"क्या?" कबीर ने थोड़ी देर बाद पूछा जब वोह वाशरूम से बाहर निकाला और उसने देखा की अमायरा सामने काउच पर बैठी उसे गुस्से से उसे घूर रही है।
"कुछ नही।"
"बताओ भी।" कबीर उसके पास जा कर बैठ गया था।
"मैं गुस्सा हूं।" अमायरा ने सीधे कहा।
"क्यों?" कबीर ने हैरानी से पूछा।
"आपने ऐसा कैसे सोच लिया की मैं चली जाऊंगी और गौरव से शादी कर लूंगी?"
"मैं.....उउह्ह्ह्ह....मैने सोचा की वोह एक अच्छा लड़का है। तुम उसके साथ रहना चाहती थी पर तुम्हे मेरे साथ शादी करने के लिए फोर्स कर दिया गया था हालातों की वजह से। जब मैं उस दिन उससे मिला था तोह मुझे लगा था की वोह तुम्हे पसंद करता है और शायद तुम उसके साथ खुश रहो। तुम पक्का श्योर होना की तुम्हे यही चाहिए अमायरा? क्या तुम्हे उसके लिए कोई फीलिंग्स नही है?" कबीर ने पूछा। वोह डरा हुआ था की कहीं अमायरा ऐसा कोई जवाब ना दे दे जो उसे पसंद ना आए।
"मैं नही जानती की उस वक्त मुझे उसके लिए कोई फीलिंग्स थी या नही लेकिन इतना जानती हूं की अब उसके लिए मुझमें कोई फीलिंग्स नही है। वोह मेरा दोस्त था पर जब उसने मुझे प्रपोज किया, तोह मैं कन्फ्यूज्ड हो गई थी। मुझे पता चला की उसने पूरी क्लास को बता दिया है की उसने मुझे प्रपोज किया है पर मैने कभी उस तरह से उसके लिए सोचा ही नहीं था। जब तक मैं कोई डिसीजन ले पति मैं आपके साथ इंगेज हो गई। और उसके बाद वोह कभी भी मेरी ख्यालों में नही आया। मैं झूठ नही बोल रहा थी, जब मैने कहा था की मैं उसके बारे में बताना भूल गई थी।"
*थैंक गॉड। कम से कम वोह नही है कारण इसके मेरे साथ फ्रेंड ज़ोन में रहने का।*
"पर आपने यह सोचा भी कैसे। मुझे तोह यकीन ही नहीं हो रहा है। मैं आपसे बहुत गुस्सा हूं।" अमायरा ने अपने होठों को गोल 😗 घुमाते हुए कहा।
*है! क्या तुम इतना क्यूट 😍 दिखना बंद करोगी। और यह होंठों को ठीक करो, ऐसे पाउट मत किया करो मेरे सामने।*
"आई एम सॉरी अमायरा। पर मुझे कैसे पता चलेगा की तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है। तुमने पहले कभी भी मुझसे अपने बारे में शेयर ही नही किया था।"
"आप क्या जानना चाहते हैं?"
"सबकुछ। तुम्हे क्या पसंद है, क्या नही। किसी तुम्हे खुशी मिलती है, किस्से दुख होता है। जब तुम खुश होती हो तो कहां जाना पसंद करती हो, जब दुखी होती हो तो कहां जाना पसंद करती हो। तुम्हे खाने में क्या पसंद है। कौनसा तुम्हारा फेवरेट रेस्टोरेंट है। मुझे कुछ भी पता ही नही है तुम्हारे बारे में।"
"क्योंकि आपने कभी पूछा ही नही।" अमायरा ने खुराफाती मुस्कुराहट से कहा।
"ठीक है, एक काम करते हैं। तुम मुझे क्यों नही ले जाती शहर घुमाने और दिखाओ की कहां कहां जाना और क्या क्या करना तुम शादी से पहले जाना पसंद करती थी? कबीर ने पूछा।
"आपको सच में यह करना है?"
"हां।"
"पर आपको वोह जगह पसंद नही आयेगी।"
"क्यों?"
