Tuta Dil - 4 in Hindi Love Stories by Samriti books and stories PDF | टूटा दिल - भाग 4

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टूटा दिल - भाग 4

सिद्ध को युविका के ख़्याल आ रहे थे पर वो उसके बारे में सोचना नही चाहता था... वो अपने लेपटोप में लग जाता है।
आगे...........
रात के ११ बज रहे थे। सिद्ध बहुत परेशान था। उसका सिर दर्द के मारे फटा जा रहा था। उसने लेपटोप बंद कर दिया और लेट गया। उसने आँखे बंद की पर वो फिर से युविका के बारे में ही सोचने लगा।
सिद्ध जब से घर आया था वो बस युविका के बारे में ही सोच रहा था। वो उससे बात करना चाहता था। उसने फ़ेसबुक पर उसका नाम ढूँढने की कोशिश की। १ घंटे की कोशिश के बाद उसे युविका की आईडी मिल गयी।शायद ये उसकी ही आईडी थी। सिद्ध थोड़ी देर तक उसकी फ़ोटो देखता रहा पर उसमें एक भी फ़ोटो उसकी नही थी। पूरा दिन वो यही सोचता रहा था कि उससे बात करे या ना करे। रात के १ बज गए थे पर वो अब तक समझ नही पाया था कि वो उसके पास मैसेज करे या ना करे। तभी उससे ग़लती से रिक्वेस्ट भेजी गयी। वो रिक्वेस्ट हटाने ही वाला था कि तभी रिक्वेस्ट अकसेप्ट होने ही नोटिफ़िकेशन आ गयी। रात के १ बजे वो जाग रही थी।
सिद्ध ने जैसे ही नोटिफ़िकेशन देखी उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा था।
“हेलो” - बहुत हिम्मत करके उसने मैसेज लिखा और भेज दिया।
“Hii” तभी रिप्लाय आया।
“तुम अब तक जाग रही हो??
“हमम्म... तुम भी तो...”
“वो मैं तो बस ऐसे ही...”
“हाहाहा... मुझे रात को नींद नही आती तो बस इसलिए फ़ेसबुक पर स्टोरीज़ पढ़ रही थी..”
“कैसी स्टोरीज़...मतलब तुम्हें कैसी स्टोरीज़ पसंद है..??”
“लव स्टोरीज़...”
तब उनकी बाते शुरू हो गयी।
और बाते करते करते कब सुबह हो गयी थी उन्हें पता ही नही चला था।
सिद्ध के चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गयी थी। वो दोनो कितना ख़ुश थे।ये पहली बार था जब सिद्ध ने किसी लड़की से बात की थी। और उस दिन के बाद से उनकी हर रोज़ बातें होने लगी थी। दोनो अपनी ज़िंदगी में आने वाली हर परेशानी को और ख़ुशी को एक दूसरे से साँझा किया करते थे। पर अब तुम्हें क्या हो गया युविका जो ये सब किया।
तभी सिद्ध के कमरे का दरवाज़ा खुला। विशाल आया था। उसने कमरे में आते ही...
“तुम ठीक हो????” विशाल ने एक दम से पूछा।
“हम्म ... क्यूँ क्या हुआ...??”
“ युविका की कॉल आयी थी वो तुमसे बात करना चाहती है...तुमने बताया क्यूँ नही कि उसका फ़ोन आ रहा है??”
सिद्ध कुछ नही कहता। उसकी आँखे भर गयी थी।
वो बस विशाल के गले लग जाता है। और फूट फूट कर रोने लगता है।
“ मैं क्या बात करूँ उससे...... वो क्यों मुझे इस क़दर परेशान कर रही है.... मैं ख़ुद को अब उससे दूर रखने की कोशिश कर रहा था तो अब वो मुझसे क्या चाहती है..... यार मैं ठीक नही हूँ..... मैं अब उससे दूर रहना चाहता हूँ पर उसके ख़्याल मुझे मार डालेंगे.... “
“तू शांत हो जा...” विशाल उसे चुप करने की कोशिश करता है।
“यार मैं उसे ख़ुश देख कर ख़ुश हूँ....पर वो यूँ इस तरह फ़ोन ना करे.... तू उसे बोल कि मैं उसकी ज़िंदगी से चला गया हूँ....”
“तू चुप तो हो... मैं बोलता हूँ उसको”
“ये देख उसकी तस्वीरें.... कितनी ख़ुश है वो... मैं तो उसे ख़ुश रख ही नही पाया शायद....” सिद्ध ने फ़ोन में युविका की तस्वीरें दिखायी।
विशाल ने फ़ोन लिया और एक तरफ़ रख दिया।
“सुन.... हम कल ही दिल्ली जा रहे है... अपना समान पैक कर ले...अब यहाँ एक दिन भी नही रुकेगा तू....” विशाल ने सिद्ध को सम्भालते हुए कहा।
पूरी रात यूँ ही सिद्ध को सम्भालते हुए गुज़र गयी।
अगले दिन...
“अंकल जी... हम दोनो आज ही दिल्ली जा रहे है... दाख़िले के कुछ काम है...” विशाल ने सिद्ध के पापा से कहा।
सिद्ध के माँ पापा को अजीब तो लगा पर उन्होंने उनको जाने दिया।

स्मृति