"देखी कौन कह रहा है। जो भी मैं कहता हूं या करता हूं उससे तुम्हे प्रॉब्लम होती है। पर तुम्हे उससे कोई प्रॉब्लम नही होती जो बाकी के लोग तुमसे कहते हैं और करते हैं।" कबीर हल्का गुस्सा होने लगा था।
"आपका कहने का क्या मतलब है? आप किसके बारे में बात कर रहे हैं? अमायरा ने अपनी एक आईब्रो ऊपर उठाते हुए पूछा।
"किसी के नही। और अगर तुम कभी रियल आर्गेनाइजेशन में काम करना चाहो तोह तुम्हारा स्वागत है मेरे सीएसआर ब्रांच में। हमारे यहां भी कुछ इंटर्न्स हैं तुम्हारी उम्र के, तुम्हे उनके साथ एक टीम की तरह काम करना अच्छा लगेगा।" कबीर ने जवाब दिया। उसने बातों को रुख दूसरी तरफ मोड़ने की कोशिश की।
"नो थैंक यू मिस्टर मैहरा। जहां हूं वहां खुश हूं। और मैं पागल नही जो काम करूं वोह भी आपके साथ। वोह बारह घंटे बहुत हैं मेरे लिए आपके साथ घर पर। और मुझे डिटॉक्स के लिए बचे बारह घंटे आपसे दूर बिताने की जरूरत है।" अमायरा ने अपने पलके बार बार झपकाते हुए मासूमियत से कहा।
"कोई बात नही। यह ऑफर हमेशा रहेगा तुम्हारे पास। वैसे तुम्हारा एनजीओ आ गया। हैव अ नाइस डे।" कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा और जवाब में अमायरा भी मुस्कुरा दी।
"थैंक्स फॉर द ऑफर, पर आपकी तोह मेरा जवाब पता ही है। थैंक्स फॉर द लिफ्ट।" अमायरा ने कहा और गैडिंस उतर गई। उसने हाथ हिला कर बाय कर दिया।
कुछ पल कबीर गाड़ी में बैठे हुए अमायरा को देखता रहा। उसके बाद उसने गाड़ी आगे बढ़ा दी। अमायरा भी गाड़ी से उतरने के बाद आगे नहीं बड़ी और वहीं खड़ी रही जब तक की गाड़ी उसकी नज़रों से ओझल नहीं हुई।
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उसी शाम जब कबीर घर आया और अपने कमरे में गया तोह उसे अपने कमरे में बैड पर एक गिफ्ट मिला। वोह मुस्कुराने लगा गिफ्ट देख कर। उसे उम्मीद थी की आज उसे गिफ्ट मिलेगा। उसे थोड़ा अटपटा भी लग रहा था क्योंकि यह गिफ्ट खरीदने के लिए अमायरा ने इशिता से पैसे लिए थे। और तोह और उसने अपने पूरे पैसे खर्च कर दिए होंगे गिफ्ट खरीदने में। पर वोह इशिता के पैसों को अपने पैसे समझती है तोह उसके लिए यह कोई अजीब बात नही। और इसका मतलब है की उसे यह गिफ्ट मुस्कुराते हुए एक्सेप्ट करना होगा और अपने सरप्राइज़ को भी एक्सप्रेस करना होगा। इसका यह भी मतलब है की वोह उसके पैसों को अपना नही समझती।
आज पूरा दिन कबीर बस यही सोचता रहा आज जी भी उसे अमायरा के बारे में पता चला। और फिर आखरी में यही कंक्लूजन पर पहुंचा की अमायरा की हर एक चीज़ उसकी फैमिली से जुड़ी हुई है। वोह एक ऐसी लड़की थी जिसने अपनी पूरी जिंदगी सेक्रिफाइस कर दी अपनी बहन की खुशी के लिए और कभी यह दुनिया को दिखाया भी नही। वोह अपने आप से भी ना खुश था क्योंकि आज का पूरा दिन उसने अमायरा के बारे में सोचने में बिता दिया जबकि वोह ऐसा बिल्कुल नहीं चाहता था। वोह सिर्फ महिमा के बारे में सोचना चाहता था ना की अमायरा। और उसे पहले अपने ऊपर बहुत गुस्सा आया। पर बाद में उसने अपने आप से यह कह दिया की महिमा उसका प्यार है, और अमायरा उसी(कबीर) की तरह एक विक्टिम है तोह उसके बारे में सोचना कोई गलत तोह नही। ऐसा नहीं था की वोह अमायरा को पसंद वसंद करने लगा था। और इसी खयाल न उसके मन को दिलासा दिया था। कबीर कभी अमायरा के सामने सिंपैथी नही दिखाता था क्योंकि उसे यह रियलाइज हो गया था की अमायरा को विक्टिम की तरह ट्रीट करना नही पसंद। क्योंकि जाहिर तौर पर उसने यह जिंदगी खुद चूस की है, किसी ने उसे फोर्स नही किया। उसकी बात से कबीर के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। तोह इसलिए वोह, खड़ा है अपने कमरे में, बैड पर रखे उस गिफ्ट के पास। जैसे ही उसने गिफ्ट उठाने के लिए हाथ बढ़ाया तभी उसने एक आवाज़ सुनी।
"वेट। मुझे यह आपको देने दीजिए, मिस्टर मैहरा।"
"क्या?"
