Secret Admirer - 14 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Secret Admirer - Part 14

Featured Books
Categories
Share

Secret Admirer - Part 14

"यह सब मेरा कैसे हो सकता है, जब आप ही मेरे नही हो।" अमायरा ने बिना सोचे समझे एक झटके में कह दिया।

"मैं.... उउह्ह..." कबीर सदमे में था। उसे समझ नही आ रहा था की उसकी सच्चाई पर कैसे रिएक्ट करे।

"देखिए, मिस्टर मैहरा, मैं आपसे आपकी शिकायत नही कर रही हूं या फिर आपको गिल्टी फील करा रही हूं। मुझे पता है आप मुझे खुश देखना चाहते हैं। और उसके लिए आपसे जो बल पड़े वोह आप कर रहें हैं। और इसके लिए मैं आपसे शुक्रियामंद भी हूं। पर जब मैंने शादी के लिए हां कहा था, मैं यह अच्छे से जानती थी की मैं अपने आप को आप पर कभी थोपूंगी नही। फैमिली के लिए हम दोनो एक साथ हैं पर यह हम दोनो पर ही कोई बर्डन नही होना चाहिए। जो भी है हमारे बीच, यह हमारे बीच एग्रीमेंट की तरह है, ताकि हम दोनो की ही फैमिली खुश रहे। बस और कुछ नही। मैं हमारे बीच इतने महंगे गिफ्ट और पैसे नही लाना चाहती, क्योंकि मुझे ऐसी किसी भी चीज़ की आदत नही डालनी जो मेरी है ही नही और ना कभी हो सकती है, जिस पर मेरा कोई हक नही।"

"इससे मेरे ऊपर कोई बर्डन नही है," कबीर प्यार से कहा।

"हां, पैसे खर्च करना आप के लिए कोई बड़ी बात नही है। पर मेरे लिए, यह बहुत बड़ा बोझ है। प्लीज आप समझिए। अगर मुझे कुछ चाहिए होगा, तोह मैं आपसे मांग लूंगी पर मैं यह महंगी ज्वैलरी नही एक्सेप्ट कर सकती, ना अभी और ना कभी। मैं हैंडल नही कर पाऊंगी।" अमायरा ने एक सांस में सब बोल दिया।

"ठीक है, ठीक है। अगर तुम्हे अपने लिए नही चाहिए, तोह कम से कम फैमिली के लिए रख लो। अगर कोई तुमसे पूछेगा की मैने वन मंथ वैडिंग एनिवर्सरी पर क्या दिया तोह तुम्हारे पास जवाब तोह होगा।" कबीर ने इंसिस्ट करते हुए कहा।

"ओके।" अमायरा ने कहा।

"तोह अगर यह ना सही, मुझे उम्मीद है की मेरा दूसरा गिफ्ट तोह एक्सेप्ट करोगी। वोह कम से कम एक्सपेंसिव तोह नही है और तुम्हारे काम का भी है।" कबीर ने अदब से मुस्कुराते हुए कहा और उसे देख कर अमायरा भी मुस्कुरा पड़ी। "प्लीज इसे तोह एक्सेप्ट कर लो नही तोह मेरा दिल टूट जायेगा।"

"ऐसा कभी दुबारा मत करना वरना मुझे आपके बारे गलतफैमी हो जायेगी की आप भी मज़ाक कर लेते हैं।" अमायरा ने मसखरी करते हुए कहा।

"फिर तोह तुम मुझे जानती ही नही हो," कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा।

"क्या आप यह खुद खरीद कर लाए थे?"

"नही। मैं कभी किसी लेडीज़ डिपार्टमेंट में नही जाता और उनसे पूछूं की मेरी वाइफ के लिए नाइट सूट दे दीजिए। तोह मैं ने कल रात इसे ऑनलाइन ऑर्डर किया था। तुम इसे पहन कर चैक करलो अगर साइज में कोई प्राब्लम है तोह ऑनलाइन एक्सचेंज हो जायेगा। फिर तुम अपने हिसाब एस मंगवा लेना क्योंकि मुझे जो ठीक लगा वैसा मंगवा लिया।"

