Secret Admirer - 40 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Secret Admirer - Part 40

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Secret Admirer - Part 40

"आपने सबके सामने ऐसा क्यों कहा?" अमायरा ने पूछा जैसे ही वोह कमरे के अंदर आई।

"क्या? क्या तुम नहीं चाहती कि तुम्हारी मॉम यहां पर रहे?" कबीर ने बेगुनाही का बहाना बनाते हुए पूछा।

"आप अच्छी तरह से जानते हैं कि मैं इस बारे में बात नहीं कर रही हूं?"

"तो फिर तुम किस बारे में बात कर रही हो?"

"मैं..... मैं उस बार में बोल रहीं हूं जो आपने कहा मेरा पति होने के नाते।"

"तो? क्या मैंने कुछ गलत कहा? क्या तुम मेरी वाइफ नहीं हो?" कबीर ने भी पलट वार किया।

"छोड़िए। आपको कुछ चाहिए? आपने मुझे यहां क्यों बुलाया?"

"वोह मैंने सोचा कि शायद तुम्हें मुझे थैंक यू कहना है। और वहां सबके सामने तुम्हें ऑकवर्ड फील होगा इसलिए मैंने तुम्हारी मदद करने की सोची और तुम्हें यहां बुला लिया।"

कबीर ने जो कहा उसे सुन कर अमायरा को शर्मिंदगी महसूस होने लगी की उसने अभी तक खुद से कबीर को थैंक यू क्यूं नही कहा। उसने उसकी मॉम को यहां रुकने के लिए मना लिया था, जो की उसे खुद करना चाहिए था। हॉस्पिटल में उस रात के बाद से अमायरा ने थोड़ी दूरी बना ली थी अपनी मॉम से। वोह उनका ध्यान रखती थी, नॉर्मली बात करती थी, पर फिर भी थोड़ी दूरी बना कर रखती थी, इस डर से की कहीं वोह खुद को कोई तकलीफ न पहुंचा दे। आज सुबह जब उसकी मॉम नमिता जी ने कहा कि वह अपने घर वापस जाना चाहती है तो अमायरा चाहती थी कि वह यहीं रुके, वोह उनकी तबीयत के लिए चिंतित थी। पर कुछ कह न सकी। वोह नही जानती थी की इस घर में कभी वोह उनसे बात भी कर पाएगी या नही। वोह इस घर की सबसे बड़ी बहू है, पर फिर भी अभी तक उसने अपने बड़े होने का रौब नही दिखाया था। उसे अपने ऊपर सय्यम रखना आता था। वोह नही जानती थी की पूरे हक से क्या वोह अपनी मॉम को इस घर में रोक सकती है की नही। क्या उसे यह अधिक है या नही। वोह अभी भी अपनी मॉम से नाराज़ थी और गुस्सा भी थी। और उसकी नाराज़गी उसे रोक रही थी अपनी मॉम को यहां रोकने से और उन्हे यह जताने से की कितनी परवाह और चिंता है उसे उनकी।

जब कबीर ने आ कर सब संभाल लिया और उसकी मॉम को यहां रुकने के लिए मना लिया तोह अमायरा को राहत महसूस हुई, वोह खुश हो गई की उसकी की चिंता करने की उसे अब कोई जरूरत नही है। वोह यह मानती थी की जो वोह करना चाहती थी वोह कबीर ने कर दिया था पर उसे खुद हिम्मत नही थी। और क्योंकि यह काम कबीर ने बिना अमायरा के कहे कर दिया था इसलिए उसे और भी ज्यादा शर्मिंदगी महसूस होने लगी थी। लेकिन तब तक जब तक की कबीर ने यह नहीं कह दिया था की उसे उसकी मॉम को मॉम कहना का हक है अमायरा का पति होने के नाते। अब अमायरा गुस्सा हो चुकी थी और उसे एंबेरेस फील होने लगा था सबके सामने। हां यह बात अलग है की कबीर ने को किया था उसके लिए वोह थैंक्स जरूर कहना चाहती थी।

"थैंक यू सो मच मिस्टर मैहरा। मुझे बहुत चिंता होने लगी थी उनकी तबियत को लेकर। थैंक्स की आपने उन्हे यहां रुकने के लिए मना लिया।"

