Nafrat se bandha pyaar - 45 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 45

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नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 45

देव हल्का सा हिला जब उसने अपने फोन की घंटी की आवाज़ सुनी। धीरे से उसने अपनी आंखे खोली और सामने उसकी खूबसूरत जिंदगी थी। सबिता प्राजपति फाइनली उसकी बाहों में चैन से सोई हुई थी। सबिता भी फोन की आवाज़ से उठ गई क्योंकि फोन लागतार बजे जा रहा था। देव ने प्यार से सबिता के माथे पर चूम लिया। फिर वह झुक कर अपना फ़ोन उठाने लगा।

"देव," इन्वेस्टिगेटर की आवाज़ देव के कानो में पड़ी जैसे ही उसने फ़ोन आंसर किया। उसकी आँखों में जो नींद थी वह उसकी आवाज़ सुनते ही उड़ गयी। "क्या हुआ?" देव ने पूछा।

"मैंने आपको इसलिए कॉल किया है यह बताने क लिए की वह पादरी मिल गया है। वह अभी बस रस्ते में है सिंघम्स राज्य के।"

"उससे डायरेक्ट बात मत करना। पहले मैं बात करूँगा उससे," देव ने कहा और फ़ोन काट दिया।

"क्या हुआ?" सबिता ने उनींदी में पूछा।

देव सबिता की तरफ पलटा और देखा की सबिता की आँखों में फ़िक्र नज़र आ रही थी। "जो आदमी जिसे हमने अपने माँ और डैड के साथ मरा हुआ समझ लिया था उस मंदिर हत्याकांड में, वह ज़िंदा है।" देव ने उसे पूरी बात बताई और रायडू के बारे में बताया। उसे बताया की रायडू को लगभग मार ही दिया गया था और वह इस वक़्त कोमा में है। उसने उसे उसकी इन्वेस्टीगेशन के बारे में बताया। उसने उस पादरी के बारे में भी बताया जो सबिता के दादाजी के अंतिम संस्कार में मिला था। उसने उसे उस दूसरे पादरी के बारे में भी बताया जिसे वह ढूंढ रहे थे। फाइनली वोह मिल गया है।

सबिता सब कुछ चुपचाप सुन रही थी। "तुम्हे अभी जाना चाहिए, देव," सबिता ने कहा।

"तुम भी मेरे साथ चलो," देव ने कहा। वह उसे अकेला छोड़ कर नहीं जाना चाहता था।

"नहीं। मुझे अभी घर जाना है। मुझे अपना काम वापिस संभालना है। क्यूंकि अब संजय चला गया है तोह मुझे बहुत सारे पेंडिंग काम करने होंगे। मुझे फ़ोन करना जब तुम फिर से फ्री होंगे।"

देव उसे संदेह भरी नज़रों से देख रह था। "मैं ठीक हूं, देव। प्लीज जाओ," सबिता ने उसे इंसिस्ट किया।
देव ने उसके होंठों पर हल्का सा चूम लिया। "मैं जल्द ही वापिस आ जाऊंगा। आई प्रॉमिस," देव ने कहा।

देव ने सैमुअल मैथ्यू से मिलने के लिए चर्च में जाने से पहले सबिता को प्रजापति मैंशन छोड़ दिया।

****

देव और अभय इस वक्त चर्च में सैमुअल मैथ्यू के सामने बैठे हुए थे। वोह पादरी लंबी यात्रा के बाद लौटा था इसलिए थोड़ा थका हुआ था पर फिर भी उनसे बात करने के लिए तैयार हो गया था।

"आई एम सॉरी, फादर, इस तरह से आप से हम लोग पूछताछ कर रहें हैं," अभय ने कहा।

"इट्स ओके माय सन। मुझे आप लोगों की मदद करने में ज्यादा खुशी है।" फादर ने कहा।

"फादर, हमे एक इंसान के बारे में जानकारी चाहिए जो तकरीबन बीस साल पहले यहां से भाग गया था।" अभय ने रायडू की पिक्चर दिखाते हुए पूछा। "क्या आप इसे पहचानते हैं?"

सैमुअल मैथ्यू ने कुछ पल देखने के बाद ही अपनी गर्दन हां में हिला दी। "येस माय सन। मैने ही तोह इसे इसका धर्म बदलने में मदद की थी। यह अपना धर्म क्रिश्चियन में बदलना चाहता था। उसने तोह अपना नाम भी मेरे नाम पर रख लिया था, मुझे आभार व्यक्त करने के लिए।" पादरी ने मुस्कुराते हुए कहा। "मैने उस बच्चे का भी धर्म बदला था जो इसके साथ था।"

कुछ पल शांति पसर गई। देव के अंदर सब कुछ ढंडा पढ़ने लगा। वोह बस फ्रीज जैसा हो गया। उसने महसूस किया की अभय की भी कुछ ऐसी ही हालत थी।
"हमे तोह पता ही नही की उसका एक बेटा भी था," अभय ने अपनी कैजुअल टोन में कहा। "उसके बेटे की उम्र क्या रही होगी उस वक्त?"

