"सही कहा। यह शादी असल में कोई मायने नहीं रखती। हम दोनो ही के पास कोई ना कोई वजह थी एक दूसरे से शादी करने की पर मुझे लगता है अब वोह वजह नही रही।" कबीर ने बहुत कोशिश करने के बाद आखिर कहा।
"क्या?"
"जैसे की तुम मेरे लिए कुछ लाई हो, मैं भी तुम्हारे लिए कुछ लाया हूं।" कबीर ने बिना अमायरा की तरफ ध्यान दिए जवाब दिया।
कबीर उसके हाथ में एक फाइल पकड़ा दी। अमायरा ने कन्फ्यूज्ड होक उस फाइल को पकड़ लिया और उत्सुकता से उसे खोल कर पढ़ने लगी। पर जैसे ही उसने पढ़ना शुरू किया उसके चेहरे के भाव गहराने लगे। उसकी चहकती हुई नज़रे अब शॉक में बदल गई।
"क....क्या है यह? क्या यह किसी तरह का मज़ाक है?" अमायरा ने कबीर की तरफ देखते हुए पूछा। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था उस फाइल में रखे कागजों को पढ़ कर।
"यह कोई मज़ाक नहीं है अमायरा। मैं तुम्हारी आज़ादी तुम्हे वापिस देना चाहता हूं। अब तुम्हे दूसरों के मुताबिक अपनी जिंदगी जीने की कोई जरूरत नही है। हमने एक दूसरे से शादी की थी क्योंकि हम दोनो ही अपने भाई और बहन को उनकी खुशियां देना चाहते थे। और अब जब हम दोनो अलग हो जायेंगे तोह मुझे नही लगता इससे उनकी जिंदगी में कोई दिक्कत आएगी। तुम्हे अपनी जिंदगी मिल जायेगी जिस तरह तुम जीना चाहती हो। मैने यह डाइवोर्स पेपर्स साइन कर दिए हैं। तुम भी साइन कर दो फिर हम इसे फाइल कर देंगे कोर्ट में। जितनी जल्दी हम यह करेंगे उतनी जल्दी तुम्हे तुम्हारी जिंदगी वापिस मिल जायेगी। मैं चाहता हूं की तुम्हे वोह सब मिले जो तुमने चाहा है। इस बिना प्यार के रिश्ते में बंध कर तुम कोई अच्छा काम नही कर रही हो। आज़ाद रहो और अपने दिल की सुनो। हमेशा खुश रहो।" कबीर अपनी भावनाओं को छुपाते हुए सीधे अमायरा की आंखों में देख कर बात कर रहा था।
"क्या यही आप मुझसे चाहते हो?" अमायरा ने पूछा। उसकी आंखों में अब तक आंसू भर चुके थे, इन सालों में यह पहली बार था।
"मैं तुम्हारी खुशियां चाहता हूं, अमायरा। मैं जानता हूं की तुम्हे एक खुशहाल जिंदगी चाहिए। प्यार चाहिए, बच्चे चाहिए। एक ऐसा इंसान जो तुम्हे बहुत प्यार करे। मैं तुम्हारे लिए सही चॉइस नही हूं। मुझे अभी भी गिल्टी फील होता है की मैने तुम्हारे सपने बर्बाद कर दिए। पहले मैं नही जानता था तुम्हारी जिंदगी में कोई.....
पर अब मैं जानता हूं की तुमने अपनी खुशियों को दबा दिया दूसरों की खुशियों के लिए। मैं चाहता हूं की अब तुम दूसरों के लिए जीना बंद करो। जिंदगी वैसे जियो जैसे तुम चाहती हो, पर नही, तुम तोह दूसरों के लिए जीने में बिज़ी हो।"
"तोह आपका कहने का यह मतलब है की अगर मैं आपको छोड़ कर चली जाऊं, और आपको डाइवोर्स दे दूं तोह मुझे मेरी खुशियां वापिस मिल जाएंगी? कैसे?" अमायरा ने बहुत मुश्किल से पूछा।
"आप कौनसे ऑप्शन की बात कर रहें हैं?"
"गौरव।"
"उसके बारे में क्या?"
