Secret Admirer - 27 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Secret Admirer - Part 27

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Secret Admirer - Part 27


"पर इशिता तोह ऑफिस में बिज़ी होगी। तुम सब अकेले कैसे मैनेज करोगी?" सुमित्रा जी ने आगे कहा।

"कौन कहता है की मैं अकेली हूं? आप सब हैं मेरे साथ। आप चिंता मत कीजिए और सब काम मुझ पर छोड़ दीजिए। आखिर मैं इस घर की बड़ी बहू हूं। और मिस्टर मैहरा ने मुझसे कहा था की मुझे जिस चीज़ की भी जरूरत होगी वोह मेरी हेल्प करेंगे।"

"उसने कहा?" सुमित्रा जी ने अपनी एक भौंह को ऊपर चढ़ा कर पूछा।
अमायरा अपनी ही कैलकुलेशन में थी इसलिए उसने नोटिस ही नही किया की सुमित्रा जी के चेहरे के भाव क्या हैं।

"हां। तोह आप चिंता मत कीजिए। हम लोग इंगेजमेंट भी शेड्यूल के हिसाब से करेंगे और वैडिंग भी।" अमायरा इतना कह कर अपने रूम की तरफ चली गई। सुमित्रा जी अपने आप में मुस्कुराई। उन्हे अपने बेटे के लिए खुशी हो रही थी और अपनी बहू पर गर्व भी।

"भईया बदल रहें हैं मॉम," साहिल ने कहा और सुमित्रा जी अपने ख्यालों से वापिस आई। जो सुमित्रा जी सोच रहीं थी वोही साहिल ने उनसे कहा था।

"हां। वोह बदल तोह रहा है। और इसीलिए मैं बहुत खुश हूं।"

"यह तोह होना ही था। भाभी हैं ही इतनी अच्छी। कोई भी उन्हे ज्यादा समय तक इग्नोर नही कर सकता। और भईया ने अपने आपको दुनिया से इतना अलग कर रखा था की वोह देख ही नहीं पाए की वोह भी खुश रह सकते हैं अगर अपने आप को एक चांस दे तोह। और भाभी वोह तोह बहुत ही खूबसूरत इंसान हैं, अंदर से भी और बाहर से भी। कोई चांस ही नही है की वोह उन्हे अवॉइड करदें। और साथ ही वोह एक अट्रैक्टिव वूमेन भी हैं, जो उनकी शख्सियत में चार चांद लगाता है।"

"मेरा कबीर इतना मूर्ख नहीं है की सिर्फ उसकी सुंदरता से पिघल जाए। यह तोह अमायरा की अच्छाइयां हैं जो इतना बदलाव लाई हैं।"

"है मॉम। मेरे कहने का वोह मतलब नही था। मैने ऐसा तोह नही कहा की सिर्फ इसी वजह से। पर आप इस बात से इंकार नही कर सकती की आज कल भईया भाभी को जिस तरह से देखते हैं वोह भी यह सोच कर की कोई उन्हे नही देख रहा, उनके देखने के अंदाज से साफ लगता है की वोह उसे बहुत पसंद करते हैं जिसे वोह देख रहें हैं। अफसोस की बात तोह यह है की जिसे समझना चाहिए बस उसे ही समझ नही आ रहा।"

"यह तोह सही कह रहे हो तुम। मुझे खुशी है की इन दोनो ने अपने रिश्ते को सुधारने पर काम करना शुरू कर दिया है। मैं नही चाहती की दोनो में से कोई भी ज्यादा समय तक सफर करे। और शायद अमायरा को अभी भी अपनी भावनाएं समझनी है। पर फिर भी मैं बहुत खुश हूं की यह दोनो अपने रिश्ते में आगे बढ़ रहें हैं।" सुमित्रा जी ने खुशी से चहकते हुए कहा। वोह उठ कर अपने रूम में चली गई अपने पति इंद्रजीत जी को भी यह खुश खबरी सुनाने जिसका अभी अभी मां बेटा बैठ कर अंदाज़ा लगा रहे थे।

****

"क्या साहिल मान गया?" कबीर ने अमायरा को कमरे में आते देख पूछ दिया।

"हां। पर आपको सारी तैयारियों में मेरी मदद करनी होगी। मैने सुमित्रा आंटी को कह दिया है की आप मेरी हेल्प करेंगे, बिना आपसे पहले पूछे।" अमायरा ने हल्का सा मुस्कुरा कर कहा।

"अब जब तुमने पहले ही कह दिया है, फिर मैं ना कैसे कर सकता हूं?" कबीर मुस्कुरा गया। "पर इसके बदले तुम्हे मुझे कुछ देना होगा, रिश्वत।"

"और इस रिश्वत में आप क्या लेंगे?"