"क्या मैं इसका कलर चेंज कर सकती हूं?" अमायरा ने रहस्यमई ढंग से पूछा।

"नही। तुम इसका कलर बिलकुल भी चेंज नहीं कर सकती। चाहो तोह तुम इसे अपनी पनिशमेंट समझ लो मेरा दूसरा गिफ्ट नही एक्सेप्ट करने के लिए।"

"ठीक है। फिर मैं इसे अभी पहन कर देखती हूं।" अमायरा ने कहा और वाशरूम में चली गई। जब वोह वापस आई तोह उसने उनमें से एक पहन रखा था जिसे देख कर कबीर मुस्कुराने लगा था।
*"चलो मेरी आंखों को कुछ तोह आराम मिलेगा, उस पिंक कलर से तोह बेहतर है।"* कबीर ने मन में सोचा।

"यह अच्छा है। मुझे पसंद आया। थैंक यू।"

"थैंक यू से काम नही चलेगा। मेरा गिफ्ट कहां है? तुम शायद भूल रही हो की उस दिन तुम्हारे साथ मेरी भी शादी हुई थी।"

"उउह्ह्.... मैं एक्चुअली भूल गई थी। मैं आपके लिए बाद में पक्का ले आऊंगी।"

"यस, प्लीज। मैं इस तरह के लेन देन में बहुत पक्का हूं। कुछ नही भूलता।" कबीर ने मज़ाक करते हुए कहा और वापिस लैपटॉप खोल कर काम करने लगा।

"ओके।" अमायरा अब शीशे के सामने बैठ गई और रोज़ की तरह सोने से पहले नाइट क्रीम लगाने लगी। ऐसा करते वक्त पूरा समय कबीर को शीशे में से देख रही थी।

"क्या?" कबीर ने पूछा। उसे महसूस होने लगा था की अमायरा की नज़रे उसी पर है।

"क्या?" अमायरा ने वापिस जवाब में कहा।

"तुम मुझे क्यों घूर कर देख रही थी।" कबीर ने सवालिया निगाहों से देखा।

"मैं नही देख रही थी।" अमायरा ने झूठ बोल दिया।

"तुम देख रही थी। बताओ क्या हुआ?"

"कुछ नही।"

"अमायरा कम ऑन। क्या हुआ है?"

"आप गुस्सा हो जायेंगे। मैं आपको नही बताऊंगी।"

"ओके। मैं गुस्सा नही करूंगा। अब बताओ।"

"मैं आपको पहले ही कह रही हूं, या तो आप गुस्सा हो जायेंगे या दुखी। और मैं नही चाहती की आप इन दोनो में से कुछ भी हों।"

"कोई भी चीज़ मुझे दुखी नहीं कर सकती। अब बताओ।"

"प्लीज़ मिस्टर मैहरा।"

"प्लीज अमायरा।"

"महिमा बहुत लकी थी।" अमायरा ने नज़रे झुकाए कहा और महिमा का नाम सुनते ही कबीर की आंखें बंद हो गई।

"तुमने ऐसा क्यों कहा?" कबीर ने थोड़ा दुखी होते हुए पूछा।

"आपने कितने प्यार से मेरे लिए गिफ्ट चूस किया, जबकि आप मुझे अच्छे से जानते भी नहीं हो। फिर तोह आप महिमा की बहुत ही केयर करते होंगे।" अमायरा ने प्यार से कबीर की तरफ देखते हुए कहा।

"मैं लकी था, क्योंकि वोह मेरी जिंदगी में थी।" कबीर अपने बीते वक्त की अच्छी यादों में खो गया था।

"मुझे भी ऐसा ही लगता है," अमायरा ने कहा।

"तुम्हे? कब? कबीर ने उत्सुकता से अमायरा की तरफ देखा।

"मैं कॉलेज में थी उस वक्त। फर्स्ट ईयर में। उनकी बहुत बड़ी फैन थी। जब आपकी उनके साथ शादी की बात न्यूज में आई थी तोह मुझे भी ऐसा ही लगता था की आप बहुत लकी हैं जो वोह मिली। पर मेरे बाकी के क्लासमेट को उल्टा लगता था।"

"अच्छा ऐसा? क्यों?"

