तेज़ धुआं उठ रहा था। चारो ओर आग ही आग थी। आग की लपटे उन यादों को भी ले जा रही थी जो कुछ देर पहले बीते थे। सबिता अपनी खाली आंखों से रेवन्थ सेनानी के फार्म हाउस को जलता हुआ देख रही थी।
उसने महसूस की या देव ने हल्का सा उसका हाथ दबाया है, उसे यह एहसास कराने के लिए अब सब ठीक है। फिर उसने उसके हाथ को अपने होंठों के पास ले जा कर चूम लिया।
"अब घर चलते हैं, बेबी," देव ने कहा और उसे उस तरफ ले जाने लगा जहां गाडियां उसका इंतजार कर रही थी।
सबिता ने देख की उनमें से एक कार में अनिका बैठी थी। अनिका ने जब सबिता को देखा तोह वोह फीका मुस्कुरा दी। अनिका बहुत थकी हुई लग रही थी। अभय उसके पीछे ही खड़ा था। वोह उन्हे आता देख अपनी गाड़ी में अनिका के साथ बैठ गया और उसे अपनी बाहों में पकड़ लिया। देव भी सबिता को लेकर दूसरी कार में बैठ गया और अभय की तरह ही सबिता को देव ने अपनी बाहों में जकड़ लिया।
पूरे रास्ते सबिता बिलकुल चुप थी। वोह बहुत थकी हुई थी। वोह अपने दिमाग में कोई भी ख्याल, कोई भी भाव, कोई भी इमोशंस नही आने दे रही थी। वोह ऐसे ही गुमसुम सी अच्छा महसूस कर रही थी। देव भी सबिता की हालत समझ रहा था इसलिए वोह भी चुप था। वोह उसे अब अपने से दूर नही जाने देना चाहता था। उसने उसका हाथ कस कर पकड़ा हुआ था और उसका सिर अपने सीने से टिका दिया था। वोह उसके बालों में बार बार चूम रहा था, इस एहसास को जीने के लिए की वोह हकीकत में है और उसे कुछ नही हुआ है। वोह है इसे पास, उसके साथ।
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सूरज उगने से पहले ही देव और बाकी सब सिंघम मैंशन पहुंच चुके थे।
देव सबिता को अपने कमरे में ले गया। उसने उसे बाथरूम में ले जा कर शावर के नीचे खड़ा कर दिया। पहले उसने सबिता के शरीर से खून के धब्बों को धोया और फिर अपने शरीर पर से धोया। सबिता गौर से देव को देख रही थी। देव का ध्यान बस सबिता पर था। वोह बार बार प्यार से आराम से उस जगह साबुन लगा रहा था जहां खून के धब्बे और कट्स दिख रहे थे। जब उसने सबिता के आंखों के किनारे पर छुआ तोह दर्द से सबिता तड़प उठी। एक हल्की सी चीख उसके मुंह से निकली। तुरंत ही देव घबरा गया।
"आई एम सॉरी। मैं तुम्हारे पास नही था और जल्दी भी नही आ पाया," देव ने अफसोस जताते हुए कहा।
"देव तुम ऑलमोस्ट दूसरी साइड थे शहर के। तुम मेरी एक्सपेक्टेशन से बहुत जल्दी ही आ गए।"
देव ने अपना सिर ना में हिला दिया। "मुझे तुम्हारे आस पास ही रहना चाहिए था। या फिर छोड़ के ही जाना नही चाहिए था जबकि में जनता था की सिचुएशन थोड़ी टेंस्ड है और ऐसा कुछ हो सकता है।"
"सिचुएशन उस वक्त इतनी खराब नही थी।" सबिता ने धीरे से कहा। "इसमें तुम्हारी कोई गलती नही है। रेवन्थ सेनानी सिर्फ मेरे पीछे था, उसे तुमसे कोई मतलब नही था। उसे तुम्हारे उसकी बहन की शादी करने में भी कोई इंटरेस्ट नहीं था।"
अपने कांपते हुए हाथों से देव ने सबिता का चेहरा थाम लिया। "पर मुझे तोह इस संभावना का भी ध्यान रखना चाहिए था ना। वोह आदमी तुम्हारे लिए पागल था। मुझे राणा को ढूंढने के लिए अभय और इन्वेस्टिगेटर पर ही छोड़ देना....."