"ज्यादा कुछ नही। बस तुम्हारे साथ घूमना है। तुमने वादा किया था की तुम मुझे अपनी पसंदीदा जगह दिखाओगी इस शहर की।"

"मुझे लगा था की आप मज़ाक कर रहें थे।"

"मैं मज़ाक नहीं कर रहा था। मुझे आना है तुम्हारे साथ। तोह, हम कब चल सकते हैं?" कबीर ने प्यार से पूछा।

"कल?" अमायरा ने पूछा।

"डन 👍। तोह फिर यह हमारी डेट होगी।" कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा। और अमायरा कुछ कन्फ्यूज्ड सी हो गई।

"हुउंह.......क्या? डेट?"

"हां। अब मैं अपनी वाइफ को बाहर ले जा रहा हूं, क्या इसे डेट नही कहना चाहिए? तोह तुम्ही बताओ की मैं इसे क्या कहूं? एक अपॉइंटमेंट?"

"मैं बहुत थक गई हूं। जा कर कपड़े बदल कर आती हूं फिर बहुत नींद आ रही है।" अमायरा ने कबीर के सवाल को अनदेखा कर अपना नाइटसूट लेकर बाथरूम में घुस गई।

कबीर अपने कमरे में खड़ा बाथरूम के बंद दरवाज़े को देख कर मुस्कुरा रहा था। पिछले कुछ दिनो से कबीर कुछ इस तरह से अमायरा को किसी न किसी बात पर छेड़ रहा था। उसकी हरकतों से अमायरा थोड़ा घबरा जाती और असहज हो जाती। अमायरा उसके इस तरह के सवालों का जवाब अवॉइड करने लगी और कबीर उसकी असहजता को एंजॉय करने लगा। पर जब कभी कभी अमायरा उसकी हरकतों पर रिएक्ट करती तोह कबीर यह बोल कर पीछे हट जाता की वोह तोह मज़ाक कर रहा था, और अमायरा फिर आगे बहस नही करती।

अब जब कबीर अमायरा से प्यार करने लगा था, तो वो अमायरा की छोटी सी छोटी हरकतों को भी नोटिस करने लगा था। कैसे वोह मुंह बनाती है जब वोह सुबह उठती है। कैसे हर मिनट मिनट में वोह बाल झटकती रहती है। कैसे वोह मुस्कुराती है जब उसे जवाब नही देना होता। हर वोह चीज़ जो उसे बनाता था, बस उसे। वोह उसके करीब जाना चाहता था, लेकिन डरता था कहीं उसे पसंद नही आया तोह और उसकी उसके पास आने की सारी कोशिशें भी ऐसी थी की अमायरा ने तो कुछ भी नोटिस ही नही किया होगा। उसे कुछ ना कुछ तोह करना ही पड़ेगा अमायरा को यह बताने के लिए की वोह क्या फील करता है उसके लिए नही तोह वोह जल्द ही संत महात्मा की कैटेगरी में चला जायेगा, कबीर ने खुद के बारे में अनुमान लगाया।

तोह अब उसे प्लानिंग करनी थी उसे बाहर ले जाने के लिए, उसे स्पेशल फील करने के लिए। उसे यह बताने के लिए की वोह उसके लिए दोस्त से बढ़ कर है, बल्कि वोह उसके सामने अपनी फीलिंग्स शो करना चाहता था। वोह इंतजार करने के लिए भी तैयार था, जब तक इन सब के लिए अमायरा तैयार नहीं हो जाती। पर इसके लिए हिम्मत की जरूरत थी और फिलहाल अभी, उसे उसके लिए अपनी पूरी हिम्मत जुटानी होगी।

अमायरा वाशरूम से बाहर निकली और ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ गई। वोह अपना रोज का काम करने लगी, नाइट क्रीम लगाना। और कबीर उसे उसी शीशे से चुपके ने निहार रहा था।


*क्या यह हमेशा से ही इतनी सुंदर थी और मैने कभी नोटिस ही नही किया था? यह हमेशा से ही यह मिसमैच्ड कुर्ता पायजामा में रहती है या फिर अपने से बड़े टॉप और फेडेड जींस में। यह साड़ी में कैसी लगेगी या फिर इवनिंग गाउन में, या कैजुअल ड्रेस और शॉर्ट्स। मुझे लगता है वोह बहुत ही खूबसूरत दिखेगी उन शॉर्ट ड्रेसेज में, अपने पतले और लंबे टांगो की वजह से। उह्ह्ह्, यह में क्या सोच रहा हूं? उसे बिलकुल भी अच्छा नही लगेगा अगर उसे पता चला तोह की मैं उसके बारे में क्या सोच रहा था।*

