लेखन तिथि 28/4/2022
कहानी 1
पात्र -
01 केतकी - आधुनिक लड़की (फैशन डिजाइनर)
02 अभय सिंह- केतकी का पति (सेना मे नायक)
03 विजय - केतकी का पिता एक (व्यवसायी)
04 संतोष - केतकी की माता (गृहणी)
05 पूरण सिंह - केतकी का ससुर (पत्रकार)
06 कस्तुरी - केतकी की सासु (गृहणी)
🍀नारी कोमल भी है और कठोर भी है, नारी चंचल भी है और स्थिर भी है, नारी सृजन भी है और प्रलय भी है, नारी संस्कार भी है और संस्कृति भी है ।
🍀नारी करूणा है दया है श्रद्धा है विश्वास है,
लज्जा है शील है नम्रता है,भोग है योग है, नारी रमणी है कामिनी है, अबला है सबला है साहस है धैर्य है उत्साह है प्रेम है समर्पण है
नारी में स्वाभाविक गुण- सहनशीलता सौम्यता, लज्जा, विनम्रता , ममता ,दया, करूणा, सेवाभाव , आज्ञाकारिता, ये सब नारी में स्वाभाविक गुण होते हैं । किन्तु इन गुणों का त्याग नारी जब कर दे तो फिर उसे कोई नहीं पहचान सकता कि उसका कैसा व्यक्तित्व है
केतकी की कहानी -:
मुम्बई में केतकी का (2BHk ) जिसमें माता पिता व एक दिव्यांग भाई के साथ रहती है । भाई उम्र में बड़ा अपने पिता के साथ उनके निजी उद्योग (फेक्ट्री) मे हाथ बंटाता है । माता मेट्रिक फेल किन्तु कुशल गृहणी घर को साफ सुथरा व व्यवस्थित रखती है । केतकी के पिता 1989 में राजस्थान से मुम्बई में आये थे और यही रहकर व्यवसाय करने लगे । केतकी का जन्म 1990 मे अंधेरी मुम्बई के सरकारी अस्पताल में हुआ था वह यहीं पर पढ लिखकर बड़ी हुई । पिता की इच्छा थी कि इसका विवाह राजस्थानी ( सजातीय) से हो उसने अपने रिश्तेदारों से कह रखा था कोई योग्य लड़का हो तो बताना । केतकी के मौसा ने एक रिश्ता बताया बायोडाटा व फोटो लड़के की भेज दी लड़का फौज मे अफसर है यह सब सुनकर घरवाले बहुत खुश हुए दोनों पक्षोों की रज़ामदी
से विवाह तय हो गया । मई 2010 में केतकी का विवाह राजस्थान में अभय सिंह के साथ बड़ी धूमधाम से कर दिया गया केतकी ससुराल के लिए बिदा हुई...एक तो चेहरे पर मेकप दूसरी भारी भरकम विवाह की चुनरी ...वह थोड़ी असहज हो रही थी ससुराल से मिले गहनों ने और असहज बना दिया था .. दो दिन से ठीक से सोई भी नही थी केतकी ..पहले दिन महिला संगीत.. दूसरे दिन ..रात्रि में विवाह की रस्में.. अब कोई हंसी मजाक भी करता था तो केतकी को गुस्सा आ जाता था पर वह अंदर ही उसे रोक लेती बनावटी मुस्कान चेहरे पर ले आती ।
अभय (केतकी का पति ) के रिश्तेदारो की मुंह बोली बहिने भी दूल्हे की कार में ही थी
केतकी का भाई बहिन से मिलने आया उसे लड़खड़ा कर चलते देख सभी मुंह बोली बहिने उसके लिए रास्ता बनाने लगी आवो आवो इधर से .. देखो थोड़ा सम्भलकर.. केतकी की नजर.. भाई पर पड़ी .. गले लगी और बोली ठीक से रहना मम्मी पापा का ख्याल रखना ..अब तुम जाओ मै फोन से बात करती रहुंगी , मुंह बोली बहिन हंसकर बोली इनको साथ ही ले चलो .. सभी ठहाका मारकर हंसने लगे ..केतकी भी मुस्कुराई .. दूल्हा अभय सिंह केतकी को देख कर मुस्करा दिया ।
अब बिदाई के गीत केतकी के कुटुंब की महिलाएं गाने लगी ...हां रे म्हारा भंवरा फेरि मिलांगा सा ओल्यू थारी आयसी... गीत सुनकर केतकी रूहांसी सी हो गयी ..किसी ने कान में कहा मेकप खराब हो जायेगा केतकी ने अपने आपको संभाल लिया । गाड़ी रवाना हुई सुबह के 8 बज रहे थे ..मोबाइल पर घंटी बजी दूल्हे के मित्र ने जेब से फोन निकाल कर देखा..यूनिट से सीएचएम का फोन ??..उसके चेहरे का रंग बदल गया वह झिझकते हुए बोला रामराम सर ..
क्रमश-