"नही। वोह उसका बेटा नही था," पादरी ने जवाब दिया। "वोह एक अनाथ बच्चा था जो की अपने परिवार से बिछड़ गया था। और उसे वोह अनाथ आश्रम छोड़ने जा रहा था। क्योंकि उस वक्त बहुत ही ज्यादा हिंसक मौहौल बना हुआ था इसलिए मैंने उसे कुछ दूसरे अनाथ आश्रम के नाम बताए जो यहां से कुछ दूरी पर थे।"

"उस लड़के की उम्र क्या थी?" देव ने पूछा।

"मुझे पक्का यकीन नही है। यह तोह बीस साल पुरानी बात है। शायद सात से आठ साल का रहा होगा," पादरी ने जवाब दिया।

राणा उस वक्त पांच साल का था जब उस मंदिर हत्याकांड में वोह मारा गया था। पर जैसा की बाकी के सभी मर्द थे उस फैमिली में, राणा भी लंबा बच्चा था जो अपनी उम्र से ज्यादा दिखता था लंबाई की वजह से। वैसे तोह वोह उस वक्त पांच साल का था लेकिन देखने में कोई भी उसे सात या आठ साल का कह सकता था।

"अगर हम उस बच्चे की फोटो आपको दिखाए तोह क्या आप उसे पहचान जायेंगे?" अभय ने पूछा।

"वोह बच्चा उस वक्त डरा हुआ था। वोह ज्यादा तर समय सैमुअल से चिपका हुआ था। लेकिन फिर भी मैं कोशिश करूंगा पहचानने की।"

"हम वापिस आते हैं पिक्चर लेकर, फादर। जब तक आप हमे उन अनाथ आश्रम की डिटेल्स दे दीजिए जिसके नाम आपने सैमुअल को बताए थे? अभय ने फिर पूछा।

"बिलकुल। लेकिन अब मुझे ठीक से याद नही है की मैने उस वक्त उसे कौन कौन से अनाथ आश्रम की जानकारी दी थी। मैं वोह नाम बता सकता हूं जो मैं अब रिकमेंड करूंगा। शायद उस वक्त भी यही नाम दिए हों। आप लोगों को ढूंढने में थोड़ी परेशानी हो सकती है।"

"कोई बात नही, फादर। अब बताइए," अभय ने कहा।

जब तक अभय फादर से पूछ पूछ कर उन अनाथ आश्रम की लिस्ट बना रहा था साथ ही उनकी लोकेशन भी लिख रहा था, तब तक देव बिलकुल चुप बैठा था। उसका दिल उसे चीख चीख कर कह रहा था की वोह उसका छोटा भाई ही है। पर देव यह भी जानता था वैसे यह पॉसिबल नही है। क्योंकि उसने अपने छोटे भाई की जली हुई लाश देखी थी अपनी मां की लाश के पास। पर जैसा की उसकी मां बाप की और उसके चाचा की लाशे पहचान सकते थे, उसके छोटे भाई राणा की लाश इतनी जली हुई थी पहचानना मुश्किल था।

*"अगर राणा उस हत्याकांड से पहले ही भाग गया हो तोह?"*
*"रायडू के पास जो बच्चा था अगर वोह राणा ही निकला तोह?"*

