अगला दिन कबीर के लिए पूरा खुलासे से भरा हुआ था। अमायरा ने उसे पूरा शहर घुमाया और अपनी सभी पसंदीदा जगह घुमाई। उन्होंने रोडाइड के छोटे कैफे पर खाना खाया, बिना की वजह के समुद्र तट पर घूमते रहे, वोह किसी लोकल टूरिस्ट की तरह इधर उधर घूमते रहे और उसके बाद कबीर ने रियलाइज किया था की वाकई में उसने बहुत एंजॉय किया था। उसने यह भी महसूस किया था की अमायरा एक ऐसी लड़की है जो जानती है की छोटी छोटी चीजों से अपने आप को कैसे खुश रखा जा सकता है। उसको खुश रहने के लिए कोई बड़ी पार्टी, इवेंट या महंगे गिफ्ट्स की जरूरत नहीं थी। उसे यह भी समझ आने लगा था की अमायरा ने उसे उसकी पसंदीदा रेस्टोरेंट के बारे में क्यों नही बताया था। उसने इसलिए नही बताया था क्योंकि उसे लगता था की कबीर के स्टैंडर्ड के सामने यह रेस्टोरेंट बहुत ही छोटे हैं ना की इसलिए की वोह वहां अपने पास्ट के वजह से जाना अवॉइड करती थी। और इसी बात को सोच कर उसे बहुत शर्मिंदगी सी महसूस होने लगी।
अमायरा ने उसे उसकी जिंदगी में आने से पहले के बारे में सब बताया। और कबीर के बारे में तोह अमायरा पहल से ही सब जानती थी जिसकी भनक कबीर को नही थी। पूरा दिन वोह दोनो अमायरा की बताई जगह पर घूमे और अमायरा ने उसे अपने बारे में सब बताया और कबीर को महसूस होने लगा की वोह अब और भी ज्यादा उससे प्यार करने लगा है, और भी ज्यादा। *मोर एंड मोर एंड मोर।*
दिन के आखरी में अमायरा उसे अपने अनाथ आश्रम ले गई। जहां उसने कबीर को सभी अनाथ बच्चों से मिलवाया। वोह बच्चे बहुत एक्साइटेड हो गए थे एक अजनबी से मिल कर पर असल में तोह कबीर उनके लिए अजनबी था ही नही। वोह तोह उनकी फेवरेट टीचर का पति था, अजनबी नही। कबीर ने महसूस किया था की अमायरा उन बच्चों में काफी पॉपुलर है क्योंकि तभी तोह वोह बच्चे अपनी टीचर के हसबैंड के बारे ने जानने के लिए कोशिश कर रहे थे। इसका मतलब साफ था की बच्चे बहुत प्यार करते थे अमायरा को और यह जान कर कबीर अमायरा से और इंप्रेस होने लगा।
*शायद वोह यहां बिना किसी सैलरी के काम करती हो लेकिन बदले में वोह जो यहां से लेती है वोह उन पैसों के आगे अनमोल है। उन बच्चों के पास देने के लिए कुछ नही था, था तोह बस प्यार, बेइंतीह प्यार जो की साबित होता था जिस तरह बच्चे अमायरा से बात कर रहे थे। तोह फिर मैं क्यों न उससे प्यार करूं?*
कबीर उसकी तरफ प्यार से देख कर मुस्कुरा गया।
अमायरा उसे अपने अनाथ आश्रम के फाउंडर के पास ले गई मिलवाने के लिए लेकिन तभी एक बच्चा उससे मिलने आ गया और वोह उससे बात करने के लिए फाउंडर के ऑफिस रूम से बाहर निकल गई। जब वोह वापिस आई तोह उसे कुछ ऐसा पता लगा जिसकी उम्मीद उसे कभी नही थी।
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"क्या हुआ है तुम्हे?" कबीर ने गाड़ी चलाते हुए उससे पूछा। वोह दोनो बस अभी ही अनाथ आश्रम से निकले थे।
"कुछ नही।"
"कुछ तोह है। जब तुम अनाथ आश्रम में थी तोह बहुत खुश थी। अब अचानक क्या हो गया?" कबीर ने पूछा।
"मैं कुछ सोच रही थी।"
"क्या?"