"देव।" सबिता ने आराम से उसे पुकारा। "तुम्हे पता है की मैं लाचार नही थी या मुझे किसी की जरूरत होगी अपने आप को बचाने के लिए। तुम हर वक्त तोह नही रह सकते मेरे साथ। असल में....."
"असल में, क्या?" देव ने पूछा जब सबिता बोलते बोलते रुक गई थी।
सबिता ने दर्द से भरी गहरी सांस ली और फिर आगे सॉफ्टली कहा, "असल में तुम्हे हमेशा मेरे साथ बंधे रहने की जरूरत नहीं है।"
देव हैरान रह गया। "व्हाट?"
सबिता ने एक और गहरी सांस ली। "तुम्हारे आदमियों ने मुझे देख लिया था, देव। उन्हे लगता होगा की मेरा रेप हुआ है।
देव उसे अपनी हैरान नज़रों से देख रहा था। उसकी आंखे हैरानी से हल्की फैल गई थी।
"मेरा रेप नही हुआ है, देव," उसने सॉफ्ट्ली अपनी सच्चाई कही। "इससे पहले वो कुछ करता, मैने उसका गला काट दिया था। पर मैं तुम्हे यह बताना चाहती हूं की मै समझती हूं। मैं जानती हूं की सिंघम शुद्धता पर विश्वास रखते हैं और हर सिंघम का खून एकदम प्योर है। मैं पहले ही एक लोअर क्लास को बिलॉन्ग करती हूं। उसमे भी मैने एक बार किसी और के बच्चे को जन्म दिया हुआ है। और अब तुम्हारे लोग सोचेंगे की मैं......"
"स्टॉप।" देव ने धीरे से कहा।
सबिता ने देखा की देव को उसकी बातों का कितना बुरा लगा था। "तुम मुझे इतना घटिया समझती हो की मैं तुम्हे छोड़ दूंगा, उन बेवकूफ पक्षपात लोगों की वजह से?" देव ने पूछा।
सबिता चुप रही।
"आई लव यू।" देव ने कहा बहुत सारे इमोशंस के साथ जिससे सबिता एक दम हिल सी गई। "मैं तुम्हे हमेशा प्यार करता रहूंगा, चाहे कुछ भी हो जाए। अगर हमारे मिलने से पूरी दुनिया भी जल क्यों न जाए तो भी मैं पीछे नहीं हटूंगा। तुम मेरी हो और मैं तुम्हारा। समझी तुम?"
सबिता का प्रैक्टिकल दिमाग जनता था की असल में जीना इतना आसान नहीं है। वोह जानती थी की अगर देव उनकी शादी अनाउंस करेगा तोह पक्का सिंघम राज्य के अंदर हिंसा और खूनी लड़ाई शुरू हो जाएगी। सिंघम के लोग कभी एक लोअर क्लास की लड़की, और वोह भी दुश्मनों की, को कभी भी सिंघम की दुल्हन नही बनने देंगे। अगर सिर्फ कुछ ही लोग इसके अगेंस्ट होते तोह उससे तोह अकेले सबिता की डील कर लेती। पर यहां बहुत सारे थे। क्या क्या खतरा और नुकसान हो सकता है यह सोच कर वोह थोड़ा घबरा गई।
देव ने सबिता का चहरा थामा ताकि वोह उसकी आंखों में देख सके।
"बताओ! कैसे मैं तुम्हे यकीन दिलाऊं की मैं तुम्हे बिना किसी वजह के बिना किसी शर्त के बहुत प्यार करता हूं, जिद्दी लड़की।" देव ने दुखी होते हुए कहा।
फिर देव ने एक गहरी सांस ली क्योंकि उसे रियलाइज हुआ की वोह सबिता पर चिल्लाने लगा था।
"आई एम सॉरी," देव ने प्यार से कहा। "तुमने पहले ही बहुत कुछ सहा है। हम अभी इस बारे में बिलकुल बात नही करते की कौन हमारे साथ को एक्सेप्ट करेगा या नही।"