"वोह हमारे परिवार का हिस्सा है अमायरा। इसमें थैंक यू बोलने की जरूरत नहीं है। मुझे तोह यह समझ नही आता की तुमने खुद क्यूं नही उन्हे मनाया?" कबीर ने सीरियस होते हुए पूछा और जो चिढ़ाने काम वोह करने आया था उसे एक तरफ कर दिया।

"मुझे.....मुझे नही पता"

"क्योंकि तुम अभी भी उनसे गुस्सा हो।" कबीर ने सीधे कहा और अमायरा चुप रही।

"अमायरा। वोह तुम्हारी मॉम हैं। तुम पूरी जिंदगी उनसे गुस्सा नही रह सकती। तुमने अपने आसपास जो दीवार खड़ी कर रखी है उससे बाहर आओ जिस वजह से तुम किसी और को भी अपने नजदीक आने नही दे रही हो।"

"आप यह कह रहें हैं? क्या आप वोह नही थे जिसने मुझे कहा था की वोह दी और मुझमें फर्क करती हैं? कौनसी मां ऐसा करती है? उन्होंने मुझे ऐसे क्यों ट्रीट किया की मैं एक गोद ली हुई औलाद हूं?" अमायरा के बोलते बोलते आंसू बह गए और कबीर ने आगे आ कर उसे गले से लगा लिया।

"मैं नही कर सकती मिस्टर मैहरा। मुझे नही पता की मुझे क्या हुआ है, लेकिन मैं अब वोह पहले जैसी अमायरा नही रही जो उनकी खुशी के लिए हर मुमकिन कोशिश करती थी।" अमायरा कबीर की बाहों में रो पड़ी थी और कबीर चाहता था की वोह अपना मन हल्का कर ले।

"तुम अभी भी वोही अमायरा हो। जो अपनी खुशियों के आगे दूसरों की खुशियों की ज्यादा अहमियत देती थी। बस अभी तुम पर थोड़ा गुस्सा हावी हो गया है। जाने दो अमायरा। तुम्हे क्या लगता है किसी ने नोटिस नही किया होगा की उन्हे दवाइयां देने अलावा तुम उन्हे हर बार इग्नोर करती हो? सब ने नोटिस करते हैं। और मुझे पूरा यकीन है की मॉम ने भी नोटिस किया होगा।" कबीर ने कहा।

"आप अब उनसे गुस्सा नही है?" अमायरा ने पूछा। उसे आंसुओं की वजह से धुंधला दिखने ने लगा था। उसने अपने आंसू साफ किए मगर वो फिर भर गए।

कबीर ने अमायरा को सोफे पर बैठाया और उसके सामने पानी का ग्लास बढ़ा दिया। जब अमायरा पानी पीने लगी तोह वोह भी उसके पास ही बैठ गया।

"मैं था। मैं था उनसे नाराज़ जब मुझे लगता था की उन्होंने जबरदस्ती तुम्हे मेरी जिंदगी में थोप दिया है। पर बहुत पहले ही मेरा गुस्सा, मेरी नाराज़गी खतम हो गई थी। तुम मुझे सेलफिश के सकती हो, पर मैने उन्हे माफ कर दिया था बल्कि उससे पहले ही जब मुझे यह एहसास हुआ था की मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं। जब मुझे यह रियलाइज हुआ था की तुम्हारे रूप में मुझे एक अच्छा दोस्त मिल गया है, मैने उन्हे माफ कर दिया था। पर बात मेरी नही है, बात तुम्हारी है। तुम उनसे प्यार करती हो अमायरा। तुम उनसे इस तरह दूर नही रह सकती। एस्पेशियल अभी जब वोह यहां हमेशा के लिए रहने वाली हैं।" कबीर ने कहा और अमायरा धीरे धीरे घूट भरने लगी।

