताइए ,कोई दोस्ती की रिक्वेस्ट भेजे और आप उसे डीलिट कर दें ---अजीब नहीं लगता ?
मुझे तो लगता था ,लगता है --आज भी एक लंबी लिस्ट पड़ी है ,हो सकता है उसमें कुछ पहचान के हों या साहित्यिक लोग हों |
कब से सोच रही हूँ, समय ही नहीं मिलता चैक करूँ या यूँ कह लीजिए ,बहाना बना रही हूँ |
खैर तो वो जो खूबसूरत तस्वीर उभरी थी ,उसने दोस्ती की इच्छा ज़ाहिर की ,अंग्रेज़ बंदा !
भाई ! फोन नं कहाँ से मिला ?
फ्रेंड एप्प से !
अच्छा ! ऐसा भी कोई एप होता है ?
हमने तो कभी उसमें अपना नं डाला नहीं ,फिर ?
मित्रों से पूछा ---उन्होंने कहा ,ज़्यादा लाड़ में न आओ ,डीलिट करो |
हम तो उसकी टीन एज बिटिया पर ऐसे फ़िदा थे कि बस ---
खैर,कई दिनों तक नाश्ता ,खाना ,पानी पूछता रहा |
हम भी अदब से बताते रहे कि भैया हम उम्र दराज़ हैं सुबह में खाली फल ही लेते हैं |
फिर लंच के लिए ,डिनर के लिए भी यही सब चलता रहा |
बेचारा पहले ही बता चुका था कि पत्नी को गुज़रे सात वर्ष हो चुके हैं और दो बच्चों को पाल रहा है |
और भी सहानुभूति हो गई ,आखिर उसकी बच्ची हमारे ग्रैंड चिल्ड्रन से भी छोटी थी |
मन में यह शक भी हुआ कि आखिर काम क्या करता होगा,पूरे दिन भर वोट्सेप पर टंगा रहता है |
पर आजकल सभी यही तो करते हैं ,हम खुद भी तो कम करते-करते उधर उछलकर चले ही जाते हैं | क्या पता कोई हमारा नाम ही विद्वानों में प्र्पोज कर दे |
बेकार ही था कुछ सोचना ---क्या करता है ?
हाँ,उसने बताया तो था ,प्रॉपर्टी डीलर है ,सुंदर सा बंदा !
होगा भई ,हम जब इंग्लैंड गए थे तब बड़े रईस प्रॉपर्टी डीलर्स से मुलाक़ात हुई थी |
वे थे अधिकतर अपने वाले ही ,मतलब हमारे देश से | दो-एक ही थे अंग्रेज़ बंदे तो !
वैसे तो जी पूरी दुनिया ही अपनी है ,जब ऊपर वाला सबका पिता है तो सभी उसके बच्चे हुए न !
खैर ,एक दिन उसने बताया कि उसकी बच्ची का जन्मदिवस है ,वह उसके लिए शॉपिंग करने जा रहा है |
ठीक है ,करनी भी चाहिए---बेचारी बिन माँ की बच्ची !
दुनिया में कितने बिन माँ के बच्चे होते हैं ,क्या सबके साथ इतनी ममतामयी हो जाती है ? मन ने पूछा भी | इग्नोर किया हमने !
अगले दिन मैसेजआया हम उसकी 14 वर्ष पूरी करने वाली बच्ची के जन्मदिन पर शामिल होंगे तो उसे बड़ी खुशी होगी |
कैसे ? हमारे दिमाग की कुंजी तो थी नहीं हमारे पास !
एक बात ज़रूर थी ,हम अपने मित्रों को उसका लिखा हुआ सब फॉरवर्ड करते रहे जिससे उन्हें भी हमारी गतिविधियों का ध्यान रहे |
अपना पता भेज दीजिए ---उसका मैसेज था |
पर पता क्यों ? यहाँ आकर जन्मदिन मनाएगा क्या ?
आपको ,आपके घरवालों को सरप्राइज़ भेजना चाहता हूँ |
हम मुंडी उठाकर फिर दोस्तों के पास पहुँच गए |
अब बैंक एकाउंट नं माँगेगा ,दूसरे ने कहा क्या पता आपको कुछ खूबसूरत गिफ़्ट भेज दे | उन्होंने हमारी खूब खिंचाई की |
न ,भई ,हम तो इंटेरेस्टेड नहीं हैं ।हमने उत्तर दिया अपने इंडोनेशियन दोस्त को जिनका जन्म अचानक ही हो गया था |
दो-तीन बार ऐसे ही मैसेजेज़ आए ,हमने अपने दोस्तों के परामर्श पर अमल किया ,डटे ही तो रहे |
या तो आप हमें फ्रेंड लिस्ट से निकाल दीजिए या हमें एड्रेस भेज दीजिए |
अब फ्रेंड तुमने बनाया तो निकाल भी तुम ही दो ,हमने लिख दिया | हम अपने सिर पर ये बोझ क्यों लें कि हमने किसीको आउट कर दिया |
वह बार-बार रिक्वेस्ट करता रहा |हम भी दोस्तों की सलाह पर बेशरम बन ही गए | चुप्पी लगाए बैठे ही रहे |
अब ये क्या दादागिरी हुई ? हम तो सोच रहे थे कि अपनी तीसरी पीढ़ी के साथ उसकी खूबसूरत 14 साल की बच्ची के साथ पार्टी एंजॉय करेंगे |
और कुछ नही तो हैप्पी बर्थ डे ही गा लेंगे |
लेकिन ऐसा नहीं हुआ ,बार-बार यही कहता रहा वह जो पहले बता चुके हैं |
अब क्या करोगी ? आउट करोगी या नहीं ? दोस्त तो सिर पर तबला बजा रहे थे |
समझ में फिर भी नहीं आया ।हाय ! कितनी सुंदर विधाता की कृति ! उसका अपमान !
दोस्तों ने कहा ---मरो फिर
एक और मित्र की याद बड़ी शिद्दत से आई जो यूके में रहता है| उससे पूछा |
उसके कहने पर नं ,तस्वीर सभी कुछ भेज दी गईं |
लीजिए घंटा भर भी नहीं हुआ था कि उसने उसका वास्तविक नाम,पता जो यू.के का नहीं था ,भेज दिया |
अब तो काटो खून नहीं | उसे तुरंत ऑफ करके रफा दफा किया और सोचा ,मित्रों से साझा करना कितना ज़रूरी है |
अब दोस्त तो दोस्त ,ये तीसरी पीढ़ी भी दानी को हर दिन चिढ़ाती है |
बताइए क्या किया जाए ?
अगली बार फिर किसी ऐसी ही मनोरंजक लेकिन अवेयर करने वाली सत्य घटना के साथ मिलती हूँ |
तब तक मेरी बात पर गौर ज़रूर कीजिएगा |
सस्नेह धन्यवाद
आपकी मित्र
डॉ प्रणव भारती