"पहले मुझे मिस्टर बैनर्जी (अनाथ आश्रम के फाउंडर) से मुश्किल से ही सैलरी मिलती थी। लेकिन पिछले कुछ महीनों से अनाथ आश्रम को लगातार फंड्स मिल रहें है जिसकी वजह से वोह सभी स्टाफ को सैलरी दे पा रहे हैं। मैं सोचती थी की अचानक यह महत्मा कहां से आ गया जो हर महीने डोनेट कर रहा है, इससे पहले तोह कभी नही किया। आप इस बारे में क्या सोचते हैं?" अमायरा ने कबीर को घूर कर देखा।
"उउह्ह... मैं.....तुम....तोह तुमने सब सुन लिया, हम वहां क्या बात कर रहे थे।" कबीर ने सीधे कहा। वोह बातों को घुमाना नही चाहता था।
"हां। आपने ऐसा क्यों किया? आपको ऐसा करने की जरूरत क्यों पड़ी?" अमायरा ने गुस्से में पूछा। "क्योंकि मैने आपको बताया था की मेरे अनाथ आश्रम में फंड्स की कमी है इसलिए आपने डिसाइड कर लिया डोनेट करने का अनाथ आश्रम ताकी मुझे इंडिरेक्टली आपके पैसे मिल जाएं।" वोह गुस्से जल उठी थी।
"देखो अमायरा। मैने इसलिए डोनेट किया क्योंकि मैं मिस्टर बनर्जी की मदद करना चाहता था।"
"आप झूठ बोल रहें हैं। आपने इसलिए मदद की क्योंकि मैने आपके पैसे लेने से मना कर दिया था।"
"ओके। मैं मानता हूं की मैने उनकी मदद तुम्हारी वजह से की लेकिन इस वजह से नही की तुम्हे मेरे पैसे इंडिरेक्ट वे में मिलें। जब तुमने मुझे बताया था की वहां पैसों की थोड़ी दिक्कत है तो मैने मदद करने की सोची। मैने तुम्हे बताया था ना अपने सीएसआर ब्रांच के बारे में। वोह ऐसे ही जरूरत मंद छोटे छोटे संस्थानों की मदद करते हैं। मुझे उस संस्था के बारे में तुमसे ही पता चला लेकिन अगर मैं तुम्हे यह बात बताता तोह तुम कुछ और सोच लेती। इसलिए मैने अपने सीएसआर यूनिट से बात की और उन्हें अपने पैनल लिस्ट में उस अनाथ आश्रम का नाम शामिल करने को कहा, वोह लिस्ट जिसमे उन संस्थानों के नाम होते हैं जिन्हें हर महीने डोनेट किया जाता है। बस और कुछ नही। मैं कोई अपनी जेब से नही पे कर रहा हूं। मैने तोह वैसे भी तुम्हे कनविंस कर ही लिया था की जरूरत पड़ने पर तुम उन पैसों को इस्तेमाल कर लेना। तोह बिलकुल ऐसा मत सोचना की मैने कोई खास मकसद से ऐसा किया है। वैसे भी यह कंपनी के लिए अच्छा होता है क्योंकि इससे टैक्स बचता है।" कबीर ने समझाया।
"आप सही कह रहें हैं?"
"बिलकुल सही कह रहा हूं।"
"मैं आप पर क्यों यकीन करूं?" अमायरा ने अपनी एक भौंहे को ऊपर उच्चका कर पूछा।
"क्योंकि मैं तुम्हारा हसबैंड हूं। और एक अच्छी वाइफ की तरह तुम्हे मुझ पर यकीन करना चाहिए।" कबीर ने आंख मारते हुए कहा।
"मैं..... उउह्ह....क्या....आपने आंख क्यों मारी?"
"ऐसे ही... और अगर तुम्हारी पूछ ताछ खतम हो गई हो तोह मैं तुम्हे कहीं और भी लेकर जाना चाहता हूं। क्या लेकर चल सकता हूं?" कबीर ने बड़ी ही अदब से पूछा।
"कहाँ?"