"क्योंकि वोह जगह वैसी हाई फाई नही है जैसे जगह आप जाते हैं। वोह तोह लोकल, छोटी छोटी जगह है।"
"मैं जाना चाहता हूं तुम्हारे साथ वहां।" कबीर ने सीरियसली कहा।
"ठीक है।" अमायरा और बहस नही कर सकती थी कबीर के साथ।
"ओके। अब सो जाओ। तुम्हे कल हॉस्पिटल भी तोह जाना है आंटी को घर लाने।" कबीर ने कहा और अमायरा ने सिर हिला दिया।
"गुड नाईट।" अमायरा ने अपनी बैड साइड की तरफ लेटते हुए कहा। जबकि कबीर उसे बड़ी ही शांत मन और खुशी से देख रहा था। यह सोच के की वोह अब उसके साथ ही रहेगी। अब उसके पास पूरी जिंदगी है इस फ्रेंड ज़ोन से बाहर निकलने के लिए। कबीर अपने ही ऊपर मुस्कुराया और उसके साथ ही बैड पर लेट गया अपनी साइड। वोह उसकी तरफ मुंह करके लेटा हुआ था। आज उसकी आंखों में नींद नहीं थी। उत्साह, प्यार और फ्रेंड ज़ोन होने पर थोड़ी निराशा ने उसकी नींद उड़ा दी थी। अमायरा ने नींद में ही करवट बदली और कबीर की तरफ मुंह कर लिया।
*यह कितनी खूबसूरत लगती है। और यह कलर इस पर कितना अच्छा लगता है। बल्कि हर कलर इस पर अच्छा लगता है।*
*क्या यह उठ जायेगी अगर मैं इसे पकड़ लूं? मुझे लगता है की मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए।*
*वोह सच में अपनी नींद से बहुत प्यार करती है। पूरी की पूरी बच्ची है। ओके पूरी तरह बच्ची नही है।*
वोह मन ही मन अपनी पत्नी की तारीफ किए जा रहा था जब तक की नींद उसकी आंखों में समा ना गई हो। और फिर वोह चेहरे पर मुस्कुराहट लिए सो गया।
****
"थैंक यू।" अमायरा ने कार में बैठे हुए कहा। कबीर उसे हॉस्पिटल छोड़ने आया था।
कबीर गाड़ी से उतर गया बिना अमायरा को कोई जवाब दिए हुए।
"क्या?" आप कहां जा रहे हैं?" अमायरा ने कार से उतरते हुए पूछा।
"तुम्हारे साथ। तुम्हारी मॉम को लाने।"
"पर..... मैं खुद चली जाऊंगी। आपको अंदर आने की जरूरत नहीं है।" अमायरा ने जवाब दिया। वोह हैरान थी।
"मुझे जरूरत नही है, बल्कि मैं चाहता हूं। मैं नही चाहता की तुम अकेली रहो। जो की मुझे बहुत पहले ही सोच लेना चाहिए था।"
"मैं अकेली नहीं हूं। दी और जीजू पहले से ही हैं यहां। मेरा यकीन मानिए, मैं ठीक हूं। बस कुछ फॉर्म्स साइन करने होंगे फोमालिटी के लिए जो की दी पहले ही कर चुकी होगी।"
"कम ऑन अमायरा। चलते हैं अंदर।" कबीर अपना एक हाथ आगे बढाया।
"पर....." अमायरा अभी भी आना कानी कर रही थी।
"शशशश.....🤫 मैं ठीक हूं। जब तक तुम मेरे साथ रहोगी, मैं बिल्कुल ठीक रहूंगा।" कबीर ने प्रोमिस किया और अमायरा ने अपना हाथ कबीर के हाथ पर रख दिया। कबीर उसका हाथ थामे हॉस्पिटल के अंदर बढ़ गया।
****
"अमायरा तुम आ...... उह्ह....यह यहां क्या कर रहें हैं?" इशिता ने फुसफुसाते हुए कहा। वोह फोन पर बात कर रही थी और अमायरा को आता देख कर उसे ग्रीट कर रही थी लेकिन उसके पीछे कबीर को आता देख कर इशिता शॉक रह गई थी।
"उउह...वोह यह देखने आए हैं की यहां डिस्चार्ज फॉर्मेलिटी में कोई दिक्कत तोह नही आ रही।" अमायरा ने बात संभालते हुए कहा।
"पर भाभी, भाई तोह कभी अंदर नही....." इशान ने कहा।
"मुझे पता है। पर वोह आज आना चाहते थे।" अमायरा ने उन फॉर्म्स की तरफ देख कर कहा जो इशिता ने पकड़े हुए थे। "क्या सब ठीक से हो गया है दी?"
