तभी गाना बदला और आवाज़ धीमे हो गई और साथ ही लाइट भी डिम हो गई। कबीर ने अमायरा को अपने करीब खीच लिया। उन दोनो के बीच अब एक इंच का भी फासला नही था। और अमायरा की मानो जैसे सारी इंद्रियां जाग गई थी। वोह कबीर की नज़दीकी से सचेत हो गई थी।
*यह नॉर्मल नही है। और यह सब दो दोस्तों के बीच तोह बिलकुल नही होता। मैं वोह सब चीज़े इमैजिन नही कर रही थी। पर यह ऐसा कर क्यों रहें है?*
अमायरा ने कबीर की आंखों में देखा, जिस तरह से कबीर की आंखे अमायरा को देख रही थी, अमायरा कन्फ्यूज्ड हो गई। ऐसा कुछ जो उसने पहले कभी भी कबीर की आंखों में नही पढ़ा था। या शायद देखा भी हो पर कभी ध्यान नही दिया था। यह पहली बार था की कबीर उसके इतना नज़दीक था, जिस वजह से अमायरा का सिर चकराने लगा।
कबीर की आंखों में जुनून, प्यार और डर तीनों साफ दिख रहे थे।
सानु इक पल चैन ना आवे
सानु इक पल चैन ना आवे
सजणा तेरे बिना..
सजणा तेरे बिना..
सानु इक पल चैन ना आवे
सानु इक पल चैन ना आवे
सजणा तेरे बिना..
सजणा तेरे बिना..
कबीर उसे ऐसे ही करीब किए हुए डांस कर रहा था। और उसकी नज़दीकी अमायरा को परेशान कर रही थी। उसके लिए सांस लेना मुश्किल हो रहा था।
दिल जाने क्यूँ घबरावे
दिल जाने क्यूँ घबरावे
सजणा तेरे बिना..
सजणा तेरे बिना..
कबीर ने उसे एक झटके से दूर किया और गोल घुमा कर वापस अपने करीब खींच लिया। उसने इतनी ज़ोर से खींचा था की दोनो के होंठ आपस में टकरा गए।
सानु इक पल चैन ना आवे
सानु इक पल चैन ना आवे
सजणा तेरे बिना..
सजणा तेरे बिना..
कबीर ने उसे ऐसे करीब से ही पकड़े हुए अपना चेहरा उसकी गर्दन में छुपा लिया। अमायरा सिहर उठी। वोह उसके बदन की खुशबू को महसूस करने लगा, उसे अपने अंदर खींचने लगा। कबीर की इस हरकत पर अमायरा की सांसे अटक गई मानो सांस लेना ही भूल गई हो।
ये दिन है प्यारे हीरीये
जो साथ हमने जी लिए
जाना नहीं मुँह मोड़ के
अँखियों में पानी छोड़ के
अमायरा उसकी बाहों में कसमसाने लगी। उसकी आंखों में घबराहट, डर और नमी बनने लगी। घबराहट और डर थी उसकी नज़दीकी से और नमी थी इस एहसास से की उनकी दोस्ती अब नही रही। अब किसी और एहसास ने जगह ले ली।
ये पानी आग लगावे
ये पानी आग लगावे
सजणा तेरे बिना..
सजणा तेरे बिना..
अगले ही पल कबीर ने, जहां अमायरा के कान के झुमके लटक कर गर्दन को छू रहे थे, उसी जगह चूम लिया। कबीर ने धीरे से ही सही लेकिन बड़े प्यार से और शिद्दत से चूमा था। अमायरा के रोंगटे खड़े हो गए, उसकी आंखे बंद हो गई।
तेरा ख्याल हर घड़ी
है आदतें मुझे तेरी
इक दिन जो तुझसे ना मिलूँ
पागल के जैसा मैं फिरूँ
अमायरा अब तक समझ चुकी थी की यह उसका कोई वहम नही है, यह सच में हो रहा है। कबीर उसे वोह सिग्नल दे रहा है जो दोस्त कभी नही देता। अमायरा ने आंखे खोली। उसकी नज़रे कबीर की नज़रों से टकराई। उसकी आंखों में झांक कर वोह समझ चुकी थी की वोह जो कर रहा है वोह इसलिए कर रहा है क्योंकि वोह चाहता है ऐसा करना। वोह यह सब उसके साथ मज़ाक नहीं कर रहा था। उसे समझ नही आ रहा था की वोह क्या करे, कैसे रिएक्ट करे, क्या फील करे।
कोई रुत ना मुझको भावे
कोई रुत ना मुझको भावे
सजणा तेरे बिना..
सजणा तेरे बिना..