"जब पहुँचोगी तोह पता चल जायेगा।" कबीर ने गाड़ी चलाते हुए कहा और दूसरी तरफ गाड़ी मोड़ दी।
कबीर ने गाड़ी कब्रिस्तान के आगे रोकी और अमायरा समझ नही पा रही थी की कबीर उसे यहां क्यों लाया है। कबीर गाड़ी से उतरा और अमायरा को भी उसका हाथ पकड़ कर गाड़ी से उतरा। वोह वैसे ही उसका हाथ पकड़े हुए महिमा की कब्र तक जानें लगा। दोनो एक दम चुप थे।
"हाय महिमा। देखो आज कौन आया है तुमसे मिलने। अमायरा। मेरी बेस्ट फ्रेंड। मेरी पत्नी," कबीर ने आखरी के शब्द अमायरा की तरफ देखते हुए कहा और अमायरा ने भी पलट कर बहादुरी से मुस्कुरा दिया।
वोह समझ नही पा रही थी की इस सिचुएशन में किस तरह बिहेव करे। उसने कभी नही उम्मीद की थी की एक दिन कबीर उसे यहां लाएगा। महिमा कबीर की जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी, और वोह अभी भी है और अमायरा जानती थी की आज तक कबीर किसी को भी अपने साथ यहां नही लाया है। कबीर जब भी उदास होता था तोह यहां आता था क्योंकि उसे अपनी फीलिंग्स किसी के साथ शेयर करना पसंद नही था। और अब जब वोह यहां थी, वोह नही जानती थी की उसे खुश होना चाहिए की कबीर ने उसे अपनी जिंदगी का इंपोर्टेंट हिस्सा माना और उससे अपनी फीलिंग्स शेयर करने के लिए यहां लाया या नहीं।
"हेलो महिमा। मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूं।" अमायरा ने लगभग फुसफुसाते हुए कहा। वोह डर रही थी यहां, यहां की शांति को भंग नही करना चाहती थी। आखिर सूरज ढल चुका था और वोह एक कब्रिस्तान में खड़ी थी। कबीर उसकी बात सुन कर मुस्कुरा गया।
"देखो, मैने नही कहा था की यह जादूगर है। इसे हमेशा से पता होता है की कब, कहां और क्या बोलना है।" कबीर ने अपने पहले प्यार की तरफ देखते हुए कहा।
"तुम दोनो ही यह सोच रहे होंगे की मैं अमायरा को यहाँ क्यों लाया हूं। क्योंकि तुम दोनो ही मेरी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हो। और मैं चाहता था की तुम दोनो मिलो। मैं जानता हूं की तुम दोनो पहले भी मिले हो, पर उस वक्त मुझे पता नही था। मैं बस चाहता था की तुम दोनो मिलो और जानो की तुम दोनो मेरे लिए बराबर हो। महिमा, तुमने मुझे प्यार करना सिखाया, और अमायरा, तुमने मुझे फिर एक बार जीना सिखाया। तोह आज, मैं तुम दोनो को थैंक यू बोलना चाहता हूं, मेरी जिंदगी का हिस्सा बनने के लिए।" कबीर ने बारी बारी से महिमा की कब्र और फिर अमायरा की तरफ देखा।
"क्या तुम्हे उससे कुछ नही कहना? कबीर ने अमायरा से पूछा।
"हां। कहना है। मैं जानती हूं की आप दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। मैं आप दोनो की यह बताना चाहती हूं की मैं कभी भी आप दोनो के प्यार के बीच नही आऊंगी। कोई भी किसी से इस तरह प्यार नही करता। मुझे खुशी है की मैं आप दोनो के प्यार की गवाह बनी। और मुझे उम्मीद है की आप दोनो हमेशा एक दूसरे से ऐसे ही प्यार करते रहेंगे। मैं कभी भी तुम्हारी जगह लेने की कोशिश नही करूंगी, महिमा।" अमायरा ने कहा तोह महिमा की कब्र और कबीर के सामने कहा लेकिन प्रोमिस खुद से किया था।
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