Rasbi kee chitthee Kinzan ke naam - 1 in Hindi Fiction Stories by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | रस्बी की चिट्ठी किंजान के नाम - 1

Featured Books
Categories
Share

रस्बी की चिट्ठी किंजान के नाम - 1

आजा, मर गया तू?
मैं बरसों से चुप हूं। कुछ नहीं बोली। बोलती भी क्या? न जाने ये सब कैसे हो गया। मैं मर ही गई।
मैं यहां परलोक में आ गई। तू वहीं रह गया था दुनिया में। मैं अभागी तो रो भी न सकी। कैसे रोती? दुनिया कहती कि कैसी पागल औरत है, इस बात पर रोती है कि इसका बेटा मरा नहीं।
अरे बात तो एक ही है न। तू जीवित रहा, पर मैं तो मर गई न। बिछुड़ तो गए ही हम। मैं जब मर कर यहां आई तो मैंने तुझे खूब ढूंढा। पर तू मुझे कैसे मिलता? तू तो वहीं दुनिया में ही था।
जब मुझे पता चला कि मेरे साथ धोखा हो गया है। मैं मर गई और तू वहीं है, मरा नहीं, तो मैं चुप हो गई। कहती भी क्या? किससे कहती?
पर अब मैं बोलूंगी। मुझे तुझसे कुछ नहीं कहना। पर दुनिया को तो बताना है न।
तुझसे क्या कहूंगी? तुझे देख पा रही हूं यही बहुत है मेरे लिए। बरसों इंतजार किया है मैंने तेरा।
समय ने कैसा गुल खिलाया कि मैं, तेरी मां, बरसों से तेरे मरने का इंतजार कर रही हूं।
अब दुनिया को बताना तो पड़ेगा न, कि ये सब क्या गोरखधंधा है। नहीं तो दुनिया मुझे पागल समझेगी। धूर्त समझेगी। ऐसी पिशाचिनी समझेगी जो अपने पुत्र के मरने की बात करती है।
नहीं- नहीं, मैं अब कुछ होने से नहीं डरती, डरती हूं समझे जाने से। मैंने बहुत दुःख सहे हैं। अब नहीं।
मैं दुनिया को सब कुछ बता देना चाहती हूं।
ये दुनिया कुछ भी भूलती नहीं है रे। सब याद रखती है। हमें ज़िन्दगी तो साठ- सत्तर- अस्सी बरस की मिलती है पर लांछन सदियों के मिल जाते हैं।
याद है एक बार एक मां ने अपने बेटे के लिए राज मांग लिया और अपनी सौत के बेटे को जंगल में भिजवा दिया था। बस, इतनी सी बात थी, पर दुनिया आज तक कुछ नहीं भूली। उस मां को आज तक लोग पापन समझते हैं।
लोगों ने उस पर इतनी लानतें बरसाईं कि बाद में एक मां ने दूसरे के बेटे की जान बचाने के लिए अपने ख़ुद के बेटे की बलि चढ़ा दी। अब लोग तो उस मां को महान कहने लगे पर ख़ुद उसके बेटे के दिल से कोई पूछे। उस बेचारे की क्या ग़लती थी जो ख़ुद उसकी मां ने ही उसे मरने के लिए छोड़ दिया?
ख़ैर, जाने दे। दूसरों से मुझे क्या। मैं तो बस अपनी बात करूंगी।
जो जैसा करेगा, वैसा भरेगा।
मैं तो बस यही कहूंगी कि मैंने जो कुछ किया वो क्यों किया? क्या मजबूरी थी कि मैं तुझे, मेरे ही बेटे को वो सब करने से रोकती रही जो वो करना चाहता था।
दुनिया ये तो जानती है कि मैं तेरी मां थी, मुझे हर हाल में तेरा ख़्याल रखना चाहिए था क्योंकि तू मेरा बेटा था। तुझे वो सब करने देना चाहिए था जो भी तू करना चाहता था।
पर बेटा, ये भी तो सोच, कि मेरी भी एक मां थी।
मैं पहले तुझे ये तो बता दूं कि वो कौन थी???