सजणा रे, तेरे बिना…
गाना खतम हुआ सब जोड़ियां अलग हो गए लेकिन कबीर ने उसे नही छोड़ा। चारों और तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। किसी तरह अमायरा ने अपने आप को कबीर से छुड़ाया। उसे बहुत अजीब लग रहा था, वोह कुछ सोच नही पा रही थी। तोह इस वक्त सब के बीच वोह एक ही काम कर सकती थी। वोह सब की नज़रों से बच कर सीधा अपने कमरे में चली गई। उसे इस वक्त अपने इमोशंस पर बिलकुल विश्वास नहीं हो रहा था।
****
"अमायरा प्लीज दरवाज़ा खोलो।" यह पांचवी बार था जो कबीर ने अपने कमरे का दरवाज़ा खटखटाया था।
"अमायरा, खोल दो दरवाज़ा। वरना मैं तोड़ दूंगा।" कबीर ने उसे फिर धमकाया और थोड़ी मशक्कत के बाद इस बार अमायरा ने दरवाज़ा खोल दिया।
कबीर अंदर आया और दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया।
"यह क्या है? तुम दरवाज़ा क्यों नही खोल रही थी?" कबीर ने प्यार से पूछा लेकिन अमायरा चुप थी।
"अमायरा मैं तुमसे बात कर रहा हूं। तुम जवाब क्यों नही दे रही? कबीर ने अमायरा का हाथ पकड़ते हुए पूछा। उसके छूने से अमायरा फिर कांप उठी, जिसे कबीर ने भांप लिया। वोह जनता था की यह रिएक्शन किस वजह से है।
"देखो अमायरा। आई एम सॉरी, अगर मैने तुम्हे डरा दिया। पर मैं बस अपने आप पर कंट्रोल नही रख पाया।" कबीर ने प्यार से उसकी आंखों में देखते हुए कहा और अमायरा तीखी नज़रों से कबीर को देख रही थी।
"आपके कहने का क्या मतलब है?" अमायरा ने गुस्से से पूछा।
"मैं उसके लिए तुमसे माफी मांगता हूं। मेरे कहने का यह मतलब था की तुम आज बहुत खूबसूरत लग रही थी की मुझे लगा की मुझे तुम्हे कॉन्प्लीमेंट देना चाहिए और वोह सब अपने आप मुझसे अचानक हो गया।"
"इसका मतलब यह है की आप हर उस लड़की को जा कर किस करेंगे जो आपको खूबसूरत लगेगी?"
"क्या? नो.... नो.... तुम मुझे क्या समझती हो?" कबीर ने घबराते हुए जवाब दिया।
"मुझे लगा था की आप मेरे अच्छे दोस्त हैं। लेकिन आप की आज की हरकतें तोह उससे बिल्कुल उलट थी। अब मैं समझ नही पा रही हूं की आप मेरे हैं क्या।" अमायरा की सांसे फूलने लगी थी बोलते बोलते।
कबीर ने एक गहरी सांस ली।
"ओके। अब जब हम इस टॉपिक पर आ ही गाएं है तोह मुझे लगता है की मुझे तुम्हे सब कुछ साफ साफ बता ही देना चाहिए। मैं इस बहस को आगे खींचना नही चाहता। मुझे सब एक्सप्लेन करने दो।"
"क्या? क्या है एक्सप्लेन करने लायक? बस सॉरी कह दीजिए और याद रखिए इस बात को की ऐसी हरकत दुबारा नहीं होनी चाहिए।" अमायरा ने खतरनाक ढंग से कहा। वोह कबीर के मुंह से आगे कुछ सुनने में घबरा रही थी।
"मैं नही मांगुगा माफी अमायरा। शायद मैने तुम्हे डरा दिया है अपनी हरकत से लेकिन इसके लिए ना ही मैं शर्मिंदा हूं और ना ही माफी मांगूगा। मैं काफी दिनो से तुम्हे कुछ बताने की कोशिश कर रहा था लेकिन हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहा था। पर अब मुझे लगता है इसका कोई फायदा नही है, मुझे तुम्हे बता देना चाहिए जो मेरे दिल में है।" कबीर ने शांति से कहा और अमायरा डरने लगी।
अमायरा नही जानती थी की वोह इस वक्त क्या उम्मीद कर रही थी। वोह बस बीते कुछ दिन भूलना चाहती थी, जब उसने कबीर में बदलाव महसूस करना शुरू किया था। पर यह नामुमकिन था।
"अमायरा, मैं नही जानता की यह कब हुआ लेकिन तुम मेरे दिल में बस गई हो, सो डीपली, की अब मुझे यह महसूस होने लगा है की मैं मर जाऊंगा अगर तुम मेरे साथ नही हो तोह। आई लव यू अमायरा। आई लव यू वैरी मच। मैने कभी नही सोचा था की महिमा के बाद मैं कभी किसी को प्यार कर पाऊंगा। लेकिन तुमने मुझे मजबूर कर दिया और अब मेरी पूरी जिंदगी तुम्हारे बिना बेकार है।"
"मैं जानता हूं की तुम्हे ऐसा लग रहा होगा की शायद मैं सीरियस नही हूं। या फिर मैं बस यूहीं कह रहा हूं। पर असल बात तोह यह है की तुमने मुझे जीना सिखाया है, मुझे मुस्कुराना सिखाया है। मेरी मुस्कुराहट अब बड़ी हो जाती है जब भी मैं तुम्हे अपने आस पास देखता हूं। और मैं बेचैन हो उठता हूं जब तुम आसपास नही होती। मैं कभी नही जानता था की मैं ऐसा भी कुछ महसूस करूंगा पर तुम्हारे साथ सब कुछ पॉसिबल हो गया। तुम्हारे साथ मैं अपना फ्यूचर देखना चाहता हूं, अपना आज जीना चाहता हूं और अपने बीते कल की यादें ताज़ा रखना चाहता हूं। मैं नही जानता की मुझे और क्या कहना चाहिए, पर अब मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं, और हमेशा तुमसे प्यार करता रहूंगा। मैं जानता हूं की तुम्हे शॉक लगा होगा मेरे इस खुलासे से पर मैं तुम्हारे लिए इंतज़ार करने के लिए तैयार हूं जब तक की तुम तैयार नहीं हो जाती मुझे और हमारे रिश्ते को एक्सेप्ट करने के लिए। बस मैं तुम्हारे साथ ही अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहता हूं, अब असली के पति पत्नी बन कर। कोई झूठ नही, कोई दिखावा नहीं, बस प्यार।"
कबीर ने वोह सब कन्फेस कर लिया था जो भी उसके दिल में था। और अमायरा बस अचंभित सी चुपचाप खड़ी थी। वोह समझ चुकी थी की जिसे वोह अपना दोस्त समझती थी, वोह अब नही रहा।
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