"हां।" इशिता ने इशान की तरफ हल्के से मुस्कुराते हुए कहा और ईशान भी बदले में मुस्कुरा गया। दोनो ही यह छोटी सी प्रोग्रेस देख कर अपने अपने भाई बहन के लिए खुश थे।
"क्या सब ठीक है? अब हम इन्हें घर ले जा सकते हैं?" कबीर ने उनका ध्यान तोड़ते हुए कहा।
"हां। यह लोग अभी इन्हे बाहर लेकर चलेंगे और मैं फिर मॉम को लेकिन घर चली जाऊंगी और कुछ दिन उनके साथ ही वहीं रहूंगी।" इशिता ने जवाब दिया।
"क्यों? तुम्हे इन्हे वहां क्यों लेकर जाएगी? इन्हे प्रॉपर देखभाल की जरूरत है। मुझे लगता है की इन्हे हमे अपने घर लेकर जाना चाहिए। ताकि तुम दोनो ही उनके साथ रह सको और उनका ध्यान रख सको। तुम हर वक्त इशिता के साथ नही रह सकती इशिता। जब कभी तुम किसी काम में बिजी हो जाएगी और इन्हें किसी चीज़ की जरूरत हुई तोह क्या होगा?" कबीर ने अपनी बात रखी और अमायरा कबीर पर मुस्कुरा गई यह देख कर की उसे कितनी चिंता है उसकी मॉम की। वोह खुद अपनी मॉम से नाराज़ है, पर इसका मतलब यह नहीं की वोह अपनी मॉम की देखभाल नही करेगी। आखिर वोह उसकी मॉम है और वोह अपनी मॉम से बहुत प्यार करती थी।
"ठीक है। तोह हम इन्हें अपनी कार में ले जाते हैं। और आप दोनो अपनी गाड़ी में आइए।" इशान ने आगे कहा और सब ने सहमति में सिर हिला दिया।
अमायरा ने कबीर की तरफ आंखों ही आंखों में आभार व्यक्त करते हुए देखा। और कबीर ने अपनी पलके झपका दी यह जताते हुए की उसे यह थैंक यू कहने की जरूरत नहीं है।
****
कुछ दिनों बाद..
"मुझे लगता है की हमे यह इंगेजमेंट पोस्टपोन कर देनी चाहिए। मैं और सुहाना तोह बाद में भी इंगेजमेंट कर सकते हैं।" साहिल ने अपनी मॉम से कहा। "नमिता आंटी को इस वक्त आराम की जरूरत है और इस समय हम कोई फंक्शन नही कर सकत जिससे उन्हे तनाव हो।"
"नो साहिल। मॉम बिलकुल ठीक हैं। उन्हे आराम की जरूरत है और वोह कर रही हैं। हम इसमें तुम्हारा इंगेजमेंट क्यों पोस्टपोन करे?" अमायरा ने बीच में टोका।
"पर भाभी.....अगर उन्हें...."
"उन्हे कुछ नही होगा। सुहाना के बारे में सोचो। उसे कैसा लगेगा की उसकी इंगेजमेंट पोस्टपोन हो गई सिर्फ मेरी मॉम की वजह से। कोई भी लड़की अपने मंगेतर से ऐसे बरताव की उम्मीद नही करती होगी।"
"अमायरा लेकिन उन्हें इस वक्त एक्सर्शन नही होना चाहिए। आर यू श्योर की हम यह फंक्शन अभी कर सकते हैं?" सुमित्रा जी ने कहा।
"हां आंटी। आप किसी भी चीज़ की फिकर मत कीजिए। मैं मॉम का भी ख्याल रखूंगी और सारी तैयारियां भी देख लूंगी," अमायरा ने खुशी से चहकते हुए कहा।
"पर इशिता तोह ऑफिस में बिज़ी होगी। तुम सब अकेले कैसे मैनेज करोगी?" सुमित्रा जी ने आगे कहा।
"कौन कहता है की मैं अकेली हूं?"
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