"हम्मम! गिफ्ट अपने आप नही लेना चाहिए। यह तोह आभार और आदर के साथ दिया जाता है।"
"सच में? तुम यह सब कहां से सीखती हो?" कबीर ने पूछा। वोह हैरान था अमायरा की इतनी समझदारी देख कर।
"कहीं से भी नही। यह पैदाइशी टैलेंट है मुझमें। तोह ये है आपके लिए। एक छोटा सा गिफ्ट मेरी तरफ से।" अमायरा ने गिफ्ट को कबीर के हाथों में देते हुए कहा।
"आभार के साथ? आ..हां..? लेकिन किसलिए?" कबीर ने भारी मन से वोह गिफ्ट ले लिया, लेकिन चेहरे पर मुस्कान बिखेरी रखी।
"क्या? गिफ्ट या आभार?" अमायरा ने मुस्कुराते हुए पूछा।
"दोनो। बाय द वे थैंक यू। वैसे है किसलिए?"
"वैल, यह इसलिए है क्योंकि मैं आपको पहले गिफ्ट नही दे पाई थी। और आज हमारी शादी को दो महीने हो चुके हैं तोह मैने सोचा की यही समय है मुझे भी कुछ देना चाहिए। एस अ फ्रेंड।" अमायरा ने सीधे कहा।
"फ्रेंड?"
"हां। मैने आपको पहले भी बताया है की मेरे अब ज्यादा फ्रेंड नही है। और एस अ फ्रेंड उसे आपके बारे में सब पता होना चाहिए जो भी आपकी लाइफ में चल रहा है, और फिलहाल आप ही इकलौते मेरे फ्रेंड है अभी जिसे मेरे बारे में सब पता है की मेरी जिंदगी में क्या चल रहा है। और आप ही वोह इंसान हैं जो मेरी बकबक सुनते हैं जब मुझे गुस्सा आता है, इसलिए आभार। थैंक यू मुझे इतना समझने के लिए।"
"तुम्हे पता है, तुम बहुत अच्छी हो, राइट? मैं एडमिट करता हूं की मैं तुम्हे गलत समझता था की तुम एक एमेच्योर किड हो।"
"ओके। अब मुझे शर्मिंदा मत कीजिए। मैने वोही कहा जो महसूस किया।"
"क्या अब मैं इसे खोल सकता हूं?"
"हां। खोलिए ना।" अमायरा के कहते ही कबीर ने वोह गिफ्ट खोलना शुरू कर दिया।
जब कबीर ने गिफ्ट खोला तोह उसमे एक ब्राइट पिंक कलर का कुर्ता निकला। जैसे ही दोनो ने के दूसरे को देखा, दोनो ही खिलखिला कर हस पड़े।
"तोह तुम मुझसे बदला ले रही हो क्योंकि मैंने तुम्हे सोबर कलर का पजामा दिया था। इसलिए तुम मेरे लिए ब्राइट पिंक कलर का कुर्ता लाई हो। वैरी स्मार्ट।" कबीर ने कहा।
"आपको पसंद नही आया?" अमायरा ने शरारती अंदाज़ में पूछा।
"बहुत पसंद आया। मैं हमेशा इसे संभाल कर रखूंगा।"
"डेट्स ग्रेट। और अब इसे लीजिए।" अमायरा ने कहा और एक छोटा सा गिफ्ट बॉक्स कबीर के हाथ में रख दिया।
"अब यह किया है?"
"यह आपका दूसरा गिफ्ट है। असली वाला।"
"ठीक है। फिर मैं इसे खोलता हूं।"
"उउह्ह्ह्....आप इसे बाद में भी खोल सकते हैं।"
"क्या तुम्हे नही जानना की मुझे यह गिफ्ट पसंद आया की नही?"