सबिता ने सिर हिला दिया।
देव ने शावर बंद कर दिया और उसे टॉवल से पोछने लगा। देव का ही एक साफ सुथरा शर्ट पहन कर सबिता बाहर आ गई। देव ने उसे बैड पर लेटाया और उसके पास ही वोह भी लेट गया। उसने उसे अपने कंधे पर सुला के बाहों में भर लिया।
"सिंघम के लोग इस बकवास पर यकीन नही करते, यह प्योरिटी और ब्लडलाइंस, सबिता। कम से कम मेरी फैमिली के लोग तोह बिलकुल नहीं।" देव ने प्यार से कहा।
वोह चुप रही।
"मेरी माँ का रेप हुए था उनकी शादी से पहले," देव ने आगे कहा।
"क्या?" सबिता चौंक गई थी। वोह बिलकुल भी नहीं जानती थी और नाही कभी उसने सुना था ऐसा कुछ अरुंधती सिंघम के बारे में।
"यह तब हुआ था जब मेरे डैड ने नीलांबरी के साथ अपनी सगाई तोड़ दी थी," देव ने कहा।
"किसने किया था?"
"तीन आदमी प्रजापति राज्य से।" देव ने जवाब दिया। "उन्हे इस बात से दिक्कत थी की मेरे डैड ने सालों पुरानी परंपरा को तोड़ कर खुद की पसंद की लड़की से शादी करने का फिसला किया था। उन्होंने मेरी मां पर हमला किया जब वोह अकेली थी और उन्हे लगभग मरा हुआ छोड़ गए। उन्हे लगता था की विजय सिंघम एक ईमप्योर लड़की को कभी एक्सेप्ट नही करेंगे और उसे धूतकर देंगे की शायद वोह उस रेप से प्रेगनेंट ना हो जाए और किसी और का बच्चा जन्म दे।"
देव एक खास इरादे से सबिता की आंखों में देखने लगा। "वोह आदमी गलत थे। इससे तोह मेरे डैड का प्यार मेरी मॉम के लिए और बढ़ गया था। पहले तोह मेरे दादा जी और दीदी जी नही चाहते थे की पुरानी परंपरा टूटे लेकिन बाद मेरे मां और डैड का आपस में प्यार देख कर वोह मान गए। एस्पेशियली मेरी दादी, उन्हे मेरे डैड पर गर्व था। लोगों ने इसका जम कर विरोध किया जबकि मेरी मां यहीं सिंघम एस्टेट में ही पली बढ़ी थी और वोह उन्हे प्यार भी करते थे। बहुत हिंसा हुई थी उस वक्त पर मेरे दादा, दादी और डैड ने सब संभाल लिया था। इसमें समय लगा, लेकिन आखरी में सब को एक्सेप्ट करना ही पड़ा। और जब उन्होंने मेरी मां को एक्सेप्ट कर लिया तोह फिर वोह उन्हे और उनके बच्चों दोनो को ही प्यार करने लगे।"
सबिता अंदर से हिल गई जब देव उसे अपनी पेरेंट्स की स्टोरी सुना रहा था। उसने भी सुना था की विजय सिंघम ने प्रजापति के चार आदमियों को मार दिया था, पुराना परंपरा तोड़ कर अरुंधती सिंघम से शादी करने से पहले। वोही पहली और आखरी हिंसक लड़ाई हुई थी। अब वोह जान गई थी की उस हिंसा का असली कारण क्या था।
"क्या तुम्हे कभी भी मुझसे नफरत नही हुई इस बात से की मैं भी एक प्रजापति हूं क्योंकि प्रजापति की वजह से ही तुम्हारे पेरेंट्स और फैमिली के साथ यह हुआ था?"
