Secret Admirer - 38 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Secret Admirer - Part 38

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Secret Admirer - Part 38

"मुझे अभी भी यह लगता है की यह कोई अच्छा आइडिया नहीं है। आप अपना वक्त बर्बाद कर रहें हैं।" उसी रात अमायरा शीशे के सामने बैठी कबीर के अक्स को शीशे में देखते हुए कह रही थी।

"मैं ऑफिस में बहुत ही इंपोर्टेंट पोजीशन हैंडल करता हूं स्वीटहार्ट। मुझे पता है की क्या करने से वक्त बर्बाद होगा और करने से नही। यू डोंट वरी।" कबीर पाने लैपटॉप में देखते हुए बोला। वोह लैपटॉप में जरूरी काम कर रहा था और शायद ही अमायरा की तरफ देख रहा था।

"आप एक बिज़ी इंसान हैं। आपके पास पहले ही बहुत काम है। आपको क्यों अभी मेरे साथ यह खेल खेलना है?" अमायरा ने पूछा।

"तुम्हे जवाब पता है। लेकिन क्योंकि मुझे यह बार बार कहना पसंद है तोह मैं यह इसलिए करना चाहता हूं क्योंकि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं।" कबीर ने गहरी नजर अमायरा की डाली थी।

"बार बार मत बोलिए। आप मुझे नर्वस कर रहें हैं।"

"कम ऑन अमायरा। तुम यह अगले एक महीने तक नही कह सकती। तुमने मुझे एक चांस दिया है, अब फेयर रही।" कबीर खड़ा हो गया था और चलते हुए अमायरा के पीछे खड़ा हो गया था। वोह उसे गहरी नजरों से उसके अक्स को शीशे से देख रहा था।

"मैं अनफेयर हो रही हूं अब? कैसे?" अमायरा ने पूछा।

"मेरे फैसले को बदलने की कोशिश करके। मुझे यह बता के की मैं तुमसे प्यार ना करूं। मैं अपने प्यार को साबित करने की कोशिश ना करूं।"

"वोह मैने इसलिए कहा क्योंकि मुझे नही लगता आप कुछ भी प्रूफ कर पाएंगे, ऐसा कोई तरीका ही नही है।" अमायरा ने बेमन से कहा।

"यह मेरी प्रॉब्लम है। मैं कुछ न कुछ तोह सोच ही लूंगा।"

"आप मेरे जैसी एक बच्ची के लिए इतना क्यों कर रहें हैं, अंकल।" अमायरा ने शरारत से अपनी एक भौंह को ऊंचका दिया। कबीर यह सुनते ही थूक गटक गया। उसे अनक्लीश वाली फीलिंग ने उकसा दिया था। अमायरा ने जब कबीर की आंखों की शीशे में देखा तोह उसकी सांस ही अटक गई।

"पहले मेरे साथ कुछ वक्त तोह गुजर कर देखो।" अचानक कबीर बोला।

"क्या? क्या हम अभी भी एक साथ वक्त नहीं गुजार रहें हैं?"

"ऐसे नही। तुम और मैं हमेशा ही किसी न किसी काम में या किसी के साथ बिज़ी रहते हैं। कहीं बाहर चलते हैं। एक दूसरे के साथ समय बिताते हैं। बस तुम और मैं।" कबीर ने पूछा।

"मुझे नही लगता की यह एक अच्छा आइडिया है।"

"तुम अब समझ से बाहर हो रही है अमायरा। अपने ही शब्दो पर नही खड़ी उतर रही की मुझे एक चांस दिया था तुमने।"

"ठीक है। क्या चाहते हैं आप?" अमायरा ने गहरी सांस ली।

"मेरे पास अगला एक महीना है। है ना? इसका मतलब मेरे पास चार हफ्ते हैं? वीकेंड्स मेरे साथ बिताओ। सिर्फ मेरे साथ।"

"क्यों?"

