Secret Admirer - 37 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Secret Admirer - Part 37

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Secret Admirer - Part 37

अगली सुबह जब अमायरा उठी तोह वोह कबीर की बाहों में लिपटी हुई थी। रोज़ की तरह कबीर ने नही उसे जकड़ रखा था। बल्कि अमायरा खुद कबीर की बाहों में समाई हुई थी, एकदम करीब। जब उसे रियलाइज हुआ तोह वोह शॉक रह गई। वोह बहुत धीरे से उससे दूर हुई की कहीं कबीर की नींद न खुल जाए, और फिर उसके सामने अमायरा को शर्मिंदा होना पड़े। उसने बहुत ही धीरे से अपने आप को कबीर से अलग किया और सीधे उठ कर वाशरूम में घुस गाई। उसकी सांसे अटकी हुई थी वोह वहीं जाकर ज़ोर ज़ोर से सांस लेने लगी। वोह अचंभित थी की वोह खुद कबीर के बाहों में इतने करीब कैसे थी। और कुछ सोचते हुए फिर वोह कबीर पर नाराज़ होने लगी। वोह उससे नाराज़ होने लगी की वोह अपने तै वक्त से पहले क्यों आ गया।

*पर वोह तुम थी जिसने उसे बाहों में पकड़ रखा था।* अमायरा के दिमाग ने उससे कहा।

*उन्होंने भी पकड़ा हुआ था।*

*मुझे पक्का यकीन है इस बाद के लिए वोह गुस्सा बिलकुल भी नहीं होंगे।*

*ओह शट अप।मुझे नही पता था की वोह आसपास हैं। .........पर मैं कैसे नींद में उन्हे गले लगा सकती हूं।*

*यह मत भूलो, की कल रात तुम्हे बहुत ही बुरे बुरे सपने आ रहे थे और तुम सो नही पा रही थी। कबीर आया और तुम आराम से सो गई।*

अमायरा को अपना कल रात का आखरी सपना याद था। उसने याद किया की कबीर के आने के बाद ही उसे ठीक से नींद आई थी। इसका मतलब अमायरा को कबीर की आदत होने लगी थी। उसके साथ सोना, उसके ही सपने देखना और सबसे जरूरी बात उसे बहुत मिस करना।

*मिस हिम। व्हाट? नो। मैं उन्हे मिस नही करती। मैं उन्हे मिस क्यों करूंगी? ऐसा तोह नही था की वोह महीनो भर के लिए बाहर गए थे। मैं बस कुछ ज्यादा ही इमेजिन करने लगी हूं। बीती रात किसी बुरे सपने की तरह थी मेरे लिए। इसका उनसे कोई लेना देना नही।*

*तुम इसलिए नही सो पा रही थी क्योंकि अब तुम्हे उनके बिना नींद नही आती। तुम इस बात को झुकला सकती हो, लेकिन सच बदल नही जायेगा।*

अमायरा को रियलाइज होने लगा था की यही सच है और अब वोह डरने लगी थी की कबीर को कैसे फेस करेगी। वोह किसी भी तरह की कोई उम्मीद नहीं देना चाहती थी कबीर को। उसे अपनी दोस्ती को जिंदा रखना था।

*वोह गलत सोचते हैं की वोह मुझे खुश कर सकते हैं यह कह कर की वोह मुझसे प्यार करते हैं। जब वोह इस ड्रामा से बोर हो जायेंगे तोह खुद ही उन्हे शर्मिंदगी होगी, और फिर वोह मेरे दोस्त भी नही रहेंगे। मैं यह होने नही दे सकती। बहुत हो गया अब। उन्हे जानने की जरूरत है की हम दोस्त हैं, और जिंदगी भर हमेशा दोस्त ही रहेंगे।*

