रात का डिनर करने के बाद जब वोह अपने कमरे में गई तोह देखा कोई नही था। उसने सोचा की कबीर के आने से पहले वोह जल्दी से चेंज करके वोह सोफे पर सो जायेगी ताकि उसे कबीर का सामना नहीं करना पड़ेगा। वोह वाशरूम गई और अपना पुराना पिंक नाइट सूट पहन के बाहर आई। उसने देखा कबीर कमरे में आ चुका था और पहले से ही बैड पर लेटा हुआ था। उसे अपना प्लान फेल होता नज़र आने लगा। उसने देखा कबीर अपने फोन में कुछ देख रहा था। अमायरा ने जल्दी से अपनी नाइट क्रीम लगाई और मौका पा कर बिना वक्त गवाए सोफे की तरफ बढ़ गई। पर कबीर की नज़र तोह उसी पर थी जिसकी जानकारी अमायरा को नही थी। तभी उसने कबीर की आवाज़ सुनी।
"हिम्मत भी मत करना।" कबीर की आवाज़ अपने पीछे से अचानक सुन कर अमायरा चौंक गई।
"क्या? आप क्या बोल रहे हैं? मैने क्या किया?" अमायरा ने पूछा। वोह डरी हुई थी रंगे हाथों पकड़े जाने से।
"तुम अच्छी तरह से जानती हो की मैं क्या बोल रहा हूं। अगर तुम मुझसे प्यार करती हो तोह मुझे कोई दिक्कत नही है रोज़ तुम्हे सोफे से अपनी बाहों में उठा कर बैड पर सुलाने में। लेकिन अगर मुझसे प्यार नही करती हो तोह हिम्मत भी मत करना बैड के अलावा कहीं और सोने की।" कबीर ने शांति और उदास लहज़े में जवाब दिया।
"अगर मैं ना चाहूं तोह? मैं आपके आसपास भी सोना नही चाहती। सोना क्या अब तोह मैं आपके आसपास रहना भी नही चाहती।" अमायरा ने अपने दोनो हाथों को बांध कर अकड़ से कहा। और कबीर उसकी कोशिशें देख कर मुस्कुराने लगा।
"तोह फिर मैं यह मान लूंगा की तुम मुझसे सच में बेइंतीहा प्यार करने लगी हो," कबीर ने बैड पर अच्छे से लेटते हुए कहा।
"क्या? यह क्या बकवास है?" अमायरा ने चिढ़ते हुए पूछा।
"वैल, तुमने मुझसे एक बार नही कहा था की तुम अपनी नींद खराब करके उस सोफे पर तभी सोओगी जब तुम मुझसे उतना प्यार करती होगी?" कबीर ने अपनी एक भौंहे को ऊचका के पूछा।
*"मैं आपसे इतना प्यार नही करती की आपके लिए अपनी नींद सेक्रिफाइस करके जमीन पर सो जाऊं, या कारपेट पर, या फिर उस छोटे से सोफे पर। मैं आपकी वाइफ हूं और मुझे पूरा अधिकार है आपके कमरे में रहने का और आपके बैड पर सोने का।"*
अमायरा को अपने कहे हुए शब्द याद थे जो उसने अपनी सुहागरात वाली रात को कबीर से कहे थे और वोह चौंक गई थी। वोह दंग रह गई थी की कबीर को उसके कहे हुए शब्द बखूबी याद थे वोह भी इतने महीनो के बाद और उसके चेहरे से यह साफ पता चल रहा था की वोह हैरान थी।
"इतना मत चौकों। ऐसा कुछ नही है जो मैं तुम्हारे बारे में नोटिस नही करता या याद नही रखता।" कबीर ने कहा। वोह जनता था की अमायरा क्या सोच रही है। उसके कहते ही अमायरा ने अपनी नज़रे कबीर से हटा ली।