"मैं उनसे क्या बात करूं?" अमायरा ने मासूमियत से पूछा और कबीर मुस्कुराने लगा।

"वोह तुम्हारी मॉम हैं अमायरा। तुम जानती हो की तुम्हे कब और क्या बात करनी है। और अगर तुम्हे अभी भी उनसे मन में बैर है तोह तुम जा कर सीधे सवाल करदो की उन्होंने ऐसा क्यों किया। शायद उसके बाद तुम उनके फर्ज नज़दीक आने लगो। शायद उनके पास कोई जवाब हो की उन्होंने हमेशा तुम्हारे बदले इशिता को ऊपर क्यों चुना। या फिर उन्होंने कभी ऐसा नोटिस ही नही किया हो की वोह फर्क कर रहीं हैं और जाने अंजाने में भूल हो गई हो। कुछ भी हो तुम्हे तो जवाब मिल ही जायेगा। अपनी मॉम से ज्यादा दिन दूर मत रहो स्वीटहार्ट। हम सभी को मोम जिंदगी में सिर्फ एक बार ही मिलती है। इससे पहले कि ज्यादा देर हो जाए तो मैं उनसे बात कर लेनी चाहिए।" कबीर ने कहा और अमायरा सोचने लगी।

"कोई बात नहीं बेबी। वोह यही है। तुम जाकर उनसे बात कर लो और अपना मन हल्का कर लो। तुम जानती हो कि तुम भी यही चाहती हो।" कबीर ने कहा और अमायरा ने अपना सिर हिला दिया।

"मैं करूंगी। पर शायद आज नहीं। लेकिन जरूर कर लूंगी।" अमायरा ने जवाब दिया और कबीर मुस्कुराने लगा।

"गुड। अब शांत हो जाओ। मैं नौकरी करता हूं और मुझे उसे करने जाना होगा। लेकिन मैं इस कमरे से तभी बाहर निकलूंगा जब मैं श्योर हो जाऊंगा की तुम मेरे जाने के बाद रोओगी नही।" कबीर ने कहा और अमायरा उसे हैरान सी देखने लगी। वोह जानती थी की कबीर एक बिज़ी इंसान है जो की 24*7 काम करता है। पर फिर भी अभी यहीं बैठा उसके आंसू पोंछ रहा था। उसने तब भी नही कुछ सोचा था जब अमायरा ने उसे मंडे और फ्राइडे को साथ बिताने के लिए दिन चुने थे।

*पर यह तोह उन्ही के फायदे के लिए था। जितनी जल्दी वोह यह बात को समझेंगे उतनी जल्दी वोह अच्छा महसूस करेंगे और अमायरा भी।*

"मैं नहीं रोऊंगी। आप जाइए। मैं ठीक हूं। थैंक यू मिस्टर मैहरा।" अमायरा ने कबीर की तरफ मुस्कुराते हुए देखा।

"तुम सच में मुझे थैंक यू कहना चाहती हो?"

"हां। पर मैने तोह कह भी दिया था।" अमायरा असमंजस सी कबीर को देखें लगी।

"अगर तुम सच में मुझे थैंक यू कहना चाहती हो तो मुझे मिस्टर मैहरा कहना बंद करो और अब से मुझे सिर्फ कबीर बुलाया करो।" कबीर अपनी मुस्कुआती आंखों से उसे देख रहा था।

"मैं ऐसा नहीं करूंगी।"

"क्यूं?"

"क्योंकि अगर मैं आपका नाम लेकर पुकारूंगी तो आपको मुझसे और नजदीकी महसूस होने लगेगी।" अमायरा ने कबीर को छेड़ते हुए कहा और कबीर फिर हस पड़ा।

"ओके। तोह तुम मुझसे डिस्टेंस मेंटेन करना चाहती हो। अभी के लिए ठीक है। पर मैं तुम्हे पहले ही बता दूं की मैं आगे भी ऐसा नहीं रहूंगा। अगर तुम मुझे मेरा नाम पुकार कर थैंक यू नहीं कहना चाहती तो मेरे पास एक दूसरा रास्ता भी है। तुम मुझे कसकर गले लगा लो।" कबीर ने कहा और अमायरा की हैरानी से आंखें फैल गई।

"क्या...... मैं ऐसा कुछ भी नही करूंगी। आप जाइए यहां से।"

"मैं इस कमरे से तब तक बाहर नहीं निकलूंगा जब तक की तुम मेरी दोनो में से कोई एक बात नही मान लेती। और मैं तुम्हे भी जाने नही दूंगा भले ही पूरा दिन बीत जाए।" अमायरा इमेजिन करने लगी अगर ऐसा हुआ तोह और फिर खुद ही शर्मिंदा होने लगी अचानक।



















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