****

जब कबीर उठा तोह अमायरा आसपास नही थी। आज कबीर देर से उठा था। जब वोह उठा तोह उसने देखा ना की अमायरा उसके बगल में सो रही है और ना ही प्यार कमरे में कहीं है। वोह अपना फोन भी घर छोड़ गई थी और किसी को नही पता था की वोह कहां गई है। जब कल रात कबीर वापिस आया था, तोह उसने देखा था की अमायरा नींद में ही घबरा रही थी और डरी हुई थी। उसे लगा था की अमायरा ने जरूर को कोई बुरा सपना देख लिया है इसलिए कबीर ने उसे बाहों में भर लिया था। उसके बाद अमायरा शांत हो गई थी। उसने नींद में कबीर का नाम भी लिए था जिसे सुन कर कबीर के चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कुराहट आ गई थी। वैल, वैसे नही जैसे कबीर चाहता था। पर कम से कम अमायरा को नींद में भी कबीर याद था और यही कबीर के लिए बहुत था। इसका मतलब वोह भी उसके बिना ठीक से सो नही पति और बेचैन हो जाती है जैसे वोह हो जाता है उसके बिना। यही वजह थी की जो भी आखरी फ्लाइट मिली उससे कबीर अपनी पत्नी के पास वापिस आ गया था। और अब जब वोह उसे कहीं नहीं दिख रही थी तोह वोह डर गया था।

*अगर वोह कल रात की वजह से गुस्सा हो गई हो तोह? पर यह मुझे कैसे पता चलेगा जब तक की यह नहीं पता चलता की वोह कहां है। मुझे जल्द से जल्द उसके लिए एक पर्सनल बॉडी गार्ड रखना होगा।*

कबीर यह सब सोचते हुए खिड़की के बाहर देख रहा था। वोह घबराया हुआ था। वोह परेशान सा सोच रहा था की अमायरा उससे गुस्सा है क्या? तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और अमायरा अंदर आई। कबीर ने पलट कर देखा और बिना वक्त गवाए उसे सीने से लगा लिया। उसके अचानक से ऐसा करने से अमायरा सकपका गई।

"तुम कहां थी अमायरा? मैं कितना परेशान हो गया था।"

"क्यों? आप इतना परेशान क्यों थे? मैं अगर कहीं जाना चाहूं तो क्या नही जा सकती? अमायरा रूखे से बोल पड़ी।

"मैं.... मैने ऐसा तोह नही कहा अमायरा। तुम अपना फोन भी नही ले गई थी। मुझे बस तुम्हारी चिंता होने लगी थी। घंटो हो गए थे तुम्हे गए हुए और किसीको नही पता था की तुम कहां हो।" कबीर ने आराम से शांति से ही कहा। वोह इस वक्त उस पर गुस्सा नही करना चाहता था। वोह अमायरा पर अपना आपा नही खो सकता था, कम से कम इस वक्त तोह नही।

"मुझे कुछ जरूरी काम था।"

"कोई बात नही। बस जब भी कहीं बाहर जाओ तोह घर में किसी न किसी को इनफॉर्म कर दो। कम से कम किसी को तोह पता होना चाहिए की तुम कहां हो। तुम्हारी सेफ्टी के लिए कह रहा हूं।"

"थैंक्स, मेरे लिए इतनी चिंता करने के लिए। बहुत जल्द ही आपको यह सब नही करना पड़ेगा।"

"तुम्हारा कहने का क्या मतलब।" कबीर ने चिंतित होते हुए पूछा।

"आपको बहुत जल्द ही सब समझ में आ जायेगा। मेरे पास आपके लिए कुछ है। यह, लीजिए।" अमायरा ने अपने हैंड बैग से कुछ पेपर्स निकलते हुए कहा।

"यह क्या है?" कबीर ने पेपर्स को पलट कर देखने से पहले ही पूछ दिया। वोह जनता था की इन पेपर्स में क्या लिखा हुआ है। "डाइवोर्स पेपर? एह्ह? तुमने इसमें पैसे क्यों बर्बाद किए? तुम डैड को या इशान को बोल देती वोह ला देते कागज़ बनवा कर। तुम जानती ही न की डैड की खुद की लॉ फर्म है और ईशान उनके लिए काम करता है।" कबीर ने यूहीं कहा।

"कैसे....आपको बिना पेपर्स खोले कैसे पता की इसमें क्या लिखा है?" वोह थोड़ा दंग रह गई थी एक पल के लिए।

