Nafrat se bandha pyaar - 47 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 47

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नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 47

अनिका अपनी कुर्सी से खड़ी हो गई। "मुझे वाशरूम जाना है। मैं अभी आती हूं," अनिका ने कहा।

"मैं भी तुम्हारे साथ आती हूं।"

"इसकी जरूरत नही है, सबिता। मेरी बात मानो, अगर तुम एक प्रेगनेंट वूमेन के साथ रैस्टरूम तक आओगी तो तुम्हे बहुत देर वहां इंतजार करना पड़ेगा।"

"कोई बात नही। चलो अब।"

अनिका उसके साथ वाशरूम तक चलने लगी। अनिका उसके साथ लगातार बातें किए जा रही थी। "ओह गॉड, मैने यह सब कितना मिस किया। काश वहां भी मेरे साथ एक सहेली होती जिससे में ढेर सारी बातें करती। सिंघम मैंशन में मेरी उम्र के ज्यादा लोग नही है। बस एक मालिनी है, लेकिन वोह भी काफी सेंसिटिव है वोह भी छोटी छोटी बातों को लेकर। मैं तोह पागल हो जाती हूं जब उससे बात करती हूं। और मेरी बहन मायरा, वोह तोह हमेशा ही मुझसे कंप्लेंट करती है की वोह अपनी क्लास में सो जाती है क्योंकि मैं उसे रात भर जगाए रखती हूं फोन पर बात कर कर के। और अभय..... वोह ज्यादा बात नहीं करते हैं जब भी मेरे साथ होते हैं। वोह मुझे यह एक्सक्यूज़ देते हैं की मुझे प्रेगनेंसी में ज्यादा बातें नही करनी चाहिए और मुझे इतनी देर बैठने से तकलीफ होगी। और फिर...!" वोह बोलते बोलते चुप हो है क्योंकि रैस्टरूम आ चुका था और उसे सबिता की आवाज़ सुनाई पड़ी।
"बाहर ही इंतजार करो। हम बस थोड़ी देर में आते हैं।" सबिता ने बॉडीगार्ड्स से कहा।

अंदर जाने के बाद भी अनिका बोलते ही जा रही थी। अनिका अंदर टॉयलेट में जा चुकी थी और सबिता टॉयलेट के बाहर रैस्टरूम में उसका इंतजार कर रही थी। वहां से भी अनिका की बातें चालू थी। बाहर खड़ी सबिता उसकी एक्साइटमेंट को सुनकर मुस्कुरा रही थी। हाथ धोने और सुखाने के बाद सबिता अपना फोन चैक करने लगी की कहीं कोई मैसेज तोह नही आया और अनिका वोह अपनी ड्रेस को ठीक करने लगी लेकिन बातें चालू थी।

अचानक ही अनिका चुप हो गई। जब अनिका की आवाज़ आना बंद हो गई तोह सबिता ने अपनी नज़रों को फोन से हटा कर सामने देखा और दंग रह गई। वोह जम सी गई।

चार आदमी बंदूक लिए अनिका के पीछे खड़े थे और उनमें से एक ने अपनी बंदूक को अनिका के सिर पर तान रखी थी। और बाकी के तीनो ने अपनी बंदूक सबिता के सिर पर तान रखी थी।

सबिता उन पर तुरंत हमला करना चाहती थी पर वोह रुक गई क्योंकि अनिका उसे डर से देख रही थी। सबिता को तुरंत समझ आ गया था की वोह सेनानी के आदमी हैं। यह लोग नीलांबरी के द्वारा भेजे गए गुंडे नही है जो अनिका को मारना चाहेंगे। इन फैक्ट, यह तोह सबिता के लिए आए थे।
सबिता जानती थी की वोह लोग अनिका कोई कुछ नही करेंगे। क्योंकि उन्हें अनिका से कोई मतलब नही था तोह वोह उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाते।

"चुपचाप हमारे साथ चलो वरना हम अभी के अभी इसे मार देंगे।" उनमें से एक आदमी ने कहा। सबिता ने अनिका की तरफ देखा और उसकी आंखों में देखते हुए प्यार से कहा, "सब ठीक हो जायेगा। हम इस सिचुएशन से बाहर निकल जायेंगे और जल्द ही सिंघम मैंशन पहुंच जायेंगे। बस शांत रहो। ओके?"