*पर यह तोह मेरी अपनी सोच है। वोह नही जान सकती। और मैं जो चाहता हूं कुछ भी कल्पना कर और सोच सकता हूं। बल्कि उससे भी ज्यादा कर सकता हूं। आखिर वोह मेरी पत्नी है। पर शायद इस तरह से तोह मैं सोच ही सकता हूं। कम से कम अभी के लिए तोह।*

*उसने हमारी शादी के समय भी तोह साड़ी पहनी थी। या फिर लहंगा पहना था? उस वक्त वोह कैसी लग रही थी? मुझे कुछ याद क्यों नही है? यह हमारी शादी की सारी तस्वीरें कहां हैं? इसके नैन नक्श तोह काफी अच्छे हैं। क्या यह बहुत प्यारी नही लगेगी अगर यह थोड़ा अपना ध्यान रखे और ठीक से ड्रेस्ड अप होने लगे? पर फिर वोह मेरी अमायरा नही होगी। अमायरा तोह यह है। कैसी दिख रही है इसे कोई फर्क नही पड़ता, फिर भी भीड़ में अलग दिख जायेगी। मुझे पहले इसमें यह सब क्यों नही दिखा?*


"कुछ हुआ है?" अमायरा की आवाज़ ने कबीर के मन में चल रही बातों को विराम लगा दिया।

"हुंह....क्या?"

"मैने कहा इतने ध्यान से आप क्या देख रहे हैं? क्या मेरे सिर पर सिंह निकल आए हैं?"

"न....नही.... मैं बस यह सोच रहा था की शीशे को बदल देना चाहिए। यह कुछ अजीब लग रहा है कमरे के बाकी फर्नीचर के साथ। बिलकुल भी मैच नहीं कर रहा।" कबीर पकड़े जाने के डर से बड़बड़ाने लगा।

"क्या? पर मुझे तोह यह सब फर्नीचर के हिसाब से सही लग रहा है।" अमायरा ने प्यार कमरे का जायज़ा लेते हुए कहा।

"ओह। आगरा तुम्हे लग रहा है तोह सही होगा। शायद मैं ही गलत हूं। हम नही कराएंगे कुछ भी चेंज।" कबीर ने तुरंत जवाब दिया। वोह अभी भी बहुत घबराया हुआ था पकड़े जाने के डर से की कहीं अमायरा ने उसे उसको निहारता हुआ पकड़ ना ले।

"आपको नही लगता आज कल आप कुछ अजीब अजीब बातें करने लगे हैं?" अमायरा कबीर की बातों से थोड़ा कन्फ्यूज्ड हो गई थी। "क्या यह बहुत ज्यादा काम का प्रेशर है या फिर आप मुझे अपने आसपास बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि मैने आपको डाइवोर्स देने से मना कर दिया था? बहुत गहरा असर पड़ा है आपके ऊपर इसका, हुंह?" अमायरा ने कबीर को चिढ़ाते हुए कहा।

*मैं तुम्हे अभी बता ही नही सकता की क्या इफेक्ट पड़ा तुम्हारा मुझ पर। जब तक की मुझमें हिम्मत नही आ जाति।*

"हां बहुत ज्यादा काम है। पर मुझे लगता है की मुझे अपना माइंड डायवर्ट कर लेना चाहिए। और तुम्हारे साथ बाहर जा कर ही इस काम की शुरुवात कर लेते है।" कबीर ने कहा और अमायरा मुस्कुराने लगी।

"हम बस कुछ ही नॉर्मल सी जगह जा रहें हैं। कुछ रोड साइड स्टॉल्स और बस। क्या है ऐसा जिससे आप इतना एक्साइटेड क्यों हो रहे हो?" अमायरा ने पूछा।

*तुम*

"कुछ सालों से में लगातार काम कर रहा हूं। कभी मुझे किसी ने बताया ही नहीं की मस्ती कैसे करते है। और अब तुम्हारे साथ एस अ फ्रेंड, मैं वोह सब करना चाहता हूं।" कबीर ने मुस्कुरा कर जवाब दिया।

*मैने एस अ फ्रेंड क्यों कहा? मैने ऐसा क्यों नही कहा की मैं बहुत एक्साइटेड हूं क्योंकि मैं तुम्हारे साथ एक पूरा दिन बीतने वाला हूं, अपनी पत्नी के साथ? मैं भी बेवकूफ हूं।*

*नही। बेवकूफ नही हूं। पागल हूं पूरा।*





















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