"मैं तुम्हे अच्छे से जानता हूं स्वीटहार्ट। मैं जानता हूं की तुम हर वोह कोशिश करोगी जिससे मुझसे दूर जा सको।" कबीर ने कहा और पेपर्स खोलने लगा। उसे देख कर वोह मुस्कुरा गया। "देखा कहा था ना।"

"जो भी हो। आपको कितना पता है उससे कोई फर्क नही पड़ता। मैने डिसाइड कर लिया है की मुझे डाइवोर्स चाहिए। आपका अचानक मुझे पर इतना रुझान सिर्फ इसलिए है क्योंकि आप बंधे हुए हैं मुझे आपकी पत्नी की जगह देने से। एक बार हम दोनो इस जबरदस्ती के रिश्ते से आज़ाद हो जाएं, उसके बाद आपको अपने आप को फोर्स करने की जरूरत नहीं यह सब करने के लिए। फिर हम दोस्त बन कर रह सकते हैं, सिर्फ दोस्त बिना किसी अपेक्षा के। सबसे अच्छा हल है ये हमारे लिए।" अमायरा किसी शिक्षक की तरह उसे समझा रही थी और कबीर उसके इतनी क्यूट सी कोशिश को देख कर मुस्कुराने लगा।

"आप क्यों हंस रहें हैं?"

"तुम्हे याद है कुछ दिन पहले मैंने भी तुम्हे ऐसे ही कुछ पेपर्स दिए थे? और तुमने उसे अपनी मर्जी से फाड़ दिए थे।" उसने अमायरा के सवाल का जवाब देने के बजाय खुद सवाल कर दिया।

"तोह? अब मैं ले आई हूं। आप साइन कर दीजिए। मैने पहले ही साइन कर दिया है।"

"ग्रेट। तोह अब मेरी बारी है।" कबीर ने खुश होते हुए कहा।

"हां। प्लीज यही सही होगा हमारे लिए। अब आप देखेंगे कि यह कितना बुरा आइडिया था। आपको अपने आप को फोर्स करने की जरूरत नहीं है जबरदस्ती मुझे अपनी पत्नी स्वीकारने में।" अमायरा ने कहा। अचानक ही कहां से उसने एनर्जी आ गई जब उसे अपना प्लान सक्सेसफुल होता दिखा।

"हां ज़रूर। तोह अब जब तुमने साइन कर दिया है, तोह मुझे भी इसे फाड़ने की जरूरत है जैसे तुमने किया था, ये लो।" कबीर उन पेपर के टुकड़े टुकड़े कर के हवा में उड़ा दिए। अमायरा की सांस ही अटक गई।

"अरे.....यह क्या किया आपने? ऐसा क्यों किया?" अमायरा चिल्लाई। वोह दंग रह गई थी अचानक कबीर के बदलने से।

"वैसे....यह मेरा तुम्हारे लिए रिटर्न गिफ्ट है। तुमने मेरे पेपर्स फाड़े थे, मैने तुम्हारे फाड़ दिए। सिंपल। और मैं यह भी समझ सकता हूं की क्या महसूस किया था मैंने जब तुम्हे वोह पेपर्स दिए थे। और बहुत रिलीफ मिला था मुझे जब तुमने वोह पेपर्स फाड़ दिए थे। बस मैं तुम्हे वोही खुशी देना चाहता था।" कबीर को सुकून मिल रहा था।

"नही। आपकी इस हरकत से मुझे कोई खुशी नही मिल सकती।"

"अभी नही। पर आगे चल कर जरूर मिलेगी। और वैसे भी अब लंच टाइम हो गया है। चलो खाना खाने चलते हैं।"

"नही। मुझे कुछ नही चाहिए। मुझे बस डाइवोर्स चाहिए।" अमायरा ने किसी जिद्दी बच्चे की ज़िद्द की। "मैं दूसरे पेपर्स ले कर आऊंगी। मैं कोर्ट तक जाऊंगी। जो करना पड़े वोह करूंगी।"

"जितने चाहो उतने पेपर्स ले आओ डार्लिंग। हर पेपर्स का अंजाम यही होगा।" कबीर शांत स्वभाव से अमायरा की तरफ कदम बढ़ाने लगा और अमायरा पीछे कदम लेने लगी।