"उन्हे लगता था की वोह लकी है जो उन्हे आप मिले। हर न्यूज में उस वक्त यही छाया रहता था की कितना प्यार करते हैं आप उनसे। कैसे उनकी इतनी केयर करते हैं, कैसे उनको हमेशा स्पेशल फील कराते हैं। कैसे आप दोनो ने अपनी फैमिली को भी कन्विंस कर लिया जबकि दोनो अलग अलग धर्म से हैं। यही उस वक्त सारी न्यूज में छाया रहता था। मुझे ऐसा लगता था की उनकी तरह एक बड़ी मूवी स्टार से, कोई भी लड़का प्यार कर बैठेगा। इसलिए मुझे लगता था की आप लकी हैं जिसे उन्होंने चुना।"

"सही कह रही हो तुम। उसके पास तोह कई ऑप्शंस थे पर उसने मुझे चुना। वोह मुझ पर बहुत भरोसा करती थी।" कबीर मुस्कुराते हुए अपनी बीती मीठी यादों में खो गया था।

"आप उनसे बहुत प्यार करते हैं," अमायरा के कहते ही कबीर अपनी नम आंखों से अमायरा को देखने लगा था। "आई एम सॉरी, मुझे उनके बारे में बात नही करनी चाहिए थी। देखिए आप फिर से दुखी हो गए।"

"नही। कोई बात नही। यह पहली बार है की उसके बारे में मैं बात कर के मैं मुस्कुरा रहा हूं। मुझे अच्छा लग रहा है, उन प्यारी यादों को याद करके। मैं हमेशा उसके बार में किसी से बात नही करना चाहता था क्योंकि उससे रिलेटेड मुझे सिर्फ उसकी मौत ही याद आती थी जिससे मुझे बहुत दुख होता था याद करके। पर आज बहुत अच्छा लग रहा है। थैंक यू।" कबीर ने अपने दिल की बात कही।

"अगर ऐसा है तोह आपको मुझे अपने उन अच्छे दिनो के बारे में बताना होगा। आपको उन्हे सिर्फ उन अच्छे लम्हों के लिए याद करना चाहिए। ना की बुरे दिनों के लिए।" अमायरा ने प्यार से कहा और कबीर ने अपने आंसू छुपाने के लिए अपना सिर झुका लिया।

"मैं उससे पहली बार तब मिला था जब मेरी कंपनी ने उसे प्रोमोशन के लिए उसके साथ टाई अप किया था और वोह मेरे ऑफिस आई थी। उसे पहली बार देखने के बाद ही मैंने डिसाइड कर लिया था की उससे उसका नंबर लिए बिना मैं जाने नही दूंगा। मैं उससे पहली नज़र में ही प्यार कर बैठा था।" कबीर उन मीठी यादों को याद करके मुस्कुरा दिया। "तोह, तुम बताओ, उस वक्त उन सारे न्यूजपेपर्स में क्या छपता था? मुझे नही पता की मैं इतना पॉपुलर था।" कबीर फिर से नॉर्मल होने की कोशिश करने लगा था।

"नही। आप उस वक्त इतने पॉपुलर नही थे जितने की आज हो। आप उस वक्त बस फाइनेंस में काम करने वाले लड़के थे, पर वोह बिग स्टार थी। और जब उन्होंने अपनी शादी आपके साथ अनाउंस की थी तोह बहुत गॉसिप होने लगी थी उनकी और आपकी भी। मैं हमेशा ही अपने फ्रेंड्स को कहती थी की मेरी मॉम आपकी मॉम की फ्रेंड है और मैं आपसे बचपन में मिली हुई हूं। इसलिए वोह हमेशा मुझसे अंदर की बाते जानने के लिए पूछते रहते थे। क्योंकि मैं ज्यादातर आती रहती थी यहां मॉम और दी के साथ इसलिए मुझे आसानी से खबरे पता चल जाति थी।" वोह बोलते बोलते अपने इस राज़ का भी खुलासा कर गई।

"रियली?"




















__________________________
**कहानी अभी जारी है..**
**रेटिंग करना ना भूले...**
**कहानी पर कोई टिप्पणी करनी हो या कहानी से रिलेटेड कोई सवाल हो तोह कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट कर सकते हैं..**
**अब तक पढ़ने के लिए धन्यवाद 🙏**