"क्यों नही?" कबीर ने तुरंत बात काटी।

"वीकेंड्स पर क्यों?" अमायरा ने जान बूझ कर पूछा। और कबीर उसकी मक्कारी पर हसने लगा।

"क्योंकि हम दोनो वीकेंड्स पर फ्री होते हैं और हफ्ते में दो दिन एक्सक्लूसिवली मेरे लिए, मैं ज्यादा तोह नही मांग रहा।"

"मैं वीकेंड्स पर फ्री नही हूं। अगले महीने अनाथ आश्रम में कल्चरल प्रोग्राम है। और वीकेंड्स पर मुझे बच्चों को डांस सिखाना है। और फिर अगले महीने साहिल की शादी भी तोह है। मुझे सुमित्रा मॉम के साथ रहना होगा, वीकेंड्स पर हमे बहुत सारी तैयारियां भी तोह करनी है।" अमायरा ने किसी तरह बात संभाली।

"ठीक है, कोई और दो दिन?" कबीर उम्मीद नही छोड़ना चाह रहा था।

"मन्डे और फ्राइडे।" अमायरा ने जवाब दिया। वोह कुटिल मुस्कुराहट लिए नाइट क्रीम लगाने लगी। वोह कबीर की आंखों में बिलकुल नहीं देख रही थी क्योंकि डर रही थी की कबीर को सच न पता चल जाए।

"डन।" कबीर ने अमायरा के दो दिन देने पर तुरंत कहा।

"क्या?" अमायरा ने शीशे से ही कबीर की तरफ देखा।

"तुमने मुझे दो दिन दिए। मैने कहा की मुझे मंजूर है। बस यह याद रखना की हफ्ते के यह दो दिन सिर्फ और सिर्फ मेरे हैं।" कबीर रहस्यमई ढंग से मुस्कुराया। वोह जनता था की अमायरा ने यह दो दिन इसलिए चुना है क्योंकि उसके (कबीर) के पास सबसे ज्यादा काम मन्डे और फ्राइडे को ही होता है। हफ्ते का पहला दिन और वीकेंड से पहले का दिन, कबीर सबसे ज्यादा थक कर उसी दिन आता था और यह बात अमायरा जानती थी।

*ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश कर रही हो तुम जान। तुम जितना चाहो कोशिश कर लो, लेकिन मुझे मैनिपुलेट नही कर सकती।* कबीर खुदमे मुस्कुराया।

*अपने बिज़ी शेड्यूल से मुझे टाइम देकर यह मत समझना की आपने मुझे यकीन दिला दिया है।* अमायरा ने घूर कर देखा।

"तुमने जवाब नही दिया?" कबीर ने पूछा।

"क्या?"

"की वोह दो दिन पूरी तरीके से सिर्फ मेरे होंगे। कोई शादी की तैयारियां नही, कोई अनाथ आश्रम नही, कोई घर वालों की दखल अंदाज़ी नही, मेरे समय में। मैं एलाऊ नही करूंगा और सबको ब्लंट्ली बोल दूंगा। फिर मुझे बाद में मत बोलना की मैने उनसे रूड बात की अगर उन्होंने हमारे बीच में इंटरफेयर किया।" कबीर ने सीधे सीधे समझाया और यह सुन कर अमायरा की आंखें फैल गई।

"आपका कहने का क्या मतलब है?"

"मुझे पता है की तुम मुझसे बचने के लिए यह सब बहाने आजमाने की कोशिश करोगी लेकिन मुझे हल्के में लेने की भूल मत करना।"

"आप मुझे धमका रहें हैं? यही प्लान है आपका अपना प्यार दिखाने का?" अमायरा उठ कर पलट गई थी और कबीर के चेहरे को ही सामने से देख रही थी। कबीर ने भी मुस्कुराते हुए उसे अपने करीब खीच लिया था।

"चलो कम से कम तुमने यह माना तोह की मैं तुम्हे अपना प्यार दिखाने की कोशिश कर रहा हूं। कुछ तोह प्रोग्रेस हुआ। और अब अच्छी बच्ची की तरह मुझे कोपरेट करना। नही तो मैं तुम्हे एक महीने के लिए किडनैप कर के ले जाऊंगा सेक्लूडेड आइलैंड, जहां तुम्हारे पास कोई नही होगा सिर्फ मेरे सिवाय। मुझे यकीन है की तुम 8 दिन चुनना ज्यादा बेहतर समझोगी एक महीने के बदले। अभी के लिए, मैं तुमसे वादा करता हूं की बहुत जल्द ही तुम खुद सिवाय मेरे किसी को भी अपने आसपास नही चाहोगी। हमेशा सिर्फ मेरे ही आसपास रहना चाहोगी। सिर्फ मेरे।" कबीर ने कहा और अमायरा थोड़ा झेप गई कबीर के ब्लंट डिक्लेरेशन सुन कर।


















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