"वोह तुमसे शादी करना चाहता है। वोह अभी भी तुम्हे पसंद करता है। अगर मैं बीच में नही आता तोह तुम उसे एक चांस देती और उसके साथ खुश रहती। वोह अभी भी तुम्हारा इंतजार कर रहा है। जाओ और अपनी खुशियां लेलो जो तुम्हे मुझसे कभी नही मिल पाएंगी।"
"आप क्या चाहते हैं? आप चाहते हैं की मैं आपकी छोड़ कर चली जाऊं? आप इतनी जल्दी मुझसे बोर हो गए?"
"नही अमायरा। तुम गलत समझ रही हो। मैं बस तुम्हारी खुशी चाहता हूं। तुम बहुत अच्छी हो। मुझे लगता है की मैने तुम्हे अपने पास जबरदस्ती रखा हुआ और इस वजह से मुझे बहुत गिल्टी फील होता है।"
"तोह क्योंकि आप अपना गिल्ट धोना चाहते हैं, इसलिए आपने मुझे यह डाइवोर्स पेपर्स गिफ्ट कर दिए?"
"आई... उउह्ह..."
"आपने क्या सोचा था की मैं क्या चाहती हूं?" अमायरा ने पूछा।
"मैने सोचा की तुम......"
"औरों की तरह आपने भी यह सोच लिया की मुझे लाइफ में कुछ और चाहिए वोह भी बिना मुझसे पूछे की मैं क्या चाहती हूं। क्या आपने ऐसा सोचा की मुझे वोह शायद नही चाहिए ही जो आप मुझे ऑफर कर रहें हैं?"
"तुम्हे ये नही चाहिए...." कबीर उसके शब्दों से कन्फ्यूज्ड हो गया था।
"कुछ समय के लिए छोड़ देते हैं की मुझे क्या चाहिए। हम दोस्त हैं, राइट? आप मुझे सच सच बताइए की आपको क्या चाहिए? मैं मानती हूं की हमने शादी फैमिली के लिए की थी, पर अब जब हम पर उनका कोई दबाव नही हैं, तब आप सच में चाहते हैं की मैं चली जाऊं? आपको सच में ऐसा लगता है की मैं खुश रहूंगी अगर मैं आपको छोड़ कर चली जाऊं?" अमायरा ने सीधा सवाल पूछा।
"अगर तुम सच सुनना चाहती हो तोह, मैं नही चाहता की तुम जाओ। पर हां मैं चाहता हूं की तुम वोह करो जो तुम चाहती हो, जिससे तुम्हे खुशी मिले, ना की जी दूसरे लोग चाहते हैं। मैने तुम्हे यह डाइवोर्स पेपर्स इसलिए दिए हैं क्योंकि मैं चाहता हूं की तुम अपना रास्ता खुद चुनो जिंदगी में। अब बहुत हो गया दूसरों के लिए करते करते। कोई भी इस तरह से सफर करना डिजर्व नही करता। पर यह मैं इसलिए नही कह रहा हूं क्योंकि मैं तुम्हे यहां चाहता नही। तुम बहुत अच्छी लड़की हो, तुम्हारे आस पास रहने से ही मुझे बहुत खुशी मिलती है। पर मैं खुदगर्ज तो नही हो सकता। मैं तुम्हे तुम्हारी खुशियों से दूर तोह नही रख सकता बस इसलिए क्योंकि तुम्हारे होने से मुझे खुशी मिलती है। या इससे हमारी फैमिली खुश रहती है।" कबीर ने अपने दिल की बात कही पर तब तक अमायरा रोने लगी थी।
*क्या यह इसलिए रो रही है क्योंकि मैंने इसे डाइवोर्स पेपर्स दिए? पर यह तोह कभी नही रोती। जब यह बुरी तरह टूट गई थी आंटी की वजह से यह तोह तब भी नही रोई थी। जब इसने अपनी खुशियों की परवाह ना करते हुए मुझसे शादी करली थी, यह तोह तब भी नही रोई थी। अब क्यों? क्या इसका मतलब यह है की इसे भी मेरे लिए कुछ फील होता है और मेरे साथ रहना चाहती है? ये फिर कोई और बात है? क्या यह खुशी के आंसू हैं? क्या यह खुश है की फाइनली यह अपने प्यार से शादी कर लेगी? क्या यह खुश है की फाइनली यह आज़ाद है? क्या है वजह?*