"नही।" देव ने जवाब दिया। "अब बिलकुल भी नहीं। पहले में स्टूपिड और एमेच्योर था। मेरी दादी सही थी जब वोह बचपन में मुझे और अभय को समझती थी की वोह आदमी अपनी गलतियों के लिए खुद जिमेदार होता है उसका परिवार नही। और जब से मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं, मुझे भी अब ऐसा ही लगता है।"
देव ने प्यार से सबिता के माथे पर चूम लिया।
"शायद हम अपने लोगों की सोच ना बदल पाए रातों रात पर मैं उनकी वजह से अपनी जिंदगी अपना प्यार नही कुर्बान कर सकता। मुझे लगता है मैं बिल्कुल अपना डैड पर गया हूं।" देव ने मुस्कुराते हुए कहा। "मेरी दादी एक और बात कहती थी। जब कोई सिंघम प्यार में पड़ता है, तोह वोह अपनी आखरी सांस तक निभाता है। वोह सही थी।"
सबिता ने जब यह सुना तोह उसकी दिल की धड़कन थम सी गई। "यह आसन नही होने वाला," सबिता ने प्यार से कहा।
"मैं जानता हूं, अच्छी चीज़े इतनी आसानी से पूरी नहीं होती। पहले तोह मैने भी इसे आसान नहीं समझा था।"
सबिता ने मुड़ कर देव की तरफ देखा लेकिन वोह सिर्फ अपनी एक आंख से ही देख पा रही थी। उसकी दूसरी आंख पूरी तरीके से बंद थी। देव ने अपने एक हाथ से उसके चेहरे को पकड़ा।
"तुम जानती हो की मैं क्या देखता हूं जब भी मैं तुम्हे देखता हूं?" देव ने पूछा।
"क्या?" सबिता ने प्यार से पूछा।
"मैं जब भी तुम्हे देखता हूं तोह मैं सिर्फ तुम्हारा चेहरा नही देखता बल्कि मुझे तुम्हारे चेहरे में अपना पूरा फ्यूचर दिखाई पड़ता है," देव ने कहा। "मुझे हमारी शादी दिखाई पड़ती है। मुझे हमारे बच्चे दिखते हैं। मुझे हम लड़ते हुए दिखते हैं। और फिर मैं तुम्हे मनाता हुआ दिखता हूं। मुझे हमारा एक साथ बुढ़ापा दिखता है। क्योंकि मुझे मेरी मौत भी तुम्हारे साथ दिखाई पड़ती है। मुझे मेरा सब कुछ तुम में दिखाई पड़ता है।"
वोह अपनी धुंधली आंखों से उसे देख रही थी क्योंकि उसकी आंखों में सिर्फ आंसू छाए हुए थे। "मुझे भी यह सब मेरे भविष्य में चाहिए। मुझे मेरा सब कुछ तुम्हारे साथ जीना है।" सबिता ने कहा।
देव मुस्कुरा गया और प्यार से उसे चूम लिया। "हम यह सब जरूर करेंगे, बेबी।"
सबिता को देव पर यकीन था। क्योंकि देव उन दोनो की खुशियों के बीच कभी किसीको आने नही देगा। वोह जानती थी की उसके लिए पहले देव सबको। शांति से समझने की कोशिश करेगा। अगर इससे बात नही बनी तोह देव अपनी कुल्हाड़ी से उन सबको मार देगा जो भी सबिता के बार में उल्टा सीधा बोलेगा या उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा। जो हर औरत के मन का डर होता है वोह सबिता के लिया सुकून भरा था।
और अब सबिता को जो पीड़ा होने लगी थी वोह जानती थी की देव को भी पीड़ा हो रही होगी।