"आप मेरी मर्जी के बिना मुझे इस शादी में नही बांध सकते। मुझे पूरा हक है आपसे तलाक लेने का।" अमायरा ने गुस्से से कहा और साथ ही कदम पीछे की ओर बढ़ रहे थे। और कबीर के आगे की ओर यानी अमायरा की तरफ।

"हां बिलकुल सही कहा। लेकिन मैं भी मजबूर हूं जब बात तुम्हारी हो। एक वक्त था जब मैने तुमसे कहा था की फैमिली की वजह से मैं तुम्हे कभी डाइवोर्स नही दूंगा। पर अब मैं तुम्हे कभी डाइवोर्स नही दूंगा भले ही मेरी पूरी फैमिली मेरे खिलाफ हो जाए। मैं एक बार को तुम्हे डाइवोर्स दे भी देता अगर तुम चाहती। पर तुम यह सब इसलिए कर रही हो क्योंकि तुम मुझसे दूर भागने के बहाने खोज रही हो।" कबीर ने उसका हाथ पकड़ा और खीच कर उसे अपने करीब कर लिए। उसने अपनी बाहों के घेरे में उसकी कमर को जकड़ लिया।
"मैं जानता हूं की तुम्हारी खुशियां मुझसे है, सिर्फ मुझसे। तुम बस एक्सेप्ट नही करना चाह रही। पर बहुत जल्द ही करोगी। आई लव यू 💕 अमायरा। मैं तुम्हे प्यार करने के लिए अपने आप को फोर्स नही कर रहा हूं बल्कि तुम मुझे न प्यार करने के लिए अपने आप को फोर्स कर रही हो।"

"यह सच नहीं है।" अमायरा ने धीरे से फुसफुसाते हुए कहा।

"यही सच है। मुझे एक चांस दो अमायरा अपने प्यार को साबित करने के लिए। हमे एक दूसरे के साथ रहने के लिए एक चांस तो दो। एक दूसरे के साथ खुश रहने के लिए एक चांस तो दो। मैं और कुछ नही जानता बस इतना जानता हूं की मेरी खुशियां तुमसे ही जुड़ी है। तुमसे ज्यादा मुझे और कुछ नही चाहिए। प्लीज मुझे समझो, मेरी भावनाओं को समझो।"

"मैं नही कर सकती। मुझे डर लगता है।" अमायरा ने रोते हुए कहा और कबीर के कंधे पर अपना सिर टिका दिया।

"तोह जो भी तुम्हे डर है वोह मुझे तुमसे दूर भगाने दो।"

"कैसे?"

"मेरे प्यार को साबित करके।" कबीर ने उसकी आंखों में देखते हुए पूछा।

"आप जो भी साबित करना चाहते है, अगर मैं कनविंस नही हुई तोह?"

"तोह मैं तुम्हे कभी परेशान नहीं करूंगा अपनी हरकतों से, कभी भी नहीं। मैं फिर वोह दोस्त हमेशा बन कर रहूंगा जैसा तुम चाहती हो। पर मैं तब तक हार नही मानूंगा जब तक की तुम मुझे एक फेयर चांस नहीं देती। एक महीना, या कुछ दिन?" कबीर ने उम्मीद से अमायरा की तरफ देखा।

"ठीक है फिर। आपके पास एक महीना है प्रूफ करने के लिए जो भी प्रूफ करना चाहते हैं। उसके बाद मैं आपकी किसी भी हरकत को बर्दाश्त नहीं करूंगी।"

"थैंक यू अमायरा। मैं वादा करता हूं की तुम्हे कभी भी अफसोस नहीं होगा मुझे एक चांस देने के लिए।" कबीर ने बड़ी शिद्दत से अमायरा के माथे को चूम लिया और अमायरा उसमे सहज महसूस करने लगी। उसे उसके चूमने से सुकून मिला था। क्यूं? नही पता।

*क्योंकि शायद अब उसे उसका दोस्त वापिस मिल जायेगा। या फिर शायद उसे जिंदगी भर के लिए प्यार मिल जायेगा।*

उसके मन से आवाज़ आई।




















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