वोह अपने खयालों में इतना खो गया की भूल ही गया की उसे इस वक्त अमायरा को शांत कराना चाहिए था। वोह अपने खयालों से तब बाहर आया जब उसने अमायरा की आवाज़ सुनी।
"अगर आप सच में चाहते है की मैं वोह चूस करूं जो मैं चाहती हूं, तोह मैं यह चुनती हूं।" अमायरा ने तलाक के कागज़ों को फाड़ कर टुकड़े टुकड़े कर हवा में उछाल दिया। वोह अभी भी सुबक रही थी।
"अमायरा.....क्या.....यह....क्यों फाड़ दिया तुमने?" कबीर असमंजस में था।
"क्योंकि मैं डीवीर्स नही चाहती। मैं यहीं रहना चाहती हूं। आपके साथ। इस परिवार के साथ जो मेरा भी है। मैने आपसे शादी करी थी यह जान समझ कर की हम दोनो एक दूसरे के लिए बिल्कुल अजनबी है, और कभी भी रियल कपल नही बन सकते। मैने इस रिश्ते से कभी कुछ भी एक्सपेक्ट नही किया। और अब जब हम दोनो दोस्त बन गए है, जो भी है हमारे पास हम उसमे खुश हैं, मैं अब और कुछ नही चाहती जिंदगी से। मैं इस जिंदगी से खुश हूं, क्योंकि इस ने मुझे एक बहुत अच्छा दोस्त दिया है। मैं किसी और चीज़ के लिए अपनी इतनी अच्छी दोस्ती नही की सकती।" अमायरा ने रोते हुए कहा और जा कर कस कर गले लग गई कबीर के, जबकि कबीर अचंभे में खड़ा रह गया। उसे अभी बहुत शॉक लगा था इस बात का की अमायरा उसके साथ ही रहना चाहती है, छोड़ कर जाना नही चाहती। वोह यही रहना चाहती है, उसके साथ। हमेशा के लिए। कबीर भी मुस्कुराया और अपने दोनो हाथों को अमायरा की पीठ पर रख दिए। उसने भी उसे कस कर बाहों में जकड़ लिया।
"आई एम सॉरी अमायरा। मैं तुम्हे दुख पहुंचना नही चाहता था। मुझे लगा यही सही है तुम्हारे लिए, लेकिन मुझे तुमसे पहले पूछ लेना चाहिए था। और मुझे बहुत खुशी है की तुमने इसे इतनी समझदारी से हैंडल किया, और मुझे गलत नही समझा। अब मुझे ज़िंदगी भर इस बात का अफसोस रहेगा की कभी मैने तुम्हे इममैच्योर बच्ची कहा था।" कबीर ने कहा और उसे वैसे ही कस कर बाहों में भर हुए था।
"अगर आप अभी भी चाहते हैं की मैं चली जाऊं, तोह आप एक और डाइवोर्स पेपर्स बनवा लीजिए, मैं साइन कर दूंगी आपके लिए। पर यह कभी मत कहना की मेरी खुशियां कहीं और है। वोह सिर्फ आपके साथ। सिर्फ आपके। और मुझे कोई फर्क नही पड़ता की आप मुझसे प्यार करते हैं की नही। मैं जानती हूं की आप महिमा को बहुत प्यार करते हैं और सोचते होंगे कि मैं किसी तरह आपको उन्हे भुला दूंगी और मुझे एक्सेप्ट करवा लूंगी, तोह मेरा यकीन मानिए, मैं कभी भी आपसे यह एक्सपेक्ट नही करती की आप मुझे प्यार करे। मैं सच में बहुत खुश हूं जो भी हमारे पास है, मैं ऐसे ही अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहती हूं। आप वोह इकलौते इंसान हैं जो मुझे समझते हैं, जो जानते हैं की मैं क्या महसूस करती हूं। मैं कैसे किसी और के साथ खुश रह सकती हूं जबकि वोह आप हैं जो मुझे खुश रखते हैं? अमायरा ने जवाब दिया। वोह अभी भी कबीर की बाहों में सिमटी हुई थी।
*यह यहीं रहना चाहती है, मेरे साथ, पर दोस्त बन कर? सिर्फ दोस्त? क्या? क्या वोह मैं ही हूं जिसने अभी कहा था की यह बच्ची नही है? हाह्ह*
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