अनिका डर तोह बहुत रही थी लेकिन सबिता की बात सुनकर उसने अपना सिर हां में हिला दिया।

"मेरे पीछे आयो। अगर बात करने की या किसीको बताने की कोशिश की तोह.....।" एक आदमी ने सबिता को डराते और धमकाते हुए कहा।
सबिता की गुस्से से मुठ्ठी भींच गई वोह बस अपना चाकू निकालने ही वाली थी की उसे पहल उसने अपने आप को शांत कर लिया। और उम्मीद के मुताबिक एक आदमी ने सबिता से उसका हैंड बैग छीन लिया और उसकी गन को उससे दूर कर दिया।
वोह चुपचाप उनके पीछे चलने लगी। जब बाहर आके उसे ना तोह प्रजापति के बॉडीगार्ड्स दिखे और ना ही सिंघम्स के बॉडीगार्ड्स दिखे तोह उसका शक बढ़ने लगा। किसीने तोह सेनानी को इनफॉर्म कर दिया था की अनिका और सबिता इस वक्त रैस्टरूम में हैं। और सिर्फ यही नहीं उन्होंने किसी तरह उनके बॉडीगार्ड्स को भी यहां से हटा दिया था।

वोह आदमी रुक गए जब वोह रेस्टोरेंट के बैकसाइड पहुंचे। दो एसयूवी खड़ी थी जिनके शीशे काले रंग कर थे और ड्राइवर ने गाड़ी का इंजन ऑन रखा हुआ था। तभी वोह लोग सबिता को एक गाड़ी में और अनिका को दूसरी गाड़ी में ले जाने लगे। पर सबिता ने विरोध कर दिया। "मेरी बहन मेरे साथ एक ही कार में जायेगी।"

"तुम्हारे पास कोई चॉइस नही है। गन हमारे पास है, हमने तुम्हे किडनैप किया है। हम जैसा कहेंगे तुम्हे वैसा ही करना पड़ेगा।" उनमें से एक आदमी बोल पड़ा।

"हम दोनो को एक ही कार में जाने दो तोह मैं तुम्हारे साथ चुपचाप बिना आपत्ति के चलूंगी। मेरे से इस पर बहस मत करो।" सबिता ने धीरे से लेकिन धमकी भरे स्वर में कहा।
बाकी के सभी सेनानी के आदमी एक दूसरे को अनिश्चितता से देखने लगे और थोड़े कन्फ्यूज्ड होने लगे। लेकिन उनका लीडर वोह बिलकुल घबराया नही और यूहीं खड़ा रहा।
दूसरे आदमी ने बीच में दखल देते हुए कहा, "मुझे लगता है की हमे इसकी बात सुन लेनी चाहिए और जो कहती है वोही करना चाहिए। आखिर यह सर की...."

"नही! मैं यहां का इंचार्ज हूं। यह साली बिच नही। चलो अंदर!" उस लीडर के कहते ही उसने अपनी बंदूक को सबिता के सिर पर रख दिया।

बीना वक्त गवाए सबिता ने उस आदमी की गर्दन पकड़ ली और उसकी विंडपाइप को कस कर दबाने लगी। वोह आदमी झटपटाने लगा और लगातार स्ट्रगल करते हुए अपने आप को सबिता की पकड़ से छुड़ाने लगा। लेकिन सबिता एक इंच भी नही हिली।
"स्टॉप!" पास ही खड़ा एक आदमी चिल्लाया। लेकिन उसकी आवाज़ में ऑर्डर जैसा बिलकुल नहीं था। ऐसा लग रहा था वोह सबिता से विनती कर रहा हो की उसके साथी को छोड़ दो। सबिता लगातार उसका कंठ पकड़े हुए मसल रही थी, उसने जब छोड़ा जब वोह आदमी नीचे गिर पड़ा।
सबिता एक कदम पीछे हट गई उस लीडर के बेजान से पड़े शरीर के पास से। और फिर बाकी के आदमियों की तरफ घूर कर देखने लगी।
"इसे दूसरी गाड़ी में बिठाओ और अनिका को मेरे पास लाओ।" सबिता ने आदेश देते हुए कहा।
कुछ पल थोड़ा हिचकिचाने के बाद वोह वोही करने लगे जो सबिता कह रही थी। सबिता ने देखा की अब अनिका के चेहरे पर थोड़ा राहत भरे भाव थे, जब वोह उसकी ही कार में बिठाने के लाई जा रही थी जिस कार में सबिता को बैठने के लिए कहा गया था।
जैसा उन्हे कहा गया था, वोह आदमी सेनानी के जमीन की तरफ चल पड़े थे। कुछ घंटे तक गाड़ी सड़को पर दौड़ती रही जब तक की सेनानी का इलाका नही आ गया। गाड़ी रुकी एक आलीशान से फार्म हाउस पर। सबिता अपनी गहरी नज़रों सब ऑब्जर्व कर रही थी। उसने नोटिस किया की उस फार्म हाउस बड़े ही खूबसूरत तरीके एस फूलों से सजाया गया था। जैसे की यहां कोई शादी होने वाली है। उसने एक अस्थायी शादी का मंच भी देखा जो सामने के लॉन पर बनाया गया था। जैसे ही उन्हे फार्म हाउस के अंदर ले जाया गया उसने उसे देखा
'रेवन्थ सेनानी'