सबिता ने बड़ी शिद्दत से और प्यार से देव को किस किया। जब उसने अपने होठों को उसके होठों से अलग किया तोह उसने देखा की देव की आंखों में वोही जानी पहचानी भाव नज़र आ रहे हैं। उसी पल देव ने करवट बदली और सबिता के उप्पर आ गया। सबिता ने अपनी टांगो से देव को जकड़ लिया और अपने हाथों को उसके शरीर पर चलने लगी, उसे महसूस करने के लिए। देव ने उसके चेहरे को हाथों में भर कर चूम लिया। वोह धीरे से उसके अंदर आया और दोनो के शरीर और आत्माओं को एक कर दिया। सब कुछ धुंधला सा सपना सा दिखने लगा सिवाए एक के। वोह इंसान जो उसके ऊपर था, वोह उसके धीरे मगर पॉवरफुल स्ट्रोक को एंजॉय कर रही थी। थोड़ी देर बाद उसे ऐसा लगा जैसे कुछ उसके अंदर फूट गया है और जल कर राख हो गया है। उसे ऐसा लगने लगा जैसे उसने दुबारा जन्म ले लिया हो।
वोह पिछले कुछ घंटे पहले बीती उन बुरी और भयानक यादों से अपने आप को साफ और सुरक्षित महसूस कर रही थी।
बिलकुल साफ एक नई सबिता।
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देव काफी देर से अपने बगल में सोती हुई सबिता को निहार रहा था। उसे नींद बिलकुल नहीं आ रही थी। उसका दिमाग अभी भी चल रहा था- उसके दिमाग में तहलका मचा हुआ था, चिंता थी, डर था और गुस्सा। और यह उसी वक्त से था जब अभय को वोह मैसेज मिला था अननोन नंबर से किसी लोकेशन का जिसे उसने गैस कर लिया था की वोह जरूर अनिका ने भेजा है और वोह खतरे में है। जैसे ही वोह दोनो सेनानी के फार्म हाउस पहुंचे थे, अभय अनिका को ढूंढने लगा था और देव सबिता के नाम बार बार चिल्लाते हुए उसे ढूंढने लगा था। उसे तोह पता भी नही कितनी को उसने अपनी कुल्हाड़ी से मार दिया जिन्होंने भी उसे जाने से रोका था। वोह बस एक ही दिशा में चलता हुआ रास्ते में सबको काटते हुए बढ़ रहा था, वोह था सबिता को ढूंढते की दिशा। और फिर वोह उसे मिल गई थी। उसे देखते ही उसे रिलीफ मिला था और फिर तुरंत ही उसके चेहरे पर सख्त भाव आ गए थे। उसे बहुत दुख हुआ था, भयानक वाला दुख सबिता को देख कर, जो खून से सनी नंगे बदन में और बुरी तरीके से मारे जाने की वजह से सूजी हुई चेहरे के साथ खड़ी थी। किसी ने उस औरत को दर्द दिया था जिससे वोह बहुत प्यार करता था। उसकी गुस्से से लाल आंखे और भी ज्यादा खतरनाक हो गई थी। उसने अपनी कुल्हाड़ी उठाई और उस कमीने की तरफ बढ़ गया था। उसके दिल और दिमाग से सिर्फ एक ही आवाज आ रही थी की उस घटिया इंसान को बुरी तरीके से खतम कर दो जिसने उसकी औरत को तकलीफ पहुंचाई। वोह उसे मरता गया, मरता गया और मारता गया। उसकी हड्डियों को उसकी मांस पेशियों को न जाने कितने टुकड़ों में काटता चला गया। बार बार काटता चला गया। वोह तब रुका था जब उसे सबिता की प्यारी सी आवाज सुनाई पड़ी थी की वोह जानवर मार गया है।
देव उन यादों से बाहर आ गया। उसने एक लंबी गहरी सांस ली। जो भी आज सबिता के साथ हुआ वोह उसे दुबारा नहीं सोचना चाहता था। आज लगभग उसने सबिता को खो ही दिया था।
अब वोह किसी को भी अपने और सबिता के बीच नही आने देगा। वोह जनता था की सबिता का डर सही है। वोह जनता था की सिंघम के लोग इतनी आसानी से उनकी शादी को स्वीकार नहीं करेंगे। वोह जनता था की इससे हिंसा भड़केगी। वोह यह भी जानता यह की बहुत ज्यादा चांस है की सिंघम के लोग सबिता को एक्सेप्ट नही करेंगे।
पर जो औरत उसकी बाहों में सुकून से सो रही थी उसके लिए वोह हर रिस्क उठाने को तैयार था।
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(पढ़ने के लिए धन्यवाद 🙏)