"बहुत रात हो गई है, हमे सोना चाहिए। या फिर तुम्हारा कोई और प्लान है। कोई और प्लान है तोह मुझे बता दो, मुझे कोई दिक्कत नही है।" कबीर ने उसे आंख मारते हुए कहा। जो देख कर अमायरा तुरंत बैड पर जितनी दूरी बना सके उतनी दूरी बना कर एक दम बैड के किनारे पर सिकुड़ी हुई सी लेट गई। कबीर ने मुस्कुराते हुए लैंप की लाइट बंद करदी।
कुछ देर बाद, कुछ पल ही गुजरे थे या घंटा भर बीत चुका था अमायरा को पता नही, जब अमायरा ने महसूस किया की कबीर सो चुका है तोह उसने एक लंबी गहरी सांस छोड़ी जो वोह कबसे होल्ड करे हुए थी। वोह धीरे से उठने लगी सोफे पर सोने जाने के लिए। तभी उसे अपनी कमर पर कबीर का स्पर्श महसूस हुआ, जैसे उसने उसे कमर से होते हुए पेट पर अपने हाथ रख कर जकड़ लिया हो। उसका रोम रोम एक अजीब से एहसास से डूब गया। इससे पहले आज तक किसी आदमी ने उसे इस तरह नही छुआ था।
"कहां जा रही हो?" कबीर ने पूछा और उसे पीछे से ऐसे ही पकड़े हुए पूछा।
"आप क्या कर रहें हैं?" अमायरा की सांसे तेज़ चलने लगी थी।
"जो मेरा है उसे अपने पास रख रहा हूं," कबीर ने फुसफुसाते हुए कहा।
"यह आप ठीक नही कर रहे," अमायरा ने भी वैसे ही फुसफुसाते हुए कहा।
"इससे ज्यादा ठीक क्या है मुझे नही पता।"
"आप नही कर सकते ऐसा।"
"मैं कर सकता हूं। और एक दिन तुम्हे यकीन भी दिला दूंगा।"
"मुझे नही होगा। बेकार की कोशिश छोड़ दीजिए।"
"मैं बहुत थका हुआ हूं अमायरा। हम इस बारे में कल बात करें।"
"ठीक है। सो जाइए। और मुझे छोड़ दीजिए।" अमायरा ने कबीर की बाहों से छूटने के लिए कसमसाते हुए कहा।
"नही। मैं नही छोड़ सकता। मैं तुम्हे अपने से दूर जाने नही दे सकता। कभी भी नही। तोह यह हिलना डुलना बंद करो और ठीक से सो जाओ क्योंकि यह हाथ तोह मैं नही हटाने वाला।" कबीर ने अपनी बाहों का घेरा और कस दिया और एक कंफर्टेबल पोजीशन ले ली। जैसे जैसे वोह कसमसाती, कबीर की पकड़ और कस जाती।
"गुड नाईट माय लव," कबीर ने धीरे से कहा और नींद के आगोश में चला गया। इधर अमायरा तोह सुन पड़ गई थी।
जो भी अमायरा ने अब तक कबीर से बचने के लिए प्लान किया था वोह सब फेल हो गया था। अब उसे कुछ और ही सोचना पड़ेगा। ऐसा कुछ जिससे कबीर इस लव-सिक ज़ोन से बाहर आ जाएं। वोह घंटो इस बारे में सोचती रही। आज की रात भी उसकी नींद उड़ चुकी थी। कबीर के हाथ का एहसास अपने पेट पर महसूस करने से उसकी बेचैनी बढ रही थी और नींद कोसों दूर जा रही थी। उसकी लाइफ पहले से ही इतनी कॉम्प्लिकेटेड थी और अब और भी ज्यादा हो चुकी थी।
_______________________
कहानी अभी जारी है..
रेटिंग करना ना भूले...
कहानी पर कोई टिप्पणी करनी हो या कहानी से रिलेटेड कोई सवाल हो तोह कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट कर सकते हैं..
अब तक पढ़ने के लिए धन्यवाद 🙏