"आप मुझे बाद में बता देना।" अमायरा ने असहज होते हुए कहा।
"नही। मुझे अभी खोल कर देखना है।" कबीर ने कहा और गिफ्ट खोल दिया। उसने देखा उसमे एक लेबल पिन था। जिसपर बहुत ही खूबसूरत तरीका से उसका नाम लिखा हुआ था। उस बॉक्स के कवर से ही कबीर को पता चल गया की ये उसके पसंदीदा डिजाइनर का ही खरीदा हुआ है। और तुरंत ही उसको यह भी पता चल गया की वोह उसके लिए यह क्यों लाई है।
"ये....ये बहुत ही खूबसूरत है। बल्कि दोनो ही गिफ्ट। थैंक यू। लेकिन दो क्यों लाई? यह पिंक वाला अच्छा है।"
"आह! मैं यह लोकल शॉप से लाई थी आपको चिढ़ाने के लिए। मुझे पता है यह आप कभी नही पहनेंगे। पर मुझे लगता है की आपको यह लेबल पिन जरूर पसंद आई होगी। मैने सोचा आप हमेशा डिजाइनर कपड़े ही पहनते हैं इसलिए मैं आपके लिए यह लाई।"
"थैंक यू सो मच। पर तुम्हे मेरे लिए इतना सब कुछ करने की जरूरत नहीं है।"
"मैने कहा की यह सब मैं अपने फ्रेंड के लिए लाई हूं।"
"तुम्हे सच में लगता है की मैं तुम्हारा फ्रेंड हूं?"
"शायद नही। पर हम बन सकते हैं। मैं इसे अभी यूज कर सकती हूं, एस्पेशियली अभी। मैं यह गिफ्ट दे कर आपको रिश्वत दे सकती हूं मेरा फ्रेंड बनने के लिए। बहुत हो गई अब लड़ाई।" अमायरा ने मज़ाक करते हुए कहा और कबीर मुस्कुरा दिया।
"वैसे, मुझे तुम्हारा यह गिफ्ट पसंद आया, तोह हां, मैं सोच सकता हूं तुम्हारा प्रपोजल एक्सेप्ट करने की। पर यह काफी नही है। मुझे और भी कुछ चाहिए।"
"क्या?"
"कुछ जवाब।"
"कैसे जवाब?"
"पहले बैठो। मुझे तुमसे कुछ सवाल पूछने है लेकिन मुझे लगता है की कहीं तुम गुस्सा न हो जाओ।"
"नही होंगी।"
"अमायरा क्या तुम्हे कभी ऐसा लगा है की दूसरों को वजह से तुम्हारी लाइफ पूरी बर्बाद हो गई है?" कबीर ने उसकी आंखों में झांकते हुए पूछा।
"क्या? मैं ऐसा क्यों सोचूंगी? क्या आपको लगता है की आपकी लाइफ बर्बाद हो गई है मुझसे शादी कर के?"
"मुझसे इस तरह से क्रॉस क्वेश्चन मत करो। पर तुम्हारे सवाल का जवाब है, ना। यह बर्बाद नही हुई है, बल्कि थोड़ी कॉम्प्लिकेटेड हो गई है, क्योंकि मुझे तुम्हे अचानक अपनी जिंदगी में शामिल करना पड़ा। और मुझे लगता था की बहुत मुश्किल होने वाला है क्योंकि मुझे लगता था की तुम भी टिपिकल वाइफ की तरह डिमांडिंग होगी। पर तुमने मेरे लिए जीना आसान कर दिया है। मुझे बस थोड़ा सा मिलनसार होना होगा, बस और कुछ नही। मैं कभी भी अपनी जिंदगी में महिमा के बाद किसी को चाहता था। पर तुम आई मेरी जिंदगी में। तुम एक हैप्पी मैरिज चाहती थी, लविंग हसबैंड, और दो बच्चे, वोह भी तुम्हारे खुद के। और तुमने यह सब पीछे छोड़ दिया। तुम्हे नही लगता की तुम्हारी लाइफ कुछ अलग होती अगर तुम मुझसे शादी नही करती? तुम खुश रहती।"
"तोह आपको एक इरिटेटिंग वाइफ चाहिए थी जो आपका अटेंशन पाने के लिए आपको सताती रहती। जिससे आपको उससे नफरत करने में आसानी होती। मैं भी ऐसा कर सकती हूं।"
"प्लीज अमायरा। मैं तुमसे अभी एक ऑनेस्ट आंसर चाहता हूं।"
"मैं ऐसी किसी भी चीज़ के बारे में नही सोचती जो मेरे कंट्रोल में है ही नही, यह पॉसिबल ही नही है।"
"यह सही जवाब नही है।"
"यही बात है।"
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