Rasbi kee chitthee Kinzan ke naam - 7 in Hindi Fiction Stories by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | रस्बी की चिट्ठी किंजान के नाम - 7

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रस्बी की चिट्ठी किंजान के नाम - 7

तू धीरे धीरे बड़ा होने लगा और तुझे देख देख कर ज़िन्दगी पर मेरा भरोसा बढ़ने लगा। मैं ख़ुश रहने लगी। ये कितनी अजीब बात है न? इमारतें, सड़कें, पुल, झीलें, झरने, बग़ीचे, बाज़ार, मोटर, रेल, दुकानें, खेत... ये सब हमें और भी अच्छे लगने लगते हैं जब हमारे साथ कोई प्यारा सा अपना हो। हर काम में जी जुड़ता है। खाने- चहकने- खिलखिलाने की इच्छा होती है।
देखते देखते तू स्वस्थ सुंदर किशोर बनने लगा। मेरी ढलती हुई युवावस्था और तेरे पिता की मजबूती जैसे हम से निकल कर तेरे बदन में समाने लगी।
दुनिया भी खूब है। शरीर भी अपनों में अंतरित हो जाते हैं। दुनिया से जाओ तो अपने बदन से नया इंसान बना कर छोड़ जाओ।
तभी एक दिन मुझे तेरे एक दोस्त और तेरी बातचीत सुन कर एक झटका सा लगा।
मुझे पता चला कि तू हमारे घर के लिए एक जोखिम भरा ख़तरा पैदा कर रहा है।
मैं तो मन ही मन ये ठान चुकी थी कि तुझे सेना में नहीं भेजूंगी। मैंने इसके लिए मन ही मन तेरे दिवंगत पिता से माफ़ी भी मांग ली थी।
लेकिन तू तो और भी बड़ा ख़तरा पाल रहा था।
मुझे पता चला कि तू अमेरिका के सबसे बड़े पानी के झरने नियाग्रा फॉल्स पर जाता है। इतना ही नहीं बल्कि तेरे भीतर कहीं इस विशाल जलप्रपात को पार करने की लालसा पनप रही है।
दुस्साहस! बेहद ख़तरनाक कारनामा। तूफ़ान की तरह बहते पानी के जलजले में अपनी नाव लेकर जाओ और इसे सैकड़ों फीट की ऊंचाई से नीचे गिरते पानी में झौंक कर नीचे बहती नदी में लाओ!
मैं बुरी तरह सहम गई। मेरा दिल दहल गया।
तेरे पिता कभी सेना में ख़तरों से खेलते थे तो देश की रक्षा और स्वाभिमान के लिए। पर तू तो केवल अपने नाम के लिए मरने के रास्ते पर चल पड़ा था।
मैं बेचैन हो गई।
मैंने सोचा कि पहले ये पता तो लगाऊं कि तुझ पर ये अजीबो - गरीब जुनून सवार हुआ कैसे? ये ख्याल तुझे आया ही क्यों?
पहले मैंने सोचा कि तेरे दोस्त अर्नेस्ट से पूंछू। वो ही मुझे इस बारे में कुछ बता सकता था क्योंकि तू उसे बचपन से ही अपना बेस्ट फ्रेंड कहता था।
लेकिन फ़िर मैंने सोचा कि यदि मैं उससे कुछ कहूंगी तो वो तुझे बता ही देगा। और फ़िर कहीं तू ये न सोचे कि मैं तेरे काम में बाधा डाल रही हूं।
इसलिए मैंने सोचा कि पहले मैं खुद ये पता तो लगाऊं कि ये बस तेरा फितूर ही है या मिशन बन चुका है। हो सकता है कि थोड़े दिन बाद ये जोश ख़ुद ब ख़ुद ठंडा हो जाए और तू ये सब छोड़ दे।
मैं मुस्तैदी से तेरे इरादे पर नज़र रखने लगी। बेटा, मुझे माफ़ कर दे, मैं तेरी जासूसी करने लगी।
जल्दी ही मैंने पता लगा लिया कि तू अपने दोस्तों के साथ फॉल्स पर घूमने जाता था न, वहीं एक म्यूज़ियम में कुछ ऐसे लोगों के नाम की सूची लगी है जिन्होंने पहले कभी इस झरने को पार करने की कोशिश की पर सफ़ल नहीं हो सके।
मुझे सब पता है। तूने अपने दोस्तों के सामने शेखी बघारने के लिए शान- शान में ये कह दिया कि तू ये काम कर के दिखाएगा। है न?
शैतान!!!