****

दोनो भाई सिंघम मैंशन के लिए निकल पड़े थे। रास्ते में दोनो ही बिलकुल चुप थे। देव जी सोच रहा था वोह अभय को नही बता सकता था। क्योंकि अगर वोह बच्चा राणा नही निकल तोह जो उम्मीद बंधेगी अभय के मन में वोह बुरी तरह टूट जायेगी। इसलिए उसने सोचा की वोह पहले पूरी तरह से अच्छे से छान बीन करेगा, अगर राणा ही वोह बच्चा निकल तोह ही वोह अभय को बताएगा।
वोह जनता था की उसने आज तक एक बात उससे छुपा कर रखी थी।
देव ने गहरी सांस ली और फिर कहा, "अभय।"
जब अभय ने देव की तरफ देखा तोह देव उसे वोह सीक्रेट बताने लगा जो उसने इतने साल तक उससे छुपा कर रखी थी। "मैं उस मंदिर में वहीं मौजूद था जब उस रात हत्याकांड हुआ था। उस हिंसा के बाद मैं वहां पहुंचा था। मैने अपनी आंखों से मां और डैड की लाशे देखी थी। राणा और चाचा जी की भी।"
अभय तोह भौचक्का ही रह गया था लेकिन उसने बीच में कोई सवाल पूछ कर देव को डिस्टर्ब नहीं किया। वोह चुपचाप देव की बात सुन रहा था। देव उस वक्त सात साल का था जब उसने वोह सब देखा था। देव ने सात साल की उम्र में को जो देखा था उसे हर एक इंच याद था और उसने सब अभय को बता दिया।
"इसी वजह से तुम मंदिर नही जाते?" अभय ने प्यार से पूछा। "वोह तुम्हे उसकी याद दिलाते हैं जो जो तुमने देखा था?"
देव ने हां में सिर हिला दिया।
"अगर वोह बच्चा राणा निकला तोह क्या होगा, देव? अगर रायडू की तरह ही राणा भी ज़िंदा निकाला तोह जिसे हमने इतने सालों से मरा हुआ समझ लिया था?"

"मैं दिल से चाहता हूं की येही सच हो, अभय," देव ने कहा।

दो घंटे बाद, वोह दोनो वापिस उस पादरी के पास पहुंच गए थे राणा की एक पुरानी पिक्चर लेके जो उस हत्याकांड से एक दिन पहले ही खींची गई थी। पादरी बड़े ध्यान से उस पिक्चर को देख रहे थे। और पहचानने की कोशिश कर रहे थे की क्या यह वोही है की नही जो बच्चा उन्होंने सैमुअल के साथ देखा था।
"मैं ठीक से तोह नही बता सकता लेकिन यह बच्चा वोही लग रहा है। जैसा मैंने पहले कहा था की वोह बच्चा बहुत डरा हुआ था और पूरे टाइम सैमुअल से चिपका हुआ था।"
जबकि पादरी ने कहा था की इस बात को बीस साल हो चुके हैं और उन्हें ठीक से याद नही है लेकिन वोह बच्चा राणा ही लग रहा है तोह भी एक उम्मीद देव के मन में जाग उठी।
घर वापिस जाते वक्त भी देव बस अपने छोटे भाई पांच साल के राणा की पिक्चर को ही देखे जा रहा था। उस पिक्चर में राणा एक बड़ी मुस्कुराहट के साथ कैमरे की तरफ देख रहा था। देव ने याद किया की कैसे बचपन में वोह और राणा एक दूसरे के साथ खेलते थे और कितनी खुराफाते करते थे। दोनो ही बचपन बहुत बदमाश थे और बहुत मस्ती किया करते थे। जबकि अभय थोड़ा सीरियस चाइल्ड था। वोह काम बात करता था और ज्यादा समय बुक्स पढ़ने में बिताता था। राणा और देव लंदन में अपनी दादी से सुनी हुई किस्से और कहानियों को दोहराते रहते थे जिसकी वजह से उन्हें कई बार परेशानियों का भी सामना करना पड़ा था।
देव बीस साल पुरानी अपने भाई की मीठी यादों को याद कर रहा था। वोह जनता था की उसका दिल और अभी दुखेगा और निराशा भी होगी अगर उसने उसे ढूंढना शुरू कर दिया तोह।
एक लंबी गहरी सांस ले कर उसने अभय की तरफ देखा। "मैं अपनी टीम को राणा की फोटो भेज देता हूं। वोह अपनी टेक्नोलॉजी से चैक करके बता देंगे की राणा बीस साल बाद अब किस किस तरह का दिख सकता है। हमे उसे ढूंढने में इससे मदद मिलेगी।"

****

*"आप यह लैटर्स किसकी भेज रहें हैं, पापा?" सबिता ने पूछा।*
*"एक परी को जो यहां से बहुत दूर रहती है, गुड़िया।" हर्षवर्धन प्रजापति ने जवाब दिया।*
*"वोह कहां रहती है?"
*"एक ऐसी जगह जिसे लंदन कहते हैं?"*
*"क्या वोह सुंदर है?"*
*"हां। वोह सुंदर है।"*
*"मेरी मां से भी ज्यादा।"*
*"नही, गुड़िया। मैने आज तक तुम्हारी मां जितनी सुंदर औरत कभी नही देखी। और तुम बिलकुल उनकी ही तरह बहुत सुंदर हो।"*








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(पढ़ने के लिए धन्यवाद 🙏)