वोह दूल्हे के रूप में सजा हुआ था। और जब रेवन्थ ने सबिता को देखा तोह वोह किसी उद्देश्य से सबिता की तरफ बढ़ने लगा। उसने नज़दीक आके सबिता की थोडी को अपनी दो उंगली से ऊपर किया और उसके चेहरे को देखने लगा। सबिता ने कोई रिएक्ट नही किया जबकि उसे पूरी उम्मीद थी की रेवन्थ सेनानी उसे ज़ोर से मारेगा, जैसा की वोह औरतों पर अत्याचार करता आया था।

"किसने इसे चोट पहुंचाई?" रेवन्थ सेनानी गुस्से से गरजते हुए चिल्लाया। उसकी आंखे बिलकुल लाल हो चुकी थी मानो अंगारे बरसा रही हो।

वहां बिलकुल शांति पसर गई। कोई कुछ नही बोला।
"मुझे अभी बताओ वरना मैं सबको जिंदा जला दूंगा!" उसका गुस्सा भड़क पड़ा था।

"सर...." जो उन आदमियों के ग्रुप का लीडर था, जिसने सबिता और अनिका को किडनैप्ड किया था वोह आगे आया।
"यह बहुत परेशान कर रही थी। और हमारी बात ही नही सुन रही थी। बार बार छूटने की कोशिश कर..." इससे पहले की वोह अपनी बात पूरी करता रेवन्थ सेनानी ने उसे गोलियों से छननी कर दिया। उसने कई सारी गोली उसके शरीर पर दाग दी।

"इसकी लाश यहां से ले जाओ और यह जगह अच्छे से साफ करो!" रेवन्थ सेनानी फिर गरजा।

रेवन्थ सेनानी का आदेश सुनते ही उसके कुछ आदमी इधर उधर भागने लगे और उसके बताए गए काम को पूरा करने लगे।
इसी बीच रेवन्थ सेनानी ने सबिता का हाथ पकड़ लिया और उसे मंच की तरफ ले जाने लगा।

"मैने तुम्हे पहले ही बता दिया था की मैं तुमसे शादी नही करना चाहती।" सबिता ने नरमी से कहा लेकिन उसकी आवाज़ में गंभीरता थी।
वोह रुक गया और पलटकर सबिता को घूरने लगा। "तुम्हारे पास कोई चॉइस नही है इस वक्त। या तोह मेरे साथ कूपरेट करो या फिर मैं अपने भाई के हत्यारे की बीवी का पेट अपनी चाकू से ही काट कर उसका बच्चा बाहर निकाल दूंगा और फिर उसे सिंघम को भेज दूंगा यादगार के तौर पर।"

सबिता ने अनिका की तरफ देखा जो डर से अपने हाथ से अपने पेट को ढके हुए खड़ी थी।

"अगर मैं तुमसे शादी करने के लिए हां भी करदू तोह मैं कैसे मानलू की तुम उसे और उसके बच्चे कोई नुकसान नहीं पहुंचाओगे?" सबिता ने पूछा।

"मैं जबान देता हूं।" रेवन्थ सेनानी ने तुरंत जवाब दिया।

सबिता के लिए रेवन्थ के प्रोमिस का कोई मोल नहीं। वोह अपने मतलब के लिए कोई भी प्रोमिस कर सकता है और कोई भी प्रोमिस तोड़ सकता है। लेकिन इस वक्त उसके पास वाकई में कोई चारा नहीं था।

"मैं भी तुम्हे जबान देती हूं, अगर तुम अनिका को सिंघम मैंशन भेज दोगे और जब मुझे कन्फर्मेशन मिल जायेगा की वोह सही सलामत वहां पहुंच गई है तोह मैं तुमसे शादी कर लूंगी।"

रेवन्थ सेनानी की आंखे गुस्से से बड़ी हो गई। अगले ही पल उसने सबिता को ज़ोर दार थप्पड़ जड़ दिया। वोह थप्पड़ इतनी तेज़ था की सबिता लड़खड़ा कर नीचे गिर पड़ी।







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(पढ़ने के लिए धन्यवाद 🙏)