२५.एक बूंद इश्क
अपर्णा अपने कमरें में रो रही थी। उस वक्त वंदिता जी उसके कमरे में आई। सारे घरवाले नीचे परेशान बैठे थे। रुद्र अपनें आप को अपने कमरे में बंद करके बैठा था। सब को उसकी बहुत चिंता हो रही थी। मगर किसी में उसके पास जाकर उसे मनाने की हिम्मत नहीं थी। उसका गुस्सा कैसा था? वो सब जानते थे। इसलिए अब सब की उम्मीद बस अपर्णा से जुड़ी थी।
कुछ देर बाद रुद्र के कमरें से चीजें टूटने की आवाजें सुनाई देने लगी। रणजीत जी अपने आप को रोक नहीं पाएं तो वह खड़े होकर रुद्र के कमरें में जानें के लिए सीढ़ियां चढ़ने लगे। उसी वक्त अपर्णा के कमरें का दरवाज़ा भी खुला। वंदिता जी भी उसके साथ थी। अपर्णा ने एक नज़र रणजीत जी को देखा फिर अपनी मम्मी की ओर देखने लगी। उन्होंने पलकें झपकाई तो अपर्णा रुद्र के कमरें की ओर बढ़ गई। इस बार अपर्णा ने जैसे ही दरवाजे पर हाथ रखा। दरवाज़ा खुल गया। अपर्णा अंदर आ गई। उसने देखा कि रुद्र ने अपने कमरे की कांच की सभी चीजें तोड़ डाली थी। कुशन्स पूरे कमरे में बिखेर दिए थे। चद्दर भी तहस-नहस कर दी थी।
अपर्णा संभलते हुए रुद्र की ओर आगे बढ़ी। फिर भी उसे कांच का एक टुकड़ा पैर में चुभ गया। उसके मुंह से आह तक नहीं निकली और वह खिड़की के सामने खड़े रुद्र के पास आकर उसके बाजु में खडी हो गई।
"अब कौन-सा नया दर्द देने आई हो? पहले मेरे लेने आने पर नहीं आई। लेकिन अपनी मम्मी के साथ आ गई। चलो वो बात जाने दो। मुझे लगा तुम भी मुझे पसंद करती हो। मुझे चाहने लगी हो। मैंने तुम्हारी आंखों में भी देखा था। लेकिन... लेकिन तुमने कह दिया की मुझे कोई और अच्छी लड़की मिल जाएगी। तो फिर तुम्हें क्या एतराज़ है? कोई और लड़की क्यूं? तुम क्यूं नहीं?" रुद्र ने दर्द से तड़प कर कहा।
"तुम्हें जो लगा सब सही लगा। तुमने मेरी आंखों में जो देखा। सब सही देखा।" रुद्र की लंबी-चौड़ी बात पर अपर्णा ने सिर्फ इतना ही कहा।
"अगर मैंने देखा वो सच है तो सब के सामने तुमने मुझसे शादी करने के लिए मना क्यूं किया?" रुद्र ने अपर्णा के कंधों को पकड़कर उसकी आंखों में देखते हुए पूछा।
"क्यूंकि मैं तुमसे प्यार करती हूं। लेकिन शादी नहीं कर सकती।" अपर्णा ने नजरें चुराते हुए कहा।
"अब ये क्या बकवास है?" रुद्र ने अपर्णा को हल्का धक्का देकर कहा।
"बकवास नहीं सच है। मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती। क्यूंकि मुझे हार्ट फेलियर की बिमारी है। मैं धीरे-धीरे मर रही हूं। मेरा दिल काम करना बंद कर रहा है। उसकी धड़कने कभी ही मेरा साथ छोड़ सकती है। मेरे पास ज्यादा वक्त नहीं है। ऐसे में मैं तुमसे शादी करके तुम्हारी जिंदगी कैसे बर्बाद कर सकती हूं?" अपर्णा भरी आंखों से बोल गई। उसकी बात पूरी होते ही उसकी आंखों से आंसु बहने लगे। वह आज़ तक अपनें मम्मी-पापा से मिलने के लिए तड़पती रही। अपने सपनों के राजकुमार की राह देखती रही। उसे इन सब से चाहिए ही क्या था? बस एक बूंद इश्क! अपर्णा के लिए एक बूंद इश्क काफ़ी था। लेकिन अब उसे एक बूंद जिंदगी की जरूरत थी। जिससे वह अपने मम्मी-पापा के साथ जी सके। रुद्र के साथ कुछ प्यार भरे लम्हे बिता सकें। लेकिन अब वही जिंदगी उसके पास नहीं थी।
रुद्र ने हार्ट फेलियर की बिमारी सुना तो उसके पैरों तले की जमीन खिसक गई। उसकी आंखों के आगे अंधेरा छा गया। वह घुटनों के बल गिर पड़ा। उसकी जिंदगी में लड़कियों की कोई कमी नहीं थी। लेकिन उसे किसी खास का इंतज़ार था। पर उसे कहा पता था कि महादेव किसी खास को उसकी जिंदगी में भेजेंगे जरुर! लेकिन जिंदगी भर उसे उसके साथ नहीं रहने देंगे।
अपर्णा के पास जिंदगी बहुत ही कम बची थी और रुद्र में हिम्मत ज्यादा नहीं बची थी। फिर भी उसने खुद को संभाला और खड़ा होकर, अपर्णा का हाथ पकड़कर उसे नीचे ले आया। रुद्र और अपर्णा को देखकर सब खड़े हो गए। रुद्र ने सब की ओर एक नज़र घुमाई और कहा, "शादी की तैयारी शुरू करो। कल ही मेरी और अपर्णा की शादी होगी।"
"ये तुम क्या बकवास कर रहे हों? पागल हो गए हो क्या? सच्चाई जानने के बाद भी आखिर ये जिद्द क्यूं?" अपर्णा ने रुद्र का हाथ झटककर गुस्से से कहा।
"आज़ तक तुमने रूद्र अग्निहोत्री का गुस्सा और पागलपन देखा है। अब जिद्द भी देख लो। एक नहीं एक हजार लड़कियां मुझसे शादी करने के लिए तैयार बैठी है। लेकिन मुझे सिर्फ तुम पसंद आई। उस दिन हम अस्सी घाट पर मिले। वो कोई इतिफाक नहीं, बल्कि महादेव की ही मर्जी थी। आज़ तक तुमने जिंदगी में बहुत कुछ सहा है। इसीलिए शायद महादेव ने उस रात मुझे तुमसे मिलवाया। तुम हमारी कंपनी में जोब के लिए आई। रोज-रोज हमारी मुलाकात होती रही। मैं तुम्हें मेरे परिवार से मिलवाने ले आया। तब दादाजी ने मुझे बताया कि उन्होंने तो हमारी शादी बहुत पहले ही तय कर दी थी। उसी दिन तुम्हारी मम्मी यहां आई। फिर मैं तुम्हें तुम्हारे पापा से मिलवाने बनारस ले गया। यहां आकर बहुत तमाशा हुआ। तुम घर छोड़कर चली गई। तुम्हारी मम्मी तुम्हें लेने आई। तुम वापस भी आ गई। आखिर ये सब किसलिए? इसीलिए क्यूंकि महादेव भी चाहते है कि तुम अपनी जिंदगी के आखरी वक्त में खुश रहो।" रुद्र ने इतनी लंबी बात की, फिर भी कोई कुछ समझ नहीं पाया। लेकिन उसकी कहीं आखरी बात पर सब लोग हैरान थे। उस बात ने सब के मन में एक सवाल खड़ा किया था। जो अपर्णा की आंखों से छिप नहीं पाया।
अपर्णा ने एक नज़र सब को देखा और कहने लगी, "अब आप सब ही रुद्र को मना सकते है। मुझे पता था कि आप सब मिलकर मुझे शादी के लिए मना लेंगे। इसीलिए मैंने रूद्र को सच्चाई बता दी। लेकिन मुझे लगता है कि इसकी समझ में कुछ आ ही नहीं रहा है।"
"मेरी समझ में सब आ रहा है। वैसे देखा जाए तो हम दोनों को एक ही जैसी बिमारी है। लेकिन तुम्हें नहीं पता कि मेरी बिमारी ज्यादा खतरनाक है। तुम्हारे पास तो अभी भी कुछ वक्त बचा है। लेकिन अगर तुम अभी से मुझे छोड़कर चली गई। तो पक्का मैं आज़ ही मर जाऊंगा। क्यूंकि तुम्हें तो हार्ट फेलियर की बिमारी है। लेकिन मुझे तो तुम्हारे साथ रहने के बिमारी हो गई है। नहीं रह सकता मैं तुम्हारे बिना! लेकिन तुम्हारे पास जितना वक्त है। उसमें मैं तुम्हें वो सारी खुशियां देना चाहता हूं। जो तुम डिजर्व करती हो। तुम जितना वक्त मेरे साथ रहोगी। उन यादों को मैं अपने दिल के एक कोने में कैद कर लूंगा। फिर उसी यादों के सहारे जी लूंगा। लेकिन अभी तुम चली गई। तो मैं अभी ही मर जाऊंगा। सुनने में थोड़ा फिल्मी है। लेकिन सच यही है।"
रुद्र ने थोड़ा नर्म होकर अपर्णा की आंखों में देखते हुए आगे कहा, "मुझे सिर्फ एक बूंद इश्क चाहिए। उसी के सहारे मैं पूरी जिंदगी बिता दूंगा। अब तुम मुझसे ये हक नहीं छिन सकती।"
रुद्र की बात सुनकर अपर्णा की आंखों में आंसु आ गए। रुद्र की आंखें भी भर आईं। रुद्र ने अपर्णा को गले लगा लिया और दोनों की आंखों से आंसु बहने लगे। दोनों को देखकर सब की आंखों में आंसु आ गए।
(क्